भारत में कई तरह के इंवेस्टमेंट में नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme)और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund) सबसे आम विकल्प हैं. हालांकि, जब रिटर्न, ब्याज दरों आदि की बात आती है, तो इंवेस्टर अक्सर दो योजनाओं के बीच कंफ्यूज हो जाते हैं. इसलिए दोनों को ही विस्तार से समझना जरूरी है. आज हम आपको समझाएंगे की क्या आपके पास पीपीएफ और एनपीएस दोनों हो सकते हैं, एनपीएस पीपीएफ से कैसे अलग है और भी बहुत कुछ.
एनपीएस और पीपीएफ
सीधे शब्दों में कहें, एनपीएस (NPS) रिटायर्ड लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक बाजार-निर्भर पेंशन बचत योजना है. इसलिए एनपीएस पर रिटर्न बाजार और पेंशन फंड मैनेजर के प्रदर्शन पर निर्भर करता है.
पीपीएफ (PPF) एक सरकार का इक्विपमेंट है जो पेंशन के लिए विशिष्ट (Specific) नहीं है और इसमें निश्चित(Fixed Returns) रिटर्न है.
एनपीएस और पीपीएफ के बीच अंतर (Difference Between NPS and PPF)
इंवेस्टमेंट
एनपीएस (NPS) में निवेश की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है, जबकि अधिकतम आयु 65 वर्ष है. हालांकि, पीपीएफ (PPF) इंवेस्टमेंट में उम्र की कोई पाबंदी नहीं है. अभिभावक के साथ नाबालिग भी इसमें निवेश कर सकते हैं. एनपीएस (NPS)ग्राहकों के लिए निवेश की अवधि उनकी रिटायर्ड या 60 वर्ष की आयु तक है. पीपीएफ (PPF) निवेशकों के लिए 15 वर्ष है. एनपीएस में निवेश करने वालों के लिए 70 वर्ष की आयु तक विस्तार की अनुमति है. इसी तरह, पीपीएफ वालों के लिए, विस्तार की अवधि 5 साल के ब्लॉक के लिए है.
इसके अलावा, पीपीएफ उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम और अधिकतम निवेश राशि क्रमश 500 रुपये प्रति वर्ष और 1.5 रुपये लाख प्रति वर्ष है. दूसरी ओर, एनपीएस ग्राहक के लिए न्यूनतम निवेश राशि 1000 रुपये प्रति वर्ष है, और इस बचत योजना में निवेश करने वाले वेतनभोगी कर्मियों के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है.
सेफ्टी
एनपीएस रिटर्न (NPS Returns) बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, इसलिए इसे आमतौर पर एक सुरक्षित विकल्प नहीं माना जाता है. बाजार के उतार-चढ़ाव इस योजना में आपकी वापसी राशि को सीधे प्रभावित करेंगे. इसके अलावा, एनपीएस रिटर्न पेंशन फंड मैनेजर के प्रदर्शन पर भी निर्भर करता है. इसलिए, अगर आप इस प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप प्रबंधकों को स्वैप कर सकते हैं.
पीपीएफ रिटर्न (PPF Returns) की बात करें तो कोई भी चूक के किसी भी जोखिम से इंकार कर सकता है, क्योंकि यह निश्चित रिटर्न के साथ आता है.
टैक्सेशन
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत, 1.5 लाख रुपये तक के PPF निवेश पर आपको टैक्स कटौती मिलेगी. वार्षिक आयकर रिटर्न में घोषणा करने के बाद पीपीएफ ब्याज करों से मुक्त हैं. पीपीएफ से संबंधित मैच्योरिटी राशि पर भी टैक्स से छूट मिलती है. इसलिए, पीपीएफ निवेशक आराम से टैस्ट ट्रीटमेंट का आनंद ले सकते हैं. इसके अलावा, धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का एनपीएस निवेश कर-कटौती योग्य है.
हालांकि, कंट्रीब्यूशन आपके वेतन के 10 प्रतिशत से कम होना चाहिए. मैच्योरिटी पीरियड तक पहुंचने पर, कोई भी टैक्स का भुगतान किए बिना एनपीएस (NPS) बेलेंस का 40 प्रतिशत वापस ले सकता है. अन्य 40 प्रतिशत का उपयोग एक एन्यूनिटी खरीदने के लिए किया जाना चाहिए जिस पर टैक्स लगेगा. टैक्स का भुगतान करने के बाद, कोई 20 प्रतिशत की शेष राशि निकाल सकता है या इसे एन्यूनिटी खरीदने में उपयोग कर सकता है.
एलिजिब्लिटी
भारतीय नागरिक पीपीएफ (Public Provident Fund) में निवेश कर सकते हैं. एक व्यक्ति के पास केवल एक ही पीपीएफ खाता (PPF Account) हो सकता है, जब तक कि अगला खाता नाबालिग के नाम पर न हो.
18 से 65 वर्ष की आयु के बीच का कोई भी भारतीय नागरिक एनपीएस (National Pension Scheme) में निवेश कर सकता है. इसके अलावा एनआरआई (NRI) भी एनपीएस में निवेश कर सकते हैं.
कहां खोल सकते हैं अकाउंट
आप किसी भी बैंक ब्रांच या भारत डाकघर में जाकर पीपीएफ अकांउट (PPF Account) खोल सकते हैं. इसके अलावा, कई बैंक पीपीएफ खाता खोलने और निवेश करने के लिए ऑनलाइन सुविधा की अनुमति देते हैं.
अगर कोई व्यक्ति अपने वेतन के हिस्से के रूप में एनपीएस (NPS) में निवेश कर रहा है, तो वह अपने नियोक्ता के माध्यम से खाता खोल सकता है. हालांकि, इस बचत योजना में कोई भी नया व्यक्ति अपना खाता प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस (POP) या ईएनपीएस (ENPS) के माध्यम से ऑनलाइन खोल सकता है.
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