
मंगलवार को जारी एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने कच्चे तेल, डीजल और जेट ईंधन (एटीएफ) पर लगाए गए नए लागू विंडफॉल टैक्स को एक बार फिर से संशोधित किया है. इस अधिसूचना से रिफाइनरी कंपनियों पर असर पड़ सकता है. खासकर कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएनजीसी (ONGC) जैसी कंपनियों पर.
डीजल और जेट फ्यूल पर कम की गई एक्साइज ड्यूटी
घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर कर ₹17,000 प्रति टन से बढ़ाकर ₹17,750 ($226.14) प्रति टन कर दिया गया है, जबकि जेट ईंधन पर निर्यात कर ₹4 प्रति लीटर से घटाकर जीरो कर दिया गया है. डीजल के निर्यात पर एक्साइज ड्यूटी ₹11 प्रति लीटर से घटाकर ₹5 प्रति लीटर कर दी गई है. पेट्रोल के निर्यात पर एक्साइज ड्यूटी जीरो ही है.
ये नए 3 अगस्त यानी आज से प्रभावी हो गए हैं. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू गई हैं और इसके परिणामस्वरूप भारत की तेल कंपनियों ने सामान्य से अधिक मुनाफा दर्ज किया है. राजस्व सचिव तरुण बजाज ने हाल ही में कहा था कि ईंधन पर विंडफॉल प्रॉफिट पर करों की समीक्षा जल्द ही होनी है क्योंकि वित्त मंत्रालय कच्चे तेल की कीमतों के आंकड़ों का इंतजार कर रहा है.
रिवेन्यू में आई कमी
बजाज का कहना है कि सरकार को पहले एक्साइज ड्यूटी में कटौती के कारण राजस्व में ₹1 लाख करोड़ की कमी का सामना करना पड़ रहा है और यह इस विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स से उलट नहीं किया जाएगा क्योंकि तेल की कीमतों में कमी आने पर विंडफॉल टैक्स को संशोधित किया जाएगा.
ऊर्जा कंपनियों के तेजी से बढ़ते मुनाफे को टैप करने के लिए भारत ने 1 जुलाई को कर लगाया था. जिसके बाद भारत अप्रत्याशित शुल्क लगाने वाले देशों की बढ़ती संख्या में शामिल हो गया. हालांकि, तब से अंतरराष्ट्रीय ईंधन की कीमतें कम हो गई हैं, जिससे तेल उत्पादकों और रिफाइनर दोनों के प्रॉफिट मार्जिन में कमी आई है.
क्या है विंडफॉल टैक्स
आपको बता दें कि विंडफॉल टैक्स केंद्र सरकार द्वारा एक फर्म पर लगाया जाने वाला एकमुश्त कर है. जब कंपनी को किसी ऐसी चीज से लाभ होता है जिसके लिए वे जिम्मेदार नहीं होते हैं, तो होने वाले वित्तीय लाभ को अप्रत्याशित लाभ (Windfall Gain) कहा जाता है. आमतौर पर, सरकारें ऐसे मुनाफे पर कर की सामान्य दरों के ऊपर एकमुश्त कर लगाती हैं, जिसे अप्रत्याशित कर (Windfall Tax) के रूप में जाना जाता है.