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Happiness at Work Study: 54% कर्मचारी छोड़ना चाहते हैं जॉब, 80% अपनी नौकरी से खुश नहीं, ज्यादातर मिलेनियल्स वर्क प्लेस पर कनफ्लिक्‍ट से परेशान

Work Load के चलते 26 साल की सीए एना की मौत के बाद देशभर में लोग वर्क प्लेस पर मेंटल हेल्थ को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं. लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने-अपने अनुभव शेयर किए हैं. 

Work Load Work Load
हाइलाइट्स
  • क्‍यों जॉब छोड़ना चाहते हैं लोग

  • 70% भारतीय कर्मी अपनी नौकरी से असंतुष्‍ट

काम के दबाव से पुणे में ईवाई की 26 वर्षीय सीए एना सेबेस्टियन की मौत की चर्चा हर जगह है. एना की मौत के बाद देशभर में लोग वर्क प्लेस पर वर्क लोड को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं. लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने-अपने अनुभव शेयर किए हैं. 

इस बीच हैप्पीएस्ट प्लेसेस टू वर्क की रिपोर्ट 'हैप्पीनेस एट वर्क' के सर्वे में ये सामने आया है कि करीब 70 फीसदी भारतीय कर्मचारी अपनी नौकरी से खुश नहीं हैं और इनमें से करीब 54 फीसदी कंपनी से रिजाइन करने की प्लानिंग कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह काम में असंतोष है.

फिनटेक सेक्‍टर में 40% एम्पलॉई अपने काम से खुश
देश के अलग-अलग हिस्‍साें और अलग-अलग इंडस्‍ट्री सेक्‍टर्स में भी महिला-पुरुष कर्मियों के बीच उनकी जॉब को लेकर हैप्‍पीनेस में काफी अंतर है. रिपोर्ट से पता चलता है कि फिनटेक सेक्‍टर में 40% एम्पलॉई अपने काम से खुश हैं. इसके बाद बायोटेक्‍नोलॉजी (39%) और IT (38%) सेक्‍टर के एम्पलॉई की स्थिति है. बैंकिंग, इंश्‍योरेंस, फाइने‍ंशियल सर्विसेज और FMCG सेक्‍टर में काम करने वाले हर 10 में से 7 लोग अपने काम से खुश नहीं है. इस सेक्टर में हैप्पी एम्पलॉई महज 30% ही हैं.

रियल एस्‍टेट और कंस्‍ट्रक्‍शन सेक्‍टर के कर्मचारी सबसे नाखुश
वहीं रियल एस्‍टेट और कंस्‍ट्रक्‍शन सेक्‍टर में महज 20% लोग ही अपनी नौकरी से खुश हैं. वर्कप्लेस पर कर्मचारियों की ख़ुशी कई वजहों से जरूरी है. वो जो काम करते हैं उसमें उन्हें संतुष्टि का अनुभव होना चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है तो उत्पादकता प्रभावित होती है. सर्वे में शामिल लोगों के मुताबिक, उनमें काम को लेकर पर्सनल संतुष्टि का लेवल कम है. वहीं सपोर्ट सिस्‍टम का पर्याप्‍त न होना इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकती है. RPG ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने इस सर्वे रिपोर्ट की भूमिका लिखी है. उनका मानना है कि कर्मियों का नौकरी से संतुष्‍ट होना कंपनी के लिए भी अच्‍छा है.

वर्कलोड

62% कर्मचारी अपनी बात नहीं रख पाते
इस अध्ययन का निष्कर्ष ये है कि भारत में ज्यादातर कर्मचारी अपने वर्कप्लेस पर खुश नहीं हैं. 63% कर्मचारियों का मानना है कि वर्कप्‍लेस पर कनफ्लिक्‍ट उनकी काम की क्षमता को प्रभावित करते हैं. जबकि 62% कर्मचारी ऐसे हैं जो ऑफिस में अपनी बात नहीं रख पाते हैं. शोध में यह भी पाया गया कि वर्कफोर्स की खुशी का स्तर उनकी उम्र पर भी निर्भर करता है. इस मामले में 25 वर्षीय व्यक्ति का अनुभव और समस्याएं 30 वर्षीय या 40 वर्षीय कर्मचारी से अलग हो सकती हैं.

मिलेनियल्स छोड़ना चाहते हैं नौकरी
इस निष्कर्ष में सबसे दिलचस्प बात ये है कि 28-44 एज ग्रुप (मिलेनियल्स) के लोगों में नौकरी छोड़ने का इरादा सबसे ज्‍यादा 59% है. 80% मिलेनियल्स अक्‍सर कनफ्लिक्‍ट के चलते जॉबमेट्स के साथ काम करने से बचते हैं. 63% मिलेनियल्स को काम पर उनके योगदान के लिए पर्याप्त सराहना और सम्मान नहीं दिया जाता है. 59% मिलेनियल्स अपनी रुचि के लिए समय नहीं निकाल पाते.

क्यों खुश हैं फिनटेक सेक्टर के कर्मचारी
फिनटेक इंडस्ट्री के कर्मचारी रियल एस्टेट सेक्टर के कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा खुश हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह है वर्क लाइफ बैलेंस. उन्हें नई चीजें सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. फिनटेक में ग्रोथ तेजी से होती है और मौके भी मिलते हैं. लोगों के पास फ्लैक्सिबल वर्क ऑप्शन है. जिसकी वजह से इस सेक्टर के कर्मचारी खुद को वर्क लोड से दबा हुआ नहीं पाते हैं.