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H-4 visa Holders के लिए बड़ी राहत, अमेरिकी कोर्ट का फैसला- देश में काम कर सकते हैं H1B वीजा धारकों के जीवनसाथी

H-4 visa Holders: यह मामला वाशिंगटन के डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का है, जहां सेव जॉब्स यूएसए बनाम यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी के मामले में कोर्ट ने फैसला दिया और इस सेव जॉब्स की याचिका को खारिज कर दिया. इस फैसला के बाद एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी का अमेरिका में काम करने का अधिकार बरकार रहेगा.

अमेरिका में एच-4 वीजा धारकों को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है अमेरिका में एच-4 वीजा धारकों को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है

एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी यानी एच-4 वीजा धारकों को अमेरिका में काम करने को लेकर कोर्ट में बड़ी कामयाबी मिली है. एक अमेरिकी कोर्ट ने कहा कि कि एच1वीजा धारकों के जीवनसाथी अमेरिका में काम कर सकते हैं. आपको बता दें कि वीजा धारकों के जीवनसाथी के अमेरिका में काम करने के अधिकारों को कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियों ने कोर्ट से इस नियम को कायम रखने की अपील की थी. अब उनको इसमें कामयाबी मिली है.

कोर्ट ने खारिज की याचिका-
एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी के अमेरिका में काम करने के अधिकारों को वाशिंगटन की अदालत में चुनौती दी गई थी. यूएस डिस्ट्रिक्ट जज तान्या चुटकन ने ओबामा सरकार के समय को उस नियम को बरकरार रखा है, जिसके तहत अमेरिका में एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी को काम करने की इजाजत दी गई थी. इस नियम के तहत यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने अमेरिका में हजारों एच1बी वीजा धारक कर्मचारियों के जीवनसाथी को एच-4 वीजा जारी किया है. इसमें से 70 फीसदी कर्मचारी टेक सेक्टर के साइंस और इंजीनियरिंग जॉब कर रहे हैं.

बड़ी टेक कंपनियों अमेजन, एप्पल, गूगल और माइक्रोसाफ्ट जैसी कंपनियों ने कोर्ट से इस नियम को बरकरार रखने की अपील की थी. इस फैसले से एच-4 वीजा धारकों को बड़ा फायदा होगा.

सेव जॉब्स नाम के ग्रुप ने दी थी कोर्ट में चुनौती-
साउथ कैलिफोर्निया एडिसन कंप्यूटर प्रोफेशनल्स के एक ग्रुप सेव जॉब्स ने कोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि जज चुटकन ने अपने फैसले में इस ग्रुप के तर्कों को खारिज कर दिया. उनका दावा था कि होमलैंड सिक्योरिटी को कानून रूप से इस नियम को लागू करने की इजाजत नहीं थी. जिसके तहत एच1बी वीजा धारकों ने उनकी नौकरियां ले ली. सेव जॉब्स ग्रुप ने 90 हजार से ज्यादा एच-4 वीजा धारकों की नौकरियों को खत्म करने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया.

हालांकि सेव जॉब्स के वकील ने इसके खिलाफ अपील करने की बात कही. वकील जॉन मियानो ने कहा कि हम पूरी तह से अराजकता में हैं, क्योंकि फेडरल कोर्ट ने कांग्रेस के इमिग्रेशन सिस्टम पर कंट्रोल को छीन लिया है और उन अधिकारों को डीएचएस को सौंप दिया है.

क्या था कंपनियों का तर्क-
टेक कंपनियों ने एक ग्रुप में इस मामले में याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि एच-4 वीजा को खत्म करने से यूएस का ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट कम होगा. इसके साथ ही इस प्रोडक्टिविटी और इसके साथ आने वाले इनोवेशन को दूसरे देशों के लिए गिफ्ट में दे दिया जाएगा. उनका कहना है कि इससे प्रभावित परिवारों में से 87 फीसदी ने जीवन में महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. जिसमें उनका घर खरीदा और परिवार बनाना शामिल है.
जज चुटकन ने पहले भी इस मुकदमे को खारिज किया था. लेकिन फेडरल अपील कोर्ट ने साल 2019 में इस फैसले को पलट दिया था. लेकिन एक बार फिर कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है.

भारतीयों को होगा फायदा-
ओबामा सरकार में इस नियम को लागू किया गया था. फिलहाल अमेरिका में 71 हजार एच-4 वीजा धारक काम कर रहे हैं. कोर्ट के इस फैसले से उनकों बड़ी राहत मिली है. इन वीजा धारकों में एक बड़ी संख्या भारतीयों की है. इसमें सिर्फ 4 फीसदी चाइनीज हैं. एच-4 वीजा धारकों में 94 फीसदी महिलाएं हैं.

क्या है एच-4 और एच-1बी वीजा-
ओबामा सरकार ने एक विशेष आदेश जारी किया था. जिसके तहत एच-1बी वीजा धारकों के पति या पत्नी को वर्क परमिट जारी किया जाता है. जबकि एच-1बी वीजा एक गैर अप्रवासी वीजा है, जो अमेरिका में आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 101 (15) के तहत दिया जाता है. ये वीजा अमेरिकी कंपनियों को विभिन्न कारोबार में विदेशी कामगारों को अस्थाई तौर पर रोजगार देने की इजाजत देता है.

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