वर्क लोड के चलते कथित तौर पर इस साल जुलाई में EY की एम्प्लॉई Anna Sebastian Perayil की मौत हो गई. श्रम और रोजगार मामले की जांच कर रहा है. 26 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना की कार्डियक अरेस्ट से 21 जुलाई को मृत्यु हो गई थी. उनकी मां ने कंपनी को एक मेल लिखा था, जिसमें उनका कहना था कि वर्कलोड के स्ट्रेस ने उनकी बेटी की जान ले ली.
EY ने दबाव के चलते मौत के दावों से इनकार किया
EY इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी ने एना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत के पीछे "काम के दबाव" के दावों से इनकार किया है. उनका कहना है कि कंपनी में लगभग 1 लाख एम्प्लॉई हैं. इसमें कोई शक नहीं कि सभी को मेहनत से काम करना पड़ता है. एना ने हमारे साथ सिर्फ 4 महीने काम किया. उसे भी उतना ही काम अलॉट किया गया जितना बाकी एम्प्लॉईज को.
अब इस पूरे मामले में उद्योगपति हर्ष गोयनका ने भी अपनी बात रखी है, साथ ही वर्क कल्चर को बेहतर बनाने के टिप्स शेयर किए हैं.
संवेदना नहीं असल में बदलाव की जरूरत
उन्होंने X पर लिखा कहा, ईवाई की एना सेबेस्टियन पेरायिल की दुखद मौत के बाद हेल्दी वर्क कल्चर को बढ़ावा देने के लिए भारतीय इंडस्ट्री को तत्काल कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा, संवेदना नहीं असल में बदलाव की जरूरत है. गोयनका ने कंपनियों को कर्माचारियों की भलाई को प्राथमिकता देने, बातचीत को बढ़ाने और काम का माहौल खराब करने वाले लीडर्स को जिम्मेदार ठहराने को कहा है.
वेल बीइंग को प्राथमिकता दें: दफ्तरों में मेंटल हेल्थ प्रोग्राम, मैनेज किया जाने वाला काम और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखकर काम तय किए जाएं. ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जो पूरे हो सकते हैं. हमें मिलकर एक ऐसा सपोर्टिव कल्चर तैयार करने की जरूरत है जहां एक दूसरे के विचार का सम्मान हो. ऐसे कार्यक्रम शुरू किए जाएं जो हेल्दी लाइफस्टाइल चॉइस, स्ट्रेस मैनेजमेंट और मेंटल हेल्थ को बढ़ावा दें.
नए लोगों को सपोर्ट करें: नए कर्मचारियों को ऑफिस के माहौल में ढलने में मदद करें. उन्हें मोटिवेट और उनके मेंटोर भी बनें. ऑफिस में अपने व्यवहार में संयम और संतुलन बनाएं. टीमवर्क का ध्यान रखें, एक दूसरे की मदद करें.
बर्नआउट से निपटें: ज्यादा काम का महिमामंडन बंद करें, दक्षता को अहमियत दें न कि लंबे समय तक ऑफिस में समय गुजारने वालों को. टाइम मैनेजमेंट पर काम करें. प्रोडक्टिविटी को बनाए रखने और बर्नआउट से बचने के लिए ब्रेक लेना जरूरी है. ऑफिस के छोटे ब्रेक आपको रिफ्रेश फील करा सकते हैं. दूसरों द्वारा किए गए हर काम के लिए हां कहना ओवरलोड और बर्नआउट का कारण बन सकता है. ना कहना भी सीखें.
फोस्टर ओपन कम्युनिकेशन: कर्मचारियों की परेशानियों को दूर करने की कोशिश करें. ओपन कम्युनिकेशन को बढ़ावा दें, इसके लिए लीडर्स को नियमित रूप से कंपनी के अपडेट शेयर करने चाहिए और कर्मचारियों को अपनी राय साझा करनी चाहिए. उनकी शिकायतें उनकी समस्याएं सुनें और उसे दूर करने की कोशिश करें.
जिम्मेदारी लेना सीखें: टॉक्सिक वर्क एनवायरमेंट के लिए लीडर्स को जिम्मेदार ठहराएं न कि एम्प्लाई को. काम के दौरान गलतियां होना स्वाभाविक है और गलती पर डांट पड़ना भी कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन टीम की गलतियों के लिए लीडर को सामने आकर जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
वर्क लाइफ बैलेंस को प्रमोट करें: वर्क-लाइफ बैलेंस का मतलब है, अपने काम और पर्सनल लाइफ के बीच संतुलन बनाए रखना. कर्मचारियों की भलाई का सम्मान करते हुए, कार्य और व्यक्तिगत समय के बीच स्पष्ट सीमाएं निर्धारित करें. छुट्टियां लें, परिवार के साथ वक्त बिताएं. वर्क-लाइफ बैलेंस आपके काम की प्रोडक्टिविटी के लिए भी जरूरी है. इसके लिए सबसे जरूरी है कि सारे काम की जिम्मेदारी बांट लें क्योंकि टीमवर्क आसानी से पूरा हो जाता है.
हर्ष गोयनका अपने एक ट्वीट में लिखते हैं, 'आपकी नौकरी आपकी जगह ले सकती है. आपका पैसा सिर्फ संख्या है. आपकी पसंदीदा खेल टीम आपको याद नहीं करेगी. आपकी कार केवल एक मैटल और पार्ट है लेकिन आपके परिवार की जगह कोई नहीं ले सकता. जो असल में मायने रखता है उसे प्राथमिकता दें.'