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Tea-glass washing machine: यूट्यूब से सीखी मशीन डिजाइनिंग और किया अनोखा इनोवेशन, शार्क टैंक इंडिया से मिली लाखों की डील

Shark Tank India Season 2 में एक बार फिर एक स्टार्टअप को ऑल-शार्क डील मिली. इसका मतलब है कि इस स्टार्टअप में सभी शार्क्स ने निवेश किया.

Mahantam Co-founders (Photo: Instagram) Mahantam Co-founders (Photo: Instagram)
हाइलाइट्स
  • यूट्यूब से सीखी मशीन डिजाइनिंग

  • दिन-रात मेहनत करके बनाई मशीन 

शार्क टैंक इंडिया के सीज़न 2 में कई इनोवेशन स्टोरीज सामने आई हैं. मोटराइज्ड व्हीलचेयर से लेकर पोर्टेबल प्रेग्नेंसी मॉनिटरिंग डिवाइस तक, कई इनोवेटिव आइडियाज में शार्क्स ने इंवेस्ट किया है. हाल ही में, शो में एक और स्टार्टअप, महंतम ने अपनी पिच प्रेजेंट की. यह कंपनी सड़क के किनारे चलने वाले चाय के स्टॉल्स के लिए चाय के गिलास धोने के लिए एक ऑटोमेटिक मशीन बनाती है. 

इस कंपनी को दो भाइयों, 20 साल के धवल प्रकाशभाई नाई और 22 साल के जयेश प्रकाशभाई नाई ने स्थापित किया है. ये दोनों भाई गुजरात के बनासकांठा जिले से हैं. महंतम ने अब तक 3 मशीनें बेची हैं और बहुत से वेंडर्स उनसे मशीन के लिए पूछ रहे हैं. धवल और जयेश की कहानी हर किसी को प्रेरित कर सकती है. 

यूट्यूब से सीखी मशीन डिजाइनिंग
शार्क टैंक इंडिया शो में धवल ने बताया कि कैसे उन्होंने यूट्यूब से मशीन डिजाइनिंग सीखा और पहली मशीन बनाई. उनके संघर्ष की कहानी ने सभी शार्क को प्रभावित किया. शादी डॉट कॉम के संस्थापक अनुपम मित्तल ने कहा, "आपकी कहानी देखने के बाद हर गांव में बच्चा कहेगा कि मैं भी आविष्कार करना चाहता हूं और एक फलता-फूलता कारोबार शुरू करना चाहता हूं."

आपको बता दें कि जयेश हमेशा से व्यवसाय करना चाहते थे. वहीं, धवल अपना डिप्लोमा कर रहे थे और अपने कॉलेज के पास के चाय की दुकान पर एक नियमित ग्राहक थे. एक दिन उन्होंने देखा कि जिस पानी से गिलास धोए जा रहे हैं उसी टब से एक बकरी पानी पी रही है. उन्होंने इस बारे में चाय स्टॉल के मालिक से कहा तो उन्होंने इग्नोर करने को कहा. तब उन्हें विचार आया कि चाय के स्टॉल्स पर गिलास धोने के लिए कोई ऑटोमेटिक मशीन होनी चाहिए. 

दिन-रात मेहनत करके बनाई मशीन 
धवल ने न केवल उस स्टॉल से चाय पीना बंद कर दिया, बल्कि उन्होंने बदलाव लाने का भी फैसला किया. कोविड लॉकडाउन के दौरान उन्होंने घर पर ही यूट्यूब से मशीन डिजाइनिंग सीखना शुरू किया और 6 महीने में इसके सैद्धांतिक पहलू को समझ लिया. एक बार लॉकडाउन हटने के बाद, उन्होंने एक हार्डवेयर की दुकान पर मुफ्त में काम किया. 

इस दुकान पर उन्होंने बचे हुए स्क्रैप के साथ काम किया और जैसे-तैसे उन्होंने अपना पहला प्रोटोटाइप बनाया - जो असफल रहा. धवल ने अपने डिजाइन में सुधार करना जारी रखा और चार अलग-अलग प्रोटोटाइप बनाए. लेकिन सभी असफल रहे. पैसे या सामग्री उपलब्ध नहीं होने पर, धवल मार्गदर्शन के लिए अपने कॉलेज के प्रोफेसर के पास पहुंचे.

डिजाइन पर काम करने के लिए उन्हें अपने प्रोफेसर से ₹10,000 मिले. और आखिरकार उन्होंने एक ऐसी मशीन बनाई जो कार्यशील थी - लेकिन यह बाजार के लिए उपयुक्त नहीं थी. उनके एक दोस्त ने YouTube पर मशीन का एक वीडियो अपलोड किया, तो उन्हें लोगों ने पूछना शुरू किया. उन्होंने पहली मशीन मुफ्त में दे दी. इसके बाद उन्हें किसी तरह 1 लाख रुपए की फंडिंग मिली और उन्होंने 5 मशीनें बनाईं. 

शुरू किया अपना बिजनेस 
इन मशीनों को धवल और जयेश ने बेचने की कोशिश की. उन्होंने तीन मशीनें बेचीं- एक कर्नाटक में, एक तमिलनाडु में और एक महाराष्ट्र में.
बाद में, धवल को अनुपम मित्तल की पहल, ड्रीमडील डॉट कॉम से अनुदान मिला. DreamDeal.com पर लोगों को एक छोटी इंस्टाग्राम रील बनानी थी और अपने आइडियाज को पेश करना था. चयनित विजेताओं को बिना इक्विटी के ₹1 लाख तक का अनुदान मिला. 

अनुदान राशि का उपयोग करते हुए, धवल ने डिज़ाइन को अपग्रेड किया और इस मशीन के साथ वह शार्क टैंक इंडिया आए. यह मशीन चाय विक्रेताओं को ₹28,000 प्रति यूनिट के हिसाब से बेची जा रही है. मशीन हाई प्रेशर पानी का उपयोग करके केवल 30 सेकंड में 15 चाय के गिलास धो सकती है. इसमें 38 लीटर पानी की क्षमता है - जो 250 गिलास धोने में मदद कर सकती है. शो में धवल ने साझा किया कि मशीन के आकार को छोटे चाय स्टालों या कॉम्पैक्ट क्षेत्रों के हिसाब से भी समायोजित किया जा सकता है. 

सीज़न की दूसरी ऑल-शार्क डील
धवल के दृढ़ संकल्प और समर्पण ने जजों को प्रभावित किया. अनुपम मित्तल ने 20% इक्विटी हिस्सेदारी के लिए ₹30 लाख की पेशकश की और कंपनी का वैल्यूशन ₹1.5 करोड़ किया. boAt के सह-संस्थापक अमन गुप्ता ने साझा किया कि वह मित्तल की पेशकश में शामिल होना चाहेंगे. इसके तुरंत बाद, पूरा पैनल- विनीता सिंह (सह-संस्थापक, शुगर कॉस्मेटिक्स), नमिता थापर (कार्यकारी निदेशक, एमक्योर फार्मास्युटिकल्स), और पीयूष बंसल (सह-संस्थापक, लेंसकार्ट) भी मित्तल से जुड़ गए. 

उम्मीद है कि धवल और जयेश का स्टार्टअप अपने मुकाम को हासिल करे क्योंकि इस तरह की मशीन की भारत को बहुत ज्यादा जरूरत है. इससे बहुत से लोगों को फायदा होगा और ग्राहकों को स्वच्छता का विश्वास रहेगा.