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Gautam Adani Interview: गौतम अदाणी ने बताई कारोबारी सफर की कहानी, जानिए किस चीज से मिलती है बिजनेसमैन को सबसे ज्यादा खुशी

Gautam Adani: अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने इंडिया टुडे चैनल से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरा अदाणी ने अपने जीवन को लेकर खुलकर बात की. उन्होंने अपने प्रेरणा स्रोत से लेकर औद्योगिक सफर की कहानी बताई.

गौतम अदाणी ने कारोबारी सफलता की कहानी बताई गौतम अदाणी ने कारोबारी सफलता की कहानी बताई
हाइलाइट्स
  • 2050 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा भारत- अदाणी

  • 2050 तक भारत में 160 करोड़ युवा होंगे- अदाणी

गौतम अदाणी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी हैं. दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं होगा, जहां के लोग गौतम अदाणी को नहीं जानते होंगे. किचन से लेकर पोर्ट तक पर अदाणी का कारोबार फैला हुआ है. साल 2023 में अदाणी का क्या विजन है? उनको कहां से प्रेरणा मिलती है? इंडिया टुडे चैनल से बातचीत में गौतम अदाणी ने इन तमाम सवालों के जवाब दिए.

सबसे ज्यादा खुशी अदाणी को कब मिलती है?
गौतम अदाणी को सबसे ज्यादा खुशी कब मिलती है? इसपर उन्होंने कहा कि ये साल मेरे लिए बहुत बड़ा था. इस साल मैंने 60वां जन्मदिन मनाया. इसके अलावा इस मौके पर मेरे परिवार ने अदाणी फाउंडेशन को 60 हजार करोड़ रुपए दिए. ये मेरे दिल के करीबी और देश की नींव मजबूत करने वाले खास तीन मकसदों शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्किल डेवलेपमेंट के लिए है. इससे मुझे बहुत संतुष्टि और खुशी मिली, जो किसी पेशेवर उपलब्धि से बड़ी है.

जिंदगी में अदाणी को किससे मिली प्रेरणा?
गौतम अदाणी को व्यापार और जिंदगी में कहां से प्रेरणा मिलती है? इस सवाल पर अदाणी ने कहा कि एक आम आदमी की तरह मुझे भी हर देशवासी की हिम्मत, ताकत और जज्बा बहुत प्रेरित करता है. आपको बताता हूं ग्रीन टॉक्स सीरिज के दूसरे एडिशन में, मैं अरुणिमा सिन्हा औ किरण कनौजिया, जिन्होंने अपनी टांगों को गंवाकर भी दुनिया जीत ली, की कहानियों से बहुत प्रेरित हुआ. अरुणिमा ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाइयों को छुआ और किरण, ब्लेड रनर मैराथन भाग रही हैं. दोनों अविश्वसनीय और भारत का गर्व हैं. ये नए भारत के असली हीरो हैं. इनकी कहानियों से मेरी आंख में आंसू आ गए. मैं उनके जज्बे को सलाम करता हूं.

मैं शुरू से ही धीरूभाई अंबानी से प्रभावित हूं- 
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने अपनी प्रेरणा के बारे में बताया. उन्होंने धीरूभाई अंबानी को प्रेरणा स्रोत बताया. उन्होंने कहा कि धीरूभाई लाखों भारतीय उद्यमियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. उन्होंने बिना किसी सहयोग के और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद ना सिर्फ विश्वस्तरीय व्यापार समूह खड़ा किया. बल्कि एक विरासत को भी छोड़ा. मैं शुरू से ही धीरूभाई से प्रभावित हूं.

