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Success Story: दो भाइयों Murli Dhar और Bimal Gyanchandani ने मिलकर खोली थी Ghadi Detergent की पहली फैक्ट्री, फिर दिया था टैगलाइन- पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें

Murli Dhar And Bimal Kumar Gyanchandani Story: मुरलीधर ज्ञानचंदानी और बिमल ज्ञानचंदानी नाम के कानपुर के दो भाइयों ने घड़ी डिटर्जेंट की शुरुआत की थी. इस शुरुआत साल 1988 में एक छोटी सी फैक्ट्री में हुई थी. लेकिन जल्द ही ये ब्रांड भारत के बाजार में छा गया. आज RSPL ग्रुप के पास 12 हजार करोड़ की प्रॉपर्टी है.

साल 1988 में मुरलीधर और बिमल ज्ञानचंदानी ने घड़ी डिटर्जेंट बनाना शुरू किया था (Photo/Twitter) साल 1988 में मुरलीधर और बिमल ज्ञानचंदानी ने घड़ी डिटर्जेंट बनाना शुरू किया था (Photo/Twitter)

टीवी पर अक्सर आपने 'पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें' वाला विज्ञापन देखा होगा. ये टैगलाइन बच्चे-बच्चे की जुबां पर रहती है. ये टैगलाइन घड़ी डिटर्जेंट के मार्केट में साख को दर्शाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि आज करोड़ों का कारोबार देने वाले इस डिटर्जेंट को बनाने की शुरुआत एक छोटी सी फैक्ट्री में हुई थी. आपको बता दें कि RSPL ग्रुप घड़ी डिटर्जेंट बनाती है. जिसकी कुल संपत्ति 12 हजार करोड़ रुपए है.

दो भाइयों ने की थी शुरुआत-
साल 1988 में कानपुर के दो भाइयों मुरलीधर ज्ञानचंदानी और बिमल ज्ञानचंदानी साबुन का कारोबार शुरू किया. इनके पिता दयालदास ज्ञानचंदानी ग्लिसरीन से साबुन बनाते थे. उनके नक्शेकदम पर चलकर दोनों भाइयों ने साबुन का कारोबार शुरू किया. दोनों भाइयों ने फजलगंज फायर स्टेशन के पास एक डिटर्जेंट की फैक्ट्री खोली थी. इसको श्री महादेव सोप इंडस्ट्री नाम दिया. इसी फैक्ट्री में घड़ी साबुन बनाया जाने लगा.

पैदल और साइकिल से की डिलीवरी-
शुरुआत में दोनों भाइयों ने पैदल और साइकिल से मोहल्ले और दुकानों पर साबुन पहुंचाने का काम किया. लेकिन इसका कुछ खास फायदा नहीं हुआ. इसके बावजूद दोनों भाई अपने इस कारोबार में लगे रहे. लेकिन इस मार्केट में पहले से ही निरमा और व्हील जैसे कई ब्रांड मौजूद थे, जिनके सामने सिर्फ साबुन बनाकर टिकना मुश्किल था. इसके लिए दोनों भाइयों ने घड़ी को एक ब्रांड बनाने के लिए कुछ अलग तरीका अपनाया.

एक टैगलाइन से फेमस हुआ घड़ी ब्रांड-
उस समय मार्केट में मौजूद ज्यादातर डिटर्जेंट पीली या नीले रंग के होते थे. लेकिन दोनों भाइयों ने इसमे बदलाव किया और मार्केट में सफेद रंग का डिटर्जेंट लॉन्च किया. इसके साथ ही घड़ी डिटर्जेंट की क्वालिटी बेहतर थी और कीमत भी कम थी. इसलिए इसकी डिमांड बढ़ने लगी. सबसे अलग इसकी टैगलाइन थी. 'पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें' टैगलाइन खूब लोकप्रिय हुआ और बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ गया. इसके बाद घड़ी डिटर्जेंट उत्तर प्रदेश के मार्केट में एक जाना-पहचाना नाम बन गया. इसके बाद कंपनी ने इसका प्रचार-प्रसार दूसरे राज्यों में किया.
दोनों भाइयों ने दूसरी कंपनियों के मुकाबले विक्रेताओं को लुभाने के लिए ज्यादा कमीशन देना शुरू किया. कंपनी ने हर 200-300 किलोमीटर पर एक छोटी यूनिट या डिपो बनाना शुरू किया. इससे ट्रांसपोर्ट का खर्च बचने लगा और सामान भी जल्दी पहुंचने लगा. इस तरह से धीरे-धीरे घड़ी डिटर्जेंट ने मार्केट में मजबूत पकड़ बना ली. 

बेटे संभालते हैं बड़ी जिम्मेदारी-
साल 1997 में आरएसपीएल ग्रुप ने लेदर शूज बनाने के कारोबार में हाथ आजमाया. रेड चीफ के मालिक मुरलीधर के बेटे मनोज ज्ञानचंदानी हैं. इसके साथ ही उन्होंने डेयरी कारोबार भी करते हैं. जबकि बिमल ज्ञानचंदानी के बेटे मार्केटिंग की जिम्मेदारी संभालते हैं. साल 2005 में दोनों भाइयों ने कंपनी का नाम बदलकर आरएसपीएल ग्रुप कर दिया. इसके बाद साल 2006 में बर्तन सफाई के लिए एक्सपर्ट डिशवॉश बार लॉन्च किया. साल 2011 में ग्रुप ने नमस्ते इंडिया नाम से डेयरी क्षेत्र में भी कदम रखा. साल 2015 में महिलाओं के हाइजीन का ख्याल रखने के लिए प्रो-ईज लॉन्च किया. साल 2017 में ग्रुप ने फ्यूरो स्पोर्ट्स नाम से स्पोर्ट्स फुटवियर बनाने का काम भी शुरू किया.
आज दोनों भाई 12 हजार करोड़ के मालिक हैं. इनकी गिनती देश के सबसे अमीरों की लिस्ट में भी है. आज घड़ी भारतीय डिटर्जेंट मार्केट का नेतृत्व कर रही है.

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