
उत्तर प्रदेश के गोंडा के एक शख्स को बचपन से खेती-किसान का शौक था. खेती में उनका मन लगता था. इसका असर उनकी पढ़ाई पर हुआ. उन्होंने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी. लेकिन खेती की तरफ उनका रुझान बना रहा. उन्होंने यूट्यूब से खेती करना सीखा. इसके बाद वो सहफसली खेती करने लगे. गुरु दयाल मौर्य नाम के ये किसान पारंपरिक खेती की जगह कुछ नया करना चाहते थे. उन्होंने लौकी और गोभी की खेती शुरू की. इससे उनको अच्छा-खासा मुनाफा हो रहा है.
एक साथ उगाते हैं 2 फसल-
गुरु दयाल मौर्य गोंडा के रुपईडीह ब्लॉक के रुपईडीह गांव के रहने वाले हैं. गुरु दयाल एक खेत में एक समय में दो फसल उगा रहे हैं. गुरु दयाल लौकी और गोभी की खेती कर रहे हैं. वो 5 एकड़ में खेती कर रहे हैं. इससे उनको सालाना लाखों का टर्नओवर हो रहा है. गुरु दयाल कई सालों से सहफसली खेती कर रहे हैं. वे लौकी के साथ आलू, फूलगोभी, बंद गोभी, मूली की खेती करते हैं.
पढ़ाई में नहीं लगता था मन-
गुरु दयाल मौर्य को बचपन से खेती-किसानी का शौक है. उनका मन पढ़ाई-लिखाई नहीं लगता था. किसी तरह से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की. उसके बाद पढ़ाई के मुंह मोड़ लिया और खेती-किसानी में पूरे तन-मन से जुट गए. आज वो अच्छी-खासी खेती करते हैं.
कहां से आया खेती का आइडिया-
हिंदी डॉट न्यूज 18 डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरु दयाल मौर्य बताते हैं कि उनको खेती करने का आइडिया यूट्यूब देखकर मिला. इस आइडिया ने उनकी जिंदगी बदल दी. उन्होंने यूट्यूब पर देखा कि एक समय में एक खेत में 2 फसल कैसे उगाई जा सकती है. इसके बाद गुरु दयाल ने भी इस विधि को अपनाया. उन्होंने बताया कि 3 महीने में लौकी और गोभी की खेती से करीब 15 से 16 लाख रुपए की सालाना कमाई हो जाती है.
गुरु दयाल का कहना है कि आजकल के किसानों को नए तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए और खेती करनी चाहिए, ताकि उनको अधिक से अधिक लाभ मिल सके.
लौकी की खेती का तरीका-
लौकी की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना होता है. खेत में 2-3 बार जुताई करनी चाहिए. बीज बोने के लिए 5-6 फीट की दूरी पर गड्ढे बनाएं. उसमें गोबर की खाद डालें. बीज लगाने के बाद नियमित तौर पर उसमें पानी दें. लेकिन खेत में जलभराव से बचना होगा. फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए फूल आने पर पानी में घुलनशील उर्वरक का छिड़काव करें. मचान विधि से लौकी की खेती करने पर पौधे आसानी से ऊपर चढ़ सकते हैं. जिससे दवाई डालने में आसानी होती है. लौकी की फसल 50 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है.
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