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Aadi Mahotsav: जानिए कैसे मजदूर से उद्यमी बनी यह महिला, पीएम मोदी ने भी खिंचाई साथ में फोटो

सीताबेन, एक अकेली मां ने साबित कर दिया कि सफल होने के लिए केवल कड़ी मेहनत, और समर्पण की आवश्यकता है.

PM at Aadi Mahotsav (Photo: Twitter/@AkrspIndia) PM at Aadi Mahotsav (Photo: Twitter/@AkrspIndia)
हाइलाइट्स
  • मजदूर से उद्यमी बनने का सफर

  • कमाती हैं 20,000 रुपए/महीना

गुजरात की एक प्रेरक आदिवासी उद्यमी ने साबित किया है कि सही प्रयास और समर्पण से सबकुछ हासिल किया जा सकता है. सीताबेन - गुजरात की एक साहसी आदिवासी महिला - ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 'आदि महोत्सव' में अपने व्यवसाय कौशल का प्रदर्शन करके लोगों को चौंका दिया. 

सीताबेन ने साबित कर दिया कि सफल होने के लिए केवल कड़ी मेहनत, और समर्पण जरूरी है. यह मायने नहीं रखता कि आपकी कोई औपचारिक शिक्षा है या नहीं. जबकि वजीरभाई कोछड़िया एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं कि कैसे ग्रामीण गुजराती सही स्किल्स, दृढ़ता और समर्पण के साथ सफलता प्राप्त कर सकते हैं. 

मजदूर से उद्यमी बनने का सफर
सीताबेन गुजरात के डांग जिले के सापुतारा की रहने वाली हैं. वह एक खेतिहर मजदूर के रूप में काम करती थीं. उन्होंने अपने शराबी पति सहित पांच सदस्यों के परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी उठाई. हालांकि, उनके पति की बाद में मृत्यु हो गई.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक मजदूर से एक उद्यमी बनने तक, सीताबेन की यात्रा दिलचस्प और प्रेरक है. उन्होंने विभिन्न मिलेट्स से बिस्कुट, चकरी, पापड़, और अन्य उत्पाद बनाकर व्यवसायी महिला के रूप में अपनी यात्रा शुरू की. सीताबेन के उत्पादों को तेजी से ग्राहक मिले. अब उनके बनाए उत्पाद पूरे गुजरात और भारत में बेचे जा रहे हैं.

पीएम मोदी के साथ ली तस्वीर
16 फरवरी से 27 फरवरी, 2023 तक, दिल्ली में आदि महोत्सव समारोह चल रहा है, जहां सीताबेन ने अपने मिलेट्स के बिस्कुट को जोश के साथ प्रदर्शित कर रही हैं. उन्हें हैरानी हुई कि इस कार्यक्रम में उनके प्रोडक्ट्स इतने पसंद किए गए कि उनका पूरा स्टॉक पहले दो दिनों में ही बिक गया.

सीताबेन उन उद्यमियों में से एक थीं, जिन्होंने आदि महोत्सव के उद्घाटन के दौरान पीएम से मुलाकात की थी. सीताबेन ने पीएम के साथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए कहा - "मैंने उनसे कहा कि मेरे साथी पूछेंगे कि मैं दिल्ली में किससे मिली थी और वह मुस्कुराए और उनके साथ एक तस्वीर ली." 

कमाती हैं 20,000 रुपए/महीना
अपने छोटे व्यवसाय के बारे में बात करते हुए, सीताबेन ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि अब वह हर महीने 15,000 से 20,000 रुपये कमा लेती हैं और अपने परिवार की देखभाल कर रही हूं. अब वह दांगी आदिवासी महिला खेदूत उत्पादक निर्माता कंपनी लिमिटेड के निदेशक मंडल की एक गौरवान्वित सदस्य हैं.

बांस से संवारा भविष्य
क्षमता, हिम्मत और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति का एक और उदाहरण वजीरभाई कोछड़िया हैं. भरूच जिले के हथाकुंड गांव में वे बांस से कई तरह के सामान बनाते हैं. उनका पूरा परिवार बांस के सामान का निर्माण और मार्केटिंग करता है. वह 2019 में 2 लाख रुपए से ज्यादा का बांस का सामान बेचने में सफल रहे थे.