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Dhirubhai Ambani Birth Anniversary: मिट्टी तक से पैसा कमाने का हुनर जानते थे धीरूभाई अंबानी, रिस्क लेने की क्षमता ने बनाया कामयाब बिजनेसमैन

Dhirubhai Ambani Birth Anniversary: भारतीय उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संस्थापक धीरूभाई अंबानी 28 दिसंबर 1932 को गुजरात में जन्मे थे.

Dhirubhai Ambani Birth Anniversary Dhirubhai Ambani Birth Anniversary
हाइलाइट्स
  • 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ में जन्मे थे धीरूभाई

  • उनका नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था

आज भी बात अगर देश के सबसे कामयाब बिजनेसमैन की हो तो पहला नाम जो जुबान पर आता है, वह है धीरूभाई अंबानी. जी हां, सब जानते हैं कि अंबानी परिवार देश का सबसे अमीर परिवार है. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं इस अंबानी एंपायर की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी की कहानी. 

धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था. उनका नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था. धीरूभाई एक साधारण स्कूल मास्टर के बेटे थे और उनकी मां एक गृहिणी थी. पांच बहन-भाइयों में से एक धीरूभाई का बचपन दो कमरे के अपार्टमेंट में गुजरा. उन्होंने अपने जीवन के 16 साल वहीं बिताए. 

गांठिया बेचने से हुई शुरुआत  
जिस जमाने में लोगों का सपना एक छोटी-मोटी नौकरी का हुआ करता था, उस जमाने में धीरूभाई ने कुछ अलग और बड़ा करने की ठानी. इसकी शुरुआत हुई गांठिया बेचने से. गांठिया एक गुजराती स्नैक्स है जिसे बेचकर वह थोड़ी-बहुत कमाई करते थे. इसके बाद वह यमन चले गए और वहां कंपनी ए. बेसे एंड कंपनी के साथ डिस्पैच क्लर्क के रूप में काम किया. 

हालांकि, धीरूभाई का एक ही सपना था, अपना खुद का बिजनेस करना. वहां कुछ समय काम करने के बाद वह भारत वापस आए और मात्र 15,000 रुपये के साथ उन्होंने रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन की स्थापना की. इसके जरिए वह मसालों का निर्यात करने लगे. 

मिट्टी बेचकर भी कमाया मुनाफा 
धीरूभाई की सोच बहुत आगे की थी और वह हर चीज को व्यापार बनाना जानते थे. क्योंकि वह लोगों की जरूरत को पहचानना जानते थे. उनसे जुड़ा एक किस्सा बहुत मशहूर है. बताया जाता है कि वह अरब में एक शेख को मसाले सप्लाई करते थे. एक बार उन्हें पता चला कि शेख को गुलाब बहुत पसंद हैं और उन्हें अपने बगीचे के लिए मिट्टी चाहिए. 

धीरूभाई ने तुरंत शेख को भारत से मिट्टी भिजवा दी और इसके एवज में अच्छी रकम कमाई. वह हमेशा अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत करते थे. मसालों के बाद धीरूभाई ने टेक्सटाइल में कदम रखा. यह बिजनेस शुरू में चंपकलाल दमानी के साथ साझेदारी में था, लेकिन साल 1965 में मनमुटाव के कारण धीरूभाई चंपकलाल से अलग हो गए और अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर दिया. उन्होंने पॉलिएस्टर के निर्यात का काम संभाला और उन्होंने अपना पहला ब्रांड "विमल" लॉन्च किया.

कई क्षेत्रों में रखा कदम 
धीरूभाई सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहे. बल्कि वह अलग-अलग सेक्टर्स में रिस्क लेते रहे और हर कदम पर रिस्क लेने की उनकी क्षमता ने उन्हें कामयाब बनाया. साल 1966 में उन्होंने रिलायंस टेक्सटाइल मिल खोली और धीरे-धीरे प्लास्टिक, मैग्नम पेट्रोकेमिकल और बिजली उत्पादन विशाल में बनाया.

8 मई, 1973 को उनका नाम बदलकर रिलायंस इंडस्ट्रीज कर दिया गया. 1977 में जब राष्ट्रीय बैंकों ने कंपनी को वित्त देने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने कंपनी को सार्वजनिक कर दिया. साल 1977 में उन्होंने भारत का पहला आईपीओ लाने का फैसला किया. उस समय उनका IPO सात गुना ओवर सब्सक्राइब हुआ. निवेशकों को इसमें बहुत अच्छा मुनाफा मिला.  

मजबूत व्यक्तित्व ने बनाया कामयाब
धीरूभाई का व्यक्तित्व बहुत मजबूत था और उन्होंने कई ग्रामीण गुजरातियों को कंपनी में शेयरधारक बनने के लिए मनाया. इस वजह से रिलायंस पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई, जिसे अपनी एनुएल मीटिंग स्टेडियम में करनी पड़ती थी. लोगों को उनपर भरोसा था और इस भरोसे के दम पर धीरूभाई ने साधारण शुरुआत करके भी भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक साम्राज्य बना दिया. 

उनके निधन के बाद आज भी धीरूभाई बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा हैं और उनके बारे में हर एक मैनेजमेंट और बिजनेस स्कूल में पढ़ाया जाता है.