आज के डिजिटल जमाने में ऑनलाइन स्कैम्स आम बात हो गए हैं. कुछ समय बाद, ऑनलाइन स्कैम्स के कुछ नए-नए तरीके हमारे सामने आते रहते हैं. हाल ही में, Digital Arrest Scam सामने आया, जिसमें अलग-अलग शहरों में लोगों को ठगा गया. डिजिटल अरेस्ट स्कैम में ठग पुलिस के रूप में लोगों को ठगते हैं. इस तरह के स्कैम्स के बाद बहुत ही कम मामलों में लोगों को उनके पैसे वापस मिलते हैं. हालांकि, गुरुग्राम की रहने वाली एक IT इंजीनियर, साक्षी गुप्ता को स्कैम के दो महीने बाद उनके पैसे वापस मिल गए हैं.
3 अक्टूबर 2023 को साक्षी गुप्ता से 7 लाख रुपये ठगे गए. स्कैमर्स ने खुद को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के अधिकारी होने का दावा करते हुए, उनसे स्काइप पर 2.5 घंटे से ज्यादा समय तक "पूछताछ" की. इस दौरान साक्षी से दो ट्रांजैक्शन करने के लिए कहा गया ताकि वह ये साबित कर सकें कि उनके बैंक अकाउंट मनी लॉन्ड्रिंग से नहीं जुड़े हैं. लेकिन दो महीने बाद, साक्षी, उनके पति और बैंक के प्रयासों से, पैसे रिकवर किए गए और उनके खाते में वापस ट्रांसफर किए गए.
क्या था पूरा मामला
साक्षी ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि अक्टूबर में उन्हें एक फोन आया जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को FedEx से होने का दावा करते हुए बताया कि उनके कूरियर का कस्टम्स डिपार्टमेंट ने "भंडाफोड़" किया है. साक्षी ने उन्हें बताया कि उन्होंने कोई ऑर्डर नहीं दिया था. लेकिन जब कॉल करने वाले ने उन्हें उनका आधार कार्ड नंबर बताया और कहा कि उनकी आईडी अवैध गतिविधियों से जुड़ी हुई है, तो वह परेशान हो गईं. इससे पहले कि वह ज्यादा जानकारी पूछती, उनसे कहा गया कि उनका कॉल मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया जा रहा है.
साक्षी ने बताया कि उनसे स्काइप कॉल जॉइन करने के लिए कहा गया. साक्षी से कहा गया कि उन्हें हर समय अपना कैमरा और माइक चालू रखना होगा. वह घबरा गईं थीं और उन्होंने वही किया जो उनसे का गया. उन्होंने स्काइप पर उन लोगों के पास मौजूद लोगो की जांच की और वह मुंबई पुलिस के लोगो से मेल खा रहा था. उन्होंने कहा कि साक्षी के आधार से मनी लॉन्ड्रिंग के कई मामले जुड़े हुए हैं और उन्हें यह कहते हुए शिकायत दर्ज करने की ज़रूरत है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया है.
बैंक से कराए पैसे ट्रांसफर
स्कैमर्स ने उनसे उनके बैंक अकाउंट की जानकारी मांगी. साक्षी से कहा गया कि उनके बैंक और संबंधित विभागों को यह जांचना होगा कि उनके खाते मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े तो नहीं हैं, और उनसे दो लेनदेन में 2,80,931 रुपये और 3,92,008 रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा. साथ ही, उन्होंने साक्षी को आश्वासन दिया कि 15 मिनट में पैसा वापस कर दिया जाएगा. लेकिन जैसे ही साक्षी ने पैसे ट्रांसफर किए तो उनकी कॉल कट गई. साक्षी का कहना है कि कॉल करने वालों ने स्काइप चैट पर एक अधिकारी की आईडी अपलोड की, साथ ही एक प्रोसीजरल रिपोर्ट भी अपलोड की, जिस पर आरबीआई लिखा हुआ था. लेकिन जब पैसे कटने के बाद उन्हें कॉल करने वालों से कोई जवाब नहीं मिला, तो उनको एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है.
साक्षी और उनके पति, अर्पित गांधी ने तुरंत पैसे का पता लगाने के लिए कड़ी मेहनत की. उन्होंने ICICI बैंक में अपने दोस्त को फोन किया. उन्होंने उन अकाउंट्स पर लियन मार्क लगाने का अनुरोध किया. लियन मार्क या ग्रहणाधिकार चिह्न का मतलब है कि बैंक आपके अकाउंट में एक निश्चित राशि को अवरोध कर देता है जिसे आप ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं और न ही निकाल सकते हैं. इसके बाद साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन (पश्चिम) को फोन किया. पुलिस और बैंक को कई ईमेल भेजने के बाद, बैंक ने कहा कि ट्रांजैक्शन प्रमाणित हो गए हैं, इसलिए उन्हें शिकायत बंद करनी होगी.
एक्टिव एप्रोच ने की मदद
पुलिस ने साक्षी को सूचित किया कि आरोपियों के बैंक खातों का इस्तेमाल पहले भी इसी तरह के घोटालों के लिए किया गया है और महाराष्ट्र पुलिस और अन्य राज्य बलों ने इसकी सूचना दी थी. इसके बाद, बैंक ने आदेश दिया कि आरोपी का खाता फ्रीज कर दिया जाए. लेकिन तब भी साक्षी को उनका पैसा वापस नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने पुलिस से संपर्क करने का फैसला किया.
वे डीसीपी (दक्षिण) सिद्धांत जैन के पास गए जिन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें सिविल कोर्ट से संपर्क करना चाहिए. कोर्ट ने पुलिस को नोटिस भेजकर धनराशि जारी करने का आदेश दिया. पुलिस ने अदालत का आदेश गुवाहाटी और मुंबई की उन शाखाओं को भेजा जहां पैसे का पता लगाया गया था और उसे जारी कर दिया गया. साक्षी को राशि की पहली किश्त 1 दिसंबर को और बाकी 5 दिसंबर को मिली.
डीसीपी जैन ने कहा कि साक्षी के मामले में समय पर रिपोर्टिंग करने से मदद मिली. जब दंपति ने बैंक को अलर्ट और 1930 के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई, तो बैंकों को सूचित किया गया और इससे पहले कि पैसा किसी दूसरे खाते में ट्रांसफ किया जा सके या एटीएम के माध्यम से निकाला जा सके, अकाउंट्स को होल्ड कर दिया गया. अगर आप स्कैम होने पर एक्टिव होकर समय से शिकायत करें तो पैसे वापस मिलने की संभावना बढ़ जाती है