बजट 2024-25 का बजट जनहित में होगा. बजट में टैक्सपेयर्स को गुड न्यूज मिल सकती है. सरकार करदाताओं को टैक्स छूट का तोहफा दे सकती है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खबर है कि नई टैक्स रिजीम में बदलाव हो सकता है. सरकार 15 से 17 लाख रुपए सालाना कमाने वाले व्यक्तियों को राहत दे सकती है.
टैक्सपेयर्स को मिल सकती है गुड न्यूज-
जुलाई के तीसरे हफ्ते में 2024-25 का पूर्ण बजट पेश होने की संभावना है. इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण टैक्स को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकती हैं. सरकार मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए आयकर छूट से जुड़े विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रही है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक साल 2024-25 का बजट जनहित में होगा. सरकार 15-17 लाख रुपए हर साल कमाने वाले व्यक्तियों के लिए इनकम टैक्स रेट कम करने पर विचार कर रही है. ये बदलाव न्यू टैक्स रिजीम में लागू हो सकते हैं. इस तरह से नई टैक्स रिजीम के टैक्स स्लैब में बदलाव देखने को मिलेगा.
5 साल से नहीं मिली है कोई छूट-
पिछले 5 साल से करदाताओं को आयकर संबंधी कोई छूट नहीं दी गई है. सरकार की तरफ से 5 साल में सिर्फ न्यू टैक्स रिजीम लागू किया गया है. जिसमें 50 हजार रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन को मिलाकर साढ़े 7 लाख रुपए की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है. अब वित्त मंत्रालय के सूत्रों से पता चला है कि करदाताओं को राहत दे सकती है और टैक्स स्लैब में बदलाव हो सकता है.
अभी क्या है न्यू टैक्स रिजीम और ओल्ड टैक्स रिजीम-
न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. जबकि 3 से 6 लाख रुपए तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स है. 6 से 9 लाख रुपए तक आय पर 10 फीसदी टैक्स है. जबकि 9 से 12 लाख रुपए पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख रुपए पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपए से ज्यादा की इनकम होने पर 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ेगा.
जबकि ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं है. अगर आपकी इनकम 5 लाख रुपए से कम है तो भी टैक्स जीरो है. लेकिन जैसे ही आपकी इनकम इस लिमिट को क्रास करती है, टैक्स की गणना 2.5 लाख से शुरू होगी. इसका मतलब 2.5 लाख से 5 लाख की इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा. 5 लाख से 10 लाख रुपए की इनकम पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा.
न्यू टैक्स रिजीम और वोल्ड टैक्स रिजीम में अंतर-
साल 2020 में सरकार एक टैक्स व्यवस्था लेकर आई, जो पहले से मौजूद टैक्स सिस्टम से अलग थी. साल 2020 में आई इस टैक्स सिस्टम को न्यू टैक्स रिजीम कहा गया. जबकि साल 2020 से पहले वाले टैक्स सिस्टम को ओल्ड टैक्स रिजीम कहा गया. टैक्सपेयर्स को न्यू टैक्स रिजीम और ओल्ड टैक्स रिजीम में किसी को भी चुनने का विकल्प रखा गया था.
(नई दिल्ली से ऐश्वर्या पालीवाल की रिपोर्ट)
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