केंद्र सरकार जल्द ही देश की अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेतपत्र (White Paper) लाने वाली है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण ने कहा कि सरकार 2014 से पहले के 'इकोनॉमी मिसमैनेजमेंट' को लेकर श्वेतपत्र लाने वाली है. बता दें, केंद्र में 2014 से पहले 10 साल तक यूपीए की सरकार थी. मई 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार आई थी. इसी को लेकर वित्त मंत्री ने घोषणा की- "अब यह देखना उचित है कि हम 2014 तक कहां थे और अब कहां हैं. सरकार सदन के पटल पर एक श्वेत पत्र रखेगी".
निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2014 में जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था को सुधारने और शासन प्रणाली को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी. समय की मांग है कि लोगों में उम्मीद जगाई जाए, निवेश लाया जाए और बेहद जरूरी सुधारों के लिए समर्थन जुटाया जाए.
क्या है श्वेतपत्र?
श्वेतपत्र राजनेताओं या देशों की ओर से जारी किया जाता है. यह एक चुनौतीपूर्ण मुद्दे पर जानकारी देने के लिए रिपोर्ट के रूप में काम करता है. आमतौर पर, इसे तब जारी किया जाता है जब किसी मुद्दे पर कई दृष्टिकोण एक साथ आते हैं, जिससे लोगों के लिए इसे समझने में मुश्किल होती है. इस दस्तावेज के माध्यम से, मुद्दों को स्पष्ट किया जाता है, समाधान ढूंढे जाते हैं और निष्कर्ष भी निकाले जा सकते हैं.
द चर्चिल पेपर
वाइट पेपर या श्वेतपत्र कोई नया शब्द नहीं है. ये 1922 से चला आ रहा है. जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने एक दंगे को संबोधित करने के लिए पहला "श्वेत पत्र" जारी किया था. इसके बाद, इसे चर्चिल व्हाइट पेपर (Churchill White Paper) के नाम से जाना जाने लगा. हालांकि यह शब्द बहुत बाद तक ऐसे ही बोला जाता रहा है.
क्या महत्व है इसका?
लोकतांत्रिक देशों में श्वेतपत्र काफी महत्व रखता है. श्वेतपत्र राजनेताओं के लिए नीतियों पर अपनी राय प्रस्तुत करने और उन्हें जनता तक प्रसारित करने के साधन के रूप में काम करता है. कनाडा जैसे देशों में, वाइट पेपर की मदद से सीधे जनता को सूचित किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे अलग-अलग नीतियों पर जनता की राय को बढ़ावा मिलता है.
सुधार की मांग में भी जारी किया जाता है वाइट पेपर
दिलचस्प बात यह है कि वाइट पेपर न केवल तब जारी किए जाते हैं जब स्पष्टता की कमी होती है बल्कि तब भी जारी किए जाते हैं जब सुधार की मांग की जाती है. हालांकि, इसमें कई विषयों को कवर किया जा सकता है. इसका अलावा, जवाबदेही के मामलों में भी इसे जारी किया जाता है.
कोविड-19 के समय चीन ने किया था जारी
बता दें, कोविड-19 के बाद चीन ने एक श्वेतपत्र जारी किया था. उन्होंने इसमें कहा था कि महामारी के दौरान उनसे कोई लापरवाही नहीं हुई. इसके बजाय, चीन ने किसी भी दोष से बचने के उद्देश्य से तुरंत दुनिया के साथ ये जानकारी साझा करने का दावा किया था. इसी तरह, कंपनियां अक्सर नए उत्पादों या टेक्नोलॉजी को दुनिया के सामने पेश करने के लिए वाइट पेपर जारी करती हैं.