कर्ज के मुकाबले मुनाफा दोगुनी तेजी से बढ़ रहा- 
जब अदाणी से सवाल किया गया कि अदाणी समूह पर करीब दो लाख करोड़ का कर्ज है. आप कैसे विश्वास दिलाएंगे कि आप इसे चुका सकते हैं? इसर अदाणी ने कहा कि हम आर्थिक स्तर पर मजबूत और सुरक्षित हैं. ये शोर दो तरह के लोग कर रहे हैं. पहले वो हैं, जिनको आर्थिक स्थिति और कर्ज की पूरी जानकारी नहीं है. अगर वो समझ लेंगे तो कर्ज की सारी गलतफहमी दूर हो जाएगी. एक और तरह के निहित स्वार्थी लोग भी जबरदस्ती का भ्रम फैल रहे हैं और हमारी प्रतिष्ठा को खराब कर रहे हैं. सच तो ये है कि पिछले 9 सालों में हमारा मुनाफा, हमारे कर्ज से दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है. जिसकी वजह से हमारी Debt to EBITDA ratio 7.6 से घटकर 3.2 पर आ गई है. इससे हमारे ग्रुप की सही वित्तीय हालत पता चलती है, क्योंकि हमारी ज्यादातर कंपनियां इंफ्रास्ट्रक्चर के कारोबार में हैं, जहां पक्का कैश फ्लो होता है, ना कि उत्पादन की तरह. यही वजह है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने हमें भारत की सॉवरेन रेटिंग के बराबर रखा है.

बैंकों से कर्ज पर बोले अदाणी-
बैंकों से कर्ज के सवाल पर गौतम अदाणी ने कहा कि 9 साल पहले हमारे कर्ज में से 86 फीसदी भारतीय बैंकों से था, जो घटकर 32 फीसदी रह गया है. हमारे कर्ज का 50 फीसदी अब अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड से है. आप समझ सकते हैं कि इंटरनेशनल निवेशक पूरी जांच पड़ताल के बाद ही निवेश करता है.

अदाणी के औद्योगिक सफर की कहानी-
इंटरव्यू में गौतम अदाणी ने अपने औद्योगिक सफर की कहानी बताई. उन्होंने कहा कि मैं अपने औद्योगिक सफर को 4 हिस्सों में बांट सकता हूं. कई लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि मेरा सफर जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब शुरू हुआ. जब उन्होंनें एग्जिम पॉलिसी को बढ़ावा दिया और पहली बार कई चीजें OGL लिस्ट में आई. इससे मेरा एक्सपोर्ट हाउस शुरू हुआ. अगर वो न होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती. दूसरा मौका 1991 में आया जब नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार शुरु किए. मेरे साथ बहुत लोगों को इसका फायदा हुआ. इस बारे में पहले ही बहुत लिखा जा चुका है. तीसरा मौका 1995 में आया, जब केशुभाई पटेल गुजरात के सीएम बने. तब तक सिर्फ मुंबई से दिल्ली तक का एनएच 8 ही विकसित हुआ था. उनकी दूरदर्शिता और पॉलिसी के बदलाव से मुझे मुंडरा पर अपना पहला पोर्ट बनाने का मौका मिला. चौथा मौका 2001 में आया, जब गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने विकास की दिशा दिखाई. उनकी नीतियों से गुजरात में आर्थिक बदलाव के साथ अविकसित क्षेत्रों का भी विकास हुआ. उससे उद्योग और रोजगार का विकास हुआ.

2050 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था-
भारत के अर्थव्यवस्था पर अदाणी ने कहा कि आजादी के 75 साल में से 58 साल लगे 1 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के लिए, 12 साल में 2 ट्रिलियन और सिर्फ 5 और सालों में 3 ट्रिलियन. पर अब जिस तेजी से हम बढ़ रहे हैं, मुझे लगता है कि अगले दशक में हर 12 से 18 महीनों में हम जीडीपी में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ेंगे. मैं भारत की प्रगति और समृद्धि को लेकर बहुत ही आशावादी हूं. 2050 तक भारत में 160 करोड़ युवा होंगे. हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी मध्यवर्गीय जनसंख्या होगी. ये सब देश को प्रगति की दिशा में ले जाते हुए भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बना देगा. ये शताब्दी भारत की प्रगति की है.

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