क्या आपको याद है कि आपने अपनी जिंदगी में पहली बार पिज़्ज़ा कब खाया था? बहुत ही कम लोगों को यह याद होगा क्योंकि आज हमारे लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे शख्स की कहानी, जिसे आज तक अपना पहला पिज़्ज़ा एक्सपीरियंस याद है और उसी के आधार पर उन्होंने करोड़ों की ब्रांड खड़ी कर दी है. यह कहानी है हरियाणा के पिज़्ज़ा ब्रांड- पिज़्ज़ा गैलेरिया (Pizza Galleria) की जिसे शुरू किया संदीप जांगड़ा (Sandeep Jangra) ने.
गोहाना के रहने वाले संदीप ने GNT Digital से बात करते हुए अपने बी.टेक फेलियर होने से लेकर पहली नौकरी और फिर अपना पिज़्ज़ा आउटलेट शुरू करने तक के सफर के बारे में बताया. गोहाना के मिडिल-क्लास परिवार से आने वाले संदीप या उनके परिवार ने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन फूड बिजनेस में कदम रखेंगे. लेकिन आज वह न सिर्फ सफल बिजनेसमैन हैं बल्कि बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा भी बने हुए हैं. संदीप पिज़्ज़ा गैलेरिया के संस्थापक और सीईओ (Founder & CEO of Pizza Galleria) हैं.
गुड़गांव में देखी अलग दुनिया
संदीप ने बताया कि वह भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. उनका पिता की गोहाना में बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान थी जिसके ठीक-ठाक चलने से उनका घर चल रहा था. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने गोहाना के पास ही एक कॉलेज में बी.टेक में दाखिला लिया. लेकिन वह चार साल में अपनी डिग्री पूरी न कर सके. वह कई पेपर में फेल हुए लेकिन यह बात घर में बताने की हिम्मत नहीं हुई. इसलिए जब चार साल हो गए तो उन्होंने घर में झूठ बोल दिया कि वह पास हो गए हैं और नौकरी तलाश रहे हैं.
संदीप ने अपने स्कूल के दोस्त, ईशान चुघ (Ishan Chugh) से मदद मांगी, जो बी.टेक पास करके किसी कंपनी में काम कर रहे थे. उनके दोस्त ने जैसे-तैसे जुगाड़ लगाकर उनकी नौकरी लगवाई. संदीप कहते हैं, "मैं पहली बार उस नौकरी के इंटरव्यू के लिए गोहाना से गुड़गाव गया था और यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. मैंने पहली बार देखा कि गुड़गांव नें इतने बड़े मॉल, बिल्डिंग थीं क्योंकि गोहाना बहुत छोटा शहर था." संदीप नौकरी के लिए गुड़गांव रहने लगे और यहां पर उनकी सैलरी 9200 रुपए/माह थी.
आज तक याद है पिज़्ज़ा का पहला अनुभव
संदीप ने बताया कि उन्हें आज तक वह अनुभव याद है जब उन्होंने पहली बार पिज़्ज़ा खाया था. उन्होंने अपने दोस्तों के साथ पैसे मिलाकर पिज़्ज़ा मंगवाया था और उन्हें यह कॉन्सेप्ट बहुत पसंद आया. उनका पहला रिएक्शन था, "ये तो बढ़िया रोटी है जिसपर चटनी और सब्जियां लगाकर सही स्वाद बना रखा है." हालांकि, इस समय तक भी उन्होंने पिज़्ज़ा बिजनेस के बारे में नहीं सोचा था. तो फिर नौकरी से उनकी कहानी बिजनेस तक कैसे पहुंची?
इस बारे में उन्होंने कहा कि नौकरी में कुछ महीने बाद उन्हें लगने लगा कि इस तरह काम नहीं चल सकता है. उनका सैलरी बहुत कम थी और ज्यादा सैलरी के लिए उन्हें जॉब स्विच करनी थी. लेकिन दूसरी जॉब में अगर डिग्री मांगी जाती तो वह उनके पास नहीं थी. इसलिए वह नौकरी छोड़कर घर वापस गए और अपने परिवार को बता दिया कि वह बी.टेक पास नहीं कर सके हैं और न ही नौकरी कर पा रहे हैं.
उन्होंने कहा, "मेरे पापा ने मुझे बहुत डांटा लेकिन फिर पूछा कि क्या करना है. तब मैंने उनसे कहा कि आपके साथ दुकान चला लुंगा. इसके बाद पापा ने हमारी दुकान को और थोड़ा बेहतर कराया लेकिन तब तक मुझे लग गया था कि इस दुकान से हम ज्यादा बिजनेस नहीं कर पाएंगे इसलिए मैंने फिर मना कर दिया."
जीरो से की अपनी शुरुआत
पापा की दुकान में काम करने से मना करने के बाद संदीप को फिर शुरू से शुरू करना था. उन्हें किसी ने सलाह दी कि वह फूड बिजनेस में जाएं क्योंकि उसमें अच्छा फायदा है. तब संदीप ने बहुत सी चीजों पर सोच-विचार करने के बाद पिज़्ज़ा का आउटलेट शुरू करने का फैसला किया क्योंकि गोहाना में कोई पिज़्ज़ा आउटलेट नहीं था.
उन्होंने तय तो कर लिया लेकिन इसके बारे में उन्हें कुछ खास नहीं पता था. ऐसे में, संदीप डोमिनोज़ और पिज़्ज़ा हट जैसे आउटलेट पहुंचे. यहां से उन्हें पता चला कि बड़े ब्रांड्स की फ्रेंचाइजी वह नहीं ले सकते हैं. लेकिन अपनी रिसर्च में उन्हें एक ऐसे शख्स के बारे में पता चला जो पहले डोमिनोज (Domino's) में काम करता था और अब अपना आउटलेट चला रहा है.
इस शख्स से मिलने के लिए संदीप रोहतक पहुंचे. हालांकि, वह पहली बार में उन्हें नहीं मिला. तब संदीप को अलवर में एक पिज़्ज़ा आउटलेट का पता चला और वह अलवर गए. यहां उनसे कहा गया कि उन्हें पिज़्ज़ा बनाने की ट्रेनिंग और आउटलेट चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी जिसकी फीस ढाई लाख रुपए होगी.
संदीप अपना मन बना चुके थे लेकिन फिर उनकी मुलाकात रोहतक वाले शख्स से भी हो गई जो उन्हें डेढ लाख रुपए में ट्रेनिंग देने और आउटलेट खोलने में उनकी मदद करने के लिए तैयार हो गए. इस ट्रेनिंग के लिए संदीप को पैसों की मदद अपनी मां से मिली. उनकी मां ने अपनी बचत के पैसे उन्हें दिए.
पहले दिन से मिला अच्छा रेस्पॉन्स
संदीप ने बताया कि उन्होंने पूरी ट्रेनिंग ली और इसके बाद उन्होंने गोहाना में अच्छी लोकेशन पर रिसर्च करके अपने आउटलेट के लिए जगह तय की. आउटलेट शुरू करने में उनके भाई ने उनकी मदद की. उनके बड़े भाई पुलिस में कॉन्सटेबल हैं और उन्होंने अपनी सविंग्स से साढ़े तीन लाख रुपए संदीप को दिए. साल 2015 के अंत में अपना आउटलेट शुरू करने से लगभग एक महीने पहले उन्होंने गोहाना में अपने जानकारों को अपना पिज़्ज़ा ट्राई कराना शुरू किया.
वह हर रोज अलग-अलग पिज़्ज़ा बनाते और लोगों को बुलाकर खिलाते थे. इस ट्रायल से दो चीजें हुईं- पहली उन्हें लोगों का टेस्ट समझ में आया और दूसरी- उनके आउटलेट के खुलने से पहले ही उनकी अच्छी मार्केटिंग हो गई. उन्होंने कहा कि आउटलेट की ओपनिंग वाले दिन उन्हें जो रेस्पॉन्स लोगों से मिला वह आज भी बरकरार है.
साल 2017 में उन्होंने पानीपत में अपना दूसरा आउटलेट खोला. इसके बाद अलग-अलग शहरों जैसे करनाल, रोहतक, महेंद्रगढ़ और गुड़गांव जैसे शहरों में अलग-अलग आउटलेट खुलने का सिलसिला शुरू हुआ. संदीप ने बताया कि उन्हें हमेशा डांटने वाले उनके पिता को भी उनपर गर्व हुआ. हालांकि, उन्होंने साल 2017 में ही उन्हें खो दिया. लेकिन आज भी अपनी सफलता को संदीप अपने पिता का आशीर्वाद मानते हैं. साल 2017 में ही संदीप के दोस्त, ईशान चुघ ने भी उनका बिजनेस जॉइन कर लिया. आज पिज़्ज़ा गैलेरिया के 32 आउटलेट हैं और उनका मोटो है- Eat Local, Think Global.
Shark Tank India से मिली पहचान
संदीप और ईशान को हाल ही में शार्क टैंक इंडिया के सीजन 3 (Shark Tank Season 3) में आने का मौका मिला. इस अनुभव के बारे में उन्होंने बताया, "मैंने पहले दो बार भी अप्लाई किया था लेकिन आगे जाने की हिम्मत नहीं हुई थी. इस बार हम तैयार थे. शार्क टैंक की प्रोसेस जून से शुरू हो जाती है और कई राउंड होते हैं. जैसे-जैसे आप राउंड क्लियर करते हैं तो आगे बढ़ते हैं. हमें बहुत खुशी है कि हम फाइनल पिच राउंड तक पहुंचे क्योंकि यह आसान नहीं है." शार्क टैंक इंडिया में उन्होंने बताया कि वह पिज़्ज़ा गैलेरिया को देश का नंबर 1 वेज पिज़्ज़ा ब्रांड बनाना चाहते हैं.
संदीप को भले ही शार्क टैंक से फंडिंग न मिली हो लेकिन उन्हें देशभर में पहचान मिली है. शार्क टैंक के बाद से लोग उनके पास आकर सलाह ले रहे हैं. बहुत से लोगों ने उन्हें बधाइयां दीं और एपिसोड के बाद उन्होंने कई और आउटलेट्स के लिए डील साइन की हैं. इस साल उन्हें उम्मीद है कि उनका टर्नओवर 16 करोड़ रुपए तक जाएगा.
अंत में, संदीप बस यही सलाह देते हैं कि फेलियर से कभी भी डरना नहीं चाहिए. जब आप कहीं फेल होते हैं तभी आपको समझ आता है कि आप क्या और कर सकते हैं. और बिजनेस का दूसरा नाम है रिस्क इसलिए रिस्क लेने से डरो मत लेकिन किसी भी फील्ड में उतरने से पहले अपनी तैयारी पूरी करो.