
महाकुंभ 2025 न सिर्फ आध्यात्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक साबित हुआ है. इस आयोजन ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त योगदान दिया है. अब जबकि महाकुंभ समाप्त हो चुका है, तो कारोबारी और अर्थशास्त्री इसके प्रभाव का आकलन करने में जुट गए हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, बीते एक महीने में करीब 4 करोड़ श्रद्धालु वाराणसी पहुंचे, जिससे 50 से 60 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ. इस दौरान होटल इंडस्ट्री ने सबसे अधिक मुनाफा कमाया, और उनकी कमाई सीजन के पांच पीक महीनों के बराबर हो गई.
होटल संचालकों के अनुसार, यह सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि होली तक के लिए अभी से बुकिंग शुरू हो चुकी है. केवल होटल ही नहीं, बल्कि टूर-ट्रैवल्स इंडस्ट्री, लोकल वेंडर्स, ई-रिक्शा चालक और छोटे दुकानदारों की कमाई भी चार गुना तक बढ़ गई है.
पलट प्रवाह ने वाराणसी में बढ़ाई डिमांड
बीएचयू से संबद्ध DAV पीजी कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप कुमार मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ के दौरान वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं को अर्थशास्त्र की भाषा में 'फ्री राइडर्स' या छलकाव कहा जाता है. उन्होंने बताया, तीन बड़े स्थानों- काशी, अयोध्या और विंध्यवासिनी मंदिर में इस पलट प्रवाह को देखा गया. अनुमान के अनुसार चार करोड़ श्रद्धालु वाराणसी पहुंचे, जिससे होटल, ट्रांसपोर्ट, वेंडर्स और दुकानदारों की कमाई बढ़ गई. जो होटल पहले 2,000 रुपये में बुक हो रहे थे, वे 8,000 रुपये तक पहुंच गए. ई-रिक्शा चालकों ने पहले 1,000 रुपये रोजाना कमाए थे, अब यह बढ़कर 5,500-6,000 रुपये हो गया. पैडल रिक्शा वालों की कमाई भी 300 रुपये से बढ़कर 1,200 रुपये हो गई. वेंडर्स ने अपनी आमदनी चार से पांच गुना बढ़ने की बात स्वीकारी.
प्रो. मिश्रा के मुताबिक, अगर एक श्रद्धालु 3,000 से 4,000 रुपये भी खर्च करता है, तो लगभग 20 से 25 हजार करोड़ रुपये की रकम बाजार में फ्लो हो रही है. इस प्रभाव से स्थानीय अर्थव्यवस्था, नगर निगम और राज्य सरकार को भी फायदा हुआ.
होटल-ट्रैवल इंडस्ट्री में रिकॉर्ड कमाई
टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन, यूपी के अध्यक्ष राहुल मेहता ने बताया कि महाकुंभ के पलट प्रवाह का पहले से अंदाजा था, जिसके कारण वाराणसी में होमस्टे और पेइंग गेस्टहाउस तेजी से खुले. उन्होंने कहा, “पहले केवल त्योहारों और शादी के सीजन में ही होटल-ट्रैवल इंडस्ट्री में रश देखने को मिलता था, लेकिन इस बार लगातार एक महीने तक होटल फुल रहे. वाराणसी में करीब 1000-1200 होटल और गेस्टहाउस, तथा 600-700 होमस्टे और पीजी हैं. होटल इंडस्ट्री ने एक महीने में ही लगभग 2000 करोड़ रुपये का कारोबार किया. यह ट्रेंड अब होली तक जारी रहेगा, क्योंकि होली की बुकिंग पहले से ही शुरू हो चुकी है.”
बुनकरों और लोकल व्यापार को भी फायदा
गवर्नमेंट अप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड अतानु बनर्जी ने बताया कि महाकुंभ के चलते डोमेस्टिक टूरिज्म में जबरदस्त इजाफा हुआ. रोजाना 5-10 लाख लोग वाराणसी आ रहे हैं. विशाल विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद से ही बनारस का टूरिज्म बढ़ा था, लेकिन कुंभ ने इसे बूम पर पहुंचा दिया. लगभग 2,500 नए होटल और गेस्टहाउस खुले, फिर भी डिमांड इतनी ज्यादा है कि श्रद्धालुओं को ठहरने और खाने की समस्या हो रही है. विदेशी सैलानी भी महाकुंभ में जबरदस्त रुचि ले रहे हैं.
इसे लेकर टूरिस्ट गाइड अतानु बनर्जी ने कहा, "महाकुंभ के चलते वाराणसी में टूरिज्म इंडस्ट्री को जबरदस्त फायदा हुआ. होटल और ट्रेवल इंडस्ट्री बूम पर हैं, और आने वाले महीनों तक यह सिलसिला जारी रहेगा."
साड़ी बुनकर अशोक कुमार ने बताया कि कुंभ की वजह से उनकी कमाई भी बढ़ गई. उन्होंने कहा, "महाकुंभ के बाद व्यापार में बहुत तेजी आई है. साड़ी की डिमांड बढ़ने से हमें मजदूरी भी ज्यादा मिल रही है."
खाद्यान्न कारोबार में भी उछाल
विशेश्वरगंज-भैरवनाथ व्यापार मंडल के अध्यक्ष प्रतीक गुप्ता ने बताया कि महाकुंभ के कारण वाराणसी में खाद्यान्न की बिक्री भी दोगुनी हो गई. उनके मुताबिक, जो 20 ट्रक आटा पहले बिकता था, अब यह 30-35 ट्रक हो गया. तेल की बिक्री 30 ट्रक से बढ़कर 45 ट्रक हो गई. चीनी की बिक्री 10 ट्रक से बढ़कर 20 ट्रक तक पहुंच गई. मंडी का दैनिक कारोबार 50 करोड़ से बढ़कर 75-80 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.