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Fevicol trademark Violation: कंपनी ने की Fevicol पैकेजिंग की नकल, लगा लाखों का जुर्माना… जानें भारत में क्या हैं Trademark को लेकर नियम

बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रीमियर स्टेशनरी पर ₹50 लाख का जुर्माना लगाया है. ये जुर्माना ट्रेडमार्क कानूनों का सम्मान न करने और कोर्ट की अवमानना की वजह से लगाया गया है. 

Fevicol trademark violation (Representative Image) Fevicol trademark violation (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • कंपनी पर लगा लाखों का जुर्माना

  • ₹50 लाख का भारी जुर्माना लगाया गया

कुछ ब्रांड्स लोगों के जेहन में इस तरह बस जाते हैं कि वे हमेशा उन्हें ही खरीदते हैं. फिर चाहे वह कोई कपड़ों का ब्रांड हो, जूतों का हो, रोजमर्र्रा के सामान का या फिर फेविकोल का ही क्यों न हो. लेकिन कई बार छोटे व्यापारी अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए फेमस ब्रांड्स का सहारा ले लेते हैं. हालांकि, ये एक अपराध की श्रेणी में आता है. जी हां, हाल ही में इसी से जुड़े एक मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay highcourt) ने कुछ कंपनियों पर लाखों का जुर्माना लगाया है. 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रीमियर स्टेशनरी (Premier Stationery) इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और इसकी सहयोगी कंपनियों पर ₹50 लाख का भारी जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना फेविकोल एमआर के ट्रेडमार्क की वजह से लगाया गया है. दरअसल, कुछ समय पहले ही कोर्ट ने पिडिलाइट इंडस्ट्रीज के प्रोडक्ट फेविकोल एमआर (Fevicol MR) के ट्रेडमार्क की सुरक्षा के लिए आदेश जारी किया था. जिसका पालन नहीं करने पर ये एक्शन लिया गया है.

क्या है पूरा मामला?
फेविकोल ब्रांड के लिए मशहूर पिडिलाइट इंडस्ट्रीज (Pidilite Industries) ने एक स्टेशनरी कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. बाद में इस स्टेशनरी कंपनी को प्रीमियर स्टेशनरी इंडस्ट्रीज ने खरीद लिया था. इस मामले में मुख्य मुद्दा यह था कि पिडिलाइट ने दावा किया था कि स्टेशनरी कंपनी फेविकोल की अनूठी पैकेजिंग और ब्रांडिंग की नकल कर रही थी, खास तौर पर इसकी ग्लू बॉटल और गन के डिजाइन की. पिडिलाइट ने तर्क दिया कि पैकेजिंग इतनी मिलती-जुलती थी कि इससे ग्राहक भ्रमित हो सकते हैं, फेविकोल ब्रांड कमजोर हो सकता था और कंपनी की प्रतिष्ठा को और इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है.

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मुकदमे के बाद, पिडिलाइट और स्टेशनरी कंपनी दोनों ने समझौता करने पर सहमति जताई. इसका परिणाम ये हुआ कि 13 जुलाई, 2017 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिडिलाइट के पक्ष में एक आदेश जारी किया. इस आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि स्टेशनरी कंपनी को फेविकोल एमआर की पैकेजिंग के समान दिखने वाली किसी भी पैकेजिंग का उपयोग करने की अनुमति नहीं है. अदालत ने ये निर्णय पिडिलाइट के ट्रेडमार्क को बचाने के लिए दिया था. 

अदालत के निर्देशों के बावजूद, पिडिलाइट इंडस्ट्रीज ने बताया कि अगस्त 2020 में, प्रीमियर स्टेशनरी ने ऐसी पैकेजिंग का उपयोग फिर से शुरू कर दिया, जो फेविकोल एमआर के डिज़ाइन से काफी मिलती-जुलती थी. जिसके बाद फिर से मामला कोर्ट में पहुंचा.

प्रीमियर स्टेशनरी का बचाव
सुनवाई के दौरान, प्रीमियर स्टेशनरी ने तर्क दिया कि उसे पहले के कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. इसका कारण था कि कोर्ट के निर्णयों के बाद ही उन्होंने इस बिजनेस को शुरू किया था. कंपनी ने दावा किया कि फेविकोल और उनके बीच जो सहमति हुई थी वह आदेश उससे पहले जारी किया गया था, इसलिए उन्होंने इसका पालन नहीं किया. 

(फोटो- सोशल मीडिया)
(फोटो- सोशल मीडिया)

कोर्ट का फैसला 
इस पूरे केस को जस्टिस आरआई चागला ने सुना. हालांकि, वे प्रीमियर स्टेशनरी के तर्क से असहमत थे. उन्होंने कहा कि अवमानना ​​के मामलों में कोर्ट का अधिकार मूल पक्षों के अधिकारों से परे है. जस्टिस आरआई चागला ने इस बात पर जोर दिया कि प्रीमियर स्टेशनरी को पहले के कोर्ट के आदेश के बारे में पूरी जानकारी थी और उसने जानबूझकर इसे अनदेखा किया.

जिसके बाद कोर्ट ने प्रीमियर स्टेशनरी पर ₹50 लाख का जुर्माना लगाया. जस्टिस ने कहा कि कोर्ट के अधिकार और आदेशों का सम्मान किया जाना चाहिए, और ऐसा नहीं करने वाले के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए. 

भारत में क्या हैं ट्रेडमार्क नियम? 
आपको बता दें, भारत में ब्रांड और उनके ट्रेडमार्क चोरी को लेकर सख्त नियम हैं. ट्रेडमार्क एक तरह का साइन, लोगो या अभिव्यक्ति होती है जो उत्पाद को किसी दूसरे से अलग बनाती है. या ये उसे पहचान देती है. जब भी कोई कंपनी या प्रोडक्ट लॉन्च किया जाता है तो सबसे पहले उसका ट्रेडमार्क ही डिसाइड किया जाता है. ट्रेडमार्क को कानूनी रूप से सुरक्षित रखने के लिए, इसे ट्रेड मार्क्स रजिस्ट्री में रजिस्टर भी किया जाता है. इस रजिस्ट्रेशन के साथ मालिक को कई अधिकार भी मिल जाते हैं. यानी अगर कोई मालिक से बिना पूछे उनके ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. 

आपको बता दें, भारतीय कानून में ट्रेडमार्क से जुड़े नियमों को नहीं मानने वालों को सजा देने का प्रावधान है. उल्लंघन करने वाले पर  जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा, तीन साल तक की जेल का भी प्रावधान है.