बुधवार को अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) और सात अन्य व्यक्तियों पर गंभीर आपराधिक आरोप लगाए. ये आरोप धोखाधड़ी और वायर फ्रॉड से जुड़े हैं. इसमें अमेरिकी इन्वेस्टर्स और ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से पैसे जुटाने के लिए भ्रामक तरीके अपनाए जाने का आरोप है.
इस कानूनी कार्रवाई में आरोप लगाया गया है कि अभियुक्तों ने एक बड़े पैमाने पर साजिश रची, जिसमें रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी और कानून को चकमा देने जैसे अपराध शामिल हैं. ये मामले अमेरिकी कानूनों, जैसे Foreign Corrupt Practices Act (FCPA) और Foreign Extortion Prevention Act (FEPA), के उल्लंघन से संबंधित हैं.
किन पर लगे हैं आरोप?
इस मामले के प्रमुख अभियुक्त हैं:
1. गौतम अडानी (अडानी ग्रुप के चेयरमैन).
2. सागर अडानी (अडानी ग्रुप के एग्जीक्यूटिव).
3. विनीत जैन (अडानी ग्रुप के एग्जीक्यूटिव).
4. रंजीत गुप्ता (NYSE में लिस्टेड एक रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी के पूर्व एग्जीक्यूटिव).
5. रूपेश अग्रवाल (उसी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी के पूर्व एग्जीक्यूटिव).
6. सिरिल कबेनेस, सौरभ अग्रवाल, और दीपक मल्होत्रा (कनाडाई निवेश फर्म के पूर्व कर्मचारी).
इन व्यक्तियों पर आरोप है कि उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स में से एक के तहत कई अपराध किए, जिनमें करोड़ों के कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने और इन्वेस्टर्स को गुमराह करने की साजिश शामिल है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, अभियुक्तों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को $250 मिलियन (करीब 2,000 करोड़ रुपये) से ज्यादा की रिश्वत दी ताकि एनर्जी से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए जा सकें. साथ ही, उन्होंने अमेरिकी इन्वेस्टर्स से फंड लेने के लिए गलत जानकारी का उपयोग किया.
प्रमुख आरोप:
-वित्तीय रिकॉर्ड को फर्जी बनाना.
-निवेशकों और बैंकों को गुमराह करना.
-सबूत नष्ट कर और गलत जानकारी देकर कानून को चकमा देना.
क्या हैं ये कानून?
1. Foreign Corrupt Practices Act (FCPA)
ये एक अमेरिकी कानून है जिसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनाया गया है. यह कानून कंपनियों और व्यक्तियों को किसी भी विदेशी सरकारी अधिकारी को रिश्वत देकर अनुचित फायदा लेने, जैसे बिजनेस डील या कॉन्ट्रैक्ट लेने से सख्ती से रोकता है.
FCPA अमेरिका आधारित कंपनियों और उनके कर्मचारियों पर लागू होता है, चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में बिजनेस कर रहे हों. साथ ही, यह विदेशी कंपनियों पर भी लागू होता है. लेकिन ये तभी लागू होता है अगर वे अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हैं या अमेरिका में बिजनेस कर रहे हैं.
इस मामले में, अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर्स ने अडानी ग्रुप के अधिकारियों पर इस कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि आरोपियों ने बड़े एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी है. यह FCPA के खिलाफ है.
2. Foreign Extortion Prevention Act (FEPA)
अमेरिका का ये कानून भी भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करता है. इसके मुताबिक, विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देना या उनसे पैसे एक्सटॉर्ट करना गैरकानूनी है. खासकर जब यह अमेरिकी बिजनेस को प्रभावित कर रहा हो. यहां, रिश्वत (Bribery) का मतलब कोई बड़ा कॉन्ट्रैक्ट पाने या डील साइन करने के लिए किसी विदेशी सरकारी अधिकारी को पैसे या गिफ्ट्स देना है.
वहीं, Extortion का मतलब है किसी व्यक्ति या कंपनी पर दबाव डालकर या धमकी देकर उनसे पैसे या फायदा लेना. हालांकि FEPA का उपयोग अन्य कानूनों की तुलना में कम किया जाता है, लेकिन यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में Foreign Corrupt Practices Act के साथ मिलकर काम करता है. इन दोनों कानूनों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार में निष्पक्षता और ईमानदारी सुनिश्चित करना है.
इस मामले में अमेरिकियों का आरोप है कि आरोपियों ने FEPA का उल्लंघन किया है. उन्होंने कथित तौर पर बिचौलियों (intermediaries) और नकली कंपनियों (shell companies) का उपयोग करके विदेशी अधिकारियों को गुपचुप तरीके से रिश्वत दी.
गौरतलब है कि गौतम अडानी भारत के प्रमुख बिजनेसमैन में से एक हैं. अब ये मामला अमेरिका में ट्रायल के लिए जाएगा. अभियुक्तों को आरोपों का खंडन करने और अपना बचाव प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा.