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GST Council: छात्रों के लिए खुशखबरी, अब एग्जामिनेशन फीस पर नहीं लगेगा जीएसटी, पेंसिल और शार्पनर का घटेगा दाम 

जीएसटी काउंसिल ने नेशनल टेस्टिंग एसेंजीस पर GST नहीं लगाने का फैसला किया है. इससे लाखों छात्रों को फायदा मिलेगा. पहले छात्रों को 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ता है था.

परीक्षा देते स्टूडेंट्स (फाइल फोटो) परीक्षा देते स्टूडेंट्स (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • जीएसटी काउंसिल की 49वीं बैठक में छात्रों को दी गई बड़ी राहत 

  • लिक्विड गुड़ पर भी जीएसटी जीरो करने का फैसला 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षात में हुई जीएसटी काउंसिल (GST Coucil) की 49वीं बैठक में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी मिली है. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने नेशनल टेस्टिंग एसेंजीस पर GST नहीं लगाने का फैसला किया है. इस फैसले से प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी. छात्रों को अब तक 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ता है. यानी अब जेईई, नीट जैसे तमाम एंट्रेंस टेस्टों की फीस कम हो सकती है

पेंसिल और शार्पनर पर GST घटाने का फैसला
जीएसटी काउंसिल ने राब यानी लिक्विड गुड़, पेंसिल, शार्पनर और चुनिंदा ट्रैकिंग उपकरणों पर जीएसटी की दर में कटौती करने का फैसला लिया. जीएसटी काउंसिल ने राब पर जीएसटी जीरो कर दिया है. अभी 18 फीसदी जीएसटी लगता है. इसे घटाकर जीरो कर दिया गया है. अगर ये पैकेट में बिकेगा तब उस पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा. इसके अलावा, जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेंसिल और शार्पनर पर जीएसटी की दरें घटाने का फैसला हुआ है. वित्त मंत्री ने कहा, पेंसिल और शार्पनर पर जीएसटी दरें 18% से घटाकर 12% कर दिया गया है.

पान, मसाला, गुटखा पर हुआ ये फैसला
जीएसटी काउंसिल ने पान मसाला और गुटखा पर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफारिशें मंजूर कर लीं. अभी तक पान मसाला, गुटखा पर मुआवजा सेस इनके बिक्री मूल्य पर लगता था, जिससे राजस्व में नुकसान हो रहा था. इसे रोकने के लिए अब इनके उत्पादन पर टैक्स ले लिया जाएगा. इसका नोटिफिकेशन जल्द जारी होगा. जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सभी राज्यों को बकाया मुआवजा 16,982 करोड़ रुपए जारी कर दिया जाएगा. ऑनलाइन गेमिंग पर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की रिपोर्ट को बैठक में नहीं लिया जा सका.

सालाना रिटर्न भरने में देरी होने पर इन्हें मिली राहत
कारोबारियों को सालाना रिटर्न भरने में देरी होने पर राहत दी गई है. जिन लोगों का कारोबार पांच करोड़ रुपए तक है, अगर वे देरी से सालाना रिटर्न भरते हैं तो अब तक उन पर लेट फीस 200 रुपए रोजाना की दर से लगती थी. इसे घटाकर अब 50 रुपए रोजाना कर दिया गया है. जिन लोगों का कारोबार 5 से 20 करोड़ रुपए के बीच है, उन्हें लेट फीस 100 रुपए प्रतिदिन देनी होगी. जिन लोगों का कारोबार 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है, उन्हें कोई राहत नहीं दी गई है. उन्हें लेट फीस रोजाना 200 रुपए के हिसाब से ही देनी होगी.