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क्या है उत्तराधिकार योजना, ब‍िजनेस घरानों में कैसे होता है संपत्त‍ि का बंटवारा? समझिए

रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रुप और श्रीराम ग्रुप जैसे साम्राज्य चलाने वाले प्रमुख बिजनेस परिवार हाल ही में अपने उत्तराधिकारियों को संपत्ति का बंटवारा करने के लिए ट्रस्ट स्थापित करने की योजना के लिए चर्चा में रहे हैं. खास तौर से ये कदम बीते समय में हुई व्यापारिक समूहों के बीच देखी गई गंदी कानूनी लड़ाई और मुकदमेबाजी से बचने के लिए है.

अंबानी परिवार अंबानी परिवार
हाइलाइट्स
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रुप ट्रस्टों के जरिए उत्तराधिकारी चुनने को लेकर चर्चा मे हैं

  • जानिए कैसे होता है ट्रस्ट के जरिए उत्तराधिकारी का चुनाव

रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रुप और श्रीराम ग्रुप जैसे साम्राज्य चलाने वाले प्रमुख बिजनेस परिवार हाल ही में अपने उत्तराधिकारियों को संपत्ति का बंटवारा करने के लिए ट्रस्ट स्थापित करने की योजना के लिए चर्चा में रहे हैं. खास तौर से ये कदम बीते समय में हुई व्यापारिक समूहों के बीच देखी गई गंदी कानूनी लड़ाई और मुकदमेबाजी से बचने के लिए है. नाइट फ्रैंक एटिट्यूड सर्वे 2021 के मुताबिक कोविड -19 महामारी के दौर में उत्तराधिकार योजना को लेकर अपने नज़रिये का दूबारा मूल्यांकन करने के लिए 84% सबसे अमीर भारतीयों पर असर डाला था.

पारिवारिक व्यवसायों में उत्तराधिकार योजना क्या है
अक्सर ये देखा गया है कि एक बड़े या छोटे परिवार के व्यवसाय के लिए उत्तराधिकार योजना में प्रबंधन, स्वामित्व और व्यवसाय के नियंत्रण को लेकर अगली पीढ़ी में  मनमुटाव होता है. इसलिए यह प्रक्रिया वसीयत लिखने से लेकर व्यवसाय की परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक प्रबंधन ट्रस्ट को बनाने और बढ़िया फैसला लेने के लिए बदल गई है, जिससे व्यवसाय को इसके संस्थापकों के निधन के बाद भी एक धन निर्माता बनने में मदद मिलती है. परपंरागत रूप से वसियत प्रणाली के हिसाब से संपत्ति का बंटवारा होता है. यहां तक ​​कि व्यकित के जीवित रहने तक यह फैसला अंतिम वक्त में बदल जाता है. 

ट्रस्ट से होता है परिस्थितियों पर नियत्रंण

किसी की मृत्यु के बाद ही कोई वसीयत प्रभावी होती है. जब तक व्यक्ति जीवित है तब तक वसीयत की कोई कीमत नहीं है, इसलिए जिस व्यक्ति ने संपत्ति बनाई है, उसके पास यह देखने का कोई तरीका नहीं है कि स्वामित्व बदलने के बाद क्या हो रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि लोग ट्रस्ट संरचना का उपयोग करके उत्तराधिकार योजना की तलाश नहीं करते हैं. नंगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर विश्वास पंजियार ने कहा, "मालिक के जीवित रहने तक तो एक ट्रस्ट संरचना को प्रभावी किया जा सकता है और परिस्थितियों पर आपका नियंत्रण होता है."

इसके अलावा, वसियत को लेकर अक्सर अदालतों में चुनौती दी जाती है, ट्रस्ट वारिसों और लाभार्थियों के बीच कानूनी लड़ाई भी होती है. ऐसे में ट्रस्ट का इस्तेमाल वारिसों को पारिवारिक व्यवसाय में शुरू करने के लिए भी किया जा सकता है क्योंकि उनका इस्तेमाल  संपत्ति वितरण के समय किया जा सकता है. इसके अलावा, एक बार ट्रस्ट बनने के बाद, ट्रस्टर का अपनी संपत्ति पर बहुत कम या कोई सीधा नियंत्रण नहीं होता है. इसके परिणामस्वरूप, व्यवसाय द्वारा डिफ़ॉल्ट की स्थिति में लेनदारों या बैंकों द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई से संपत्ति की रक्षा की जाती है.