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Hebbevu Farms Success Story: बैंकर से किसान बनने का सफर, अमित किशन ने ऐसे खड़ा किया 21 करोड़ का कारोबार

Hebbevu Farms Success Story: अमित किशन ने जब अपने एक क्लाइंट को कैंसर के कारण खो दिया तो उन्होंने जैविक खेती करने और प्रकृति के करीब जिंदगी जीने का फैसला किया.

Amith Kishan Success Story (Photo: Instagram) Amith Kishan Success Story (Photo: Instagram)
हाइलाइट्स
  • साल 2019 में शुरू किया अपना फार्म

  • कई चुनौतियों का किया सामना

यह कहानी है आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले अमित किशन की, जो एक प्रगतिशील जैविक किसान हैं. सबसे प्रेरक बात यह है कि अमित पहले एक बैंकर हुआ करते थे लेकिन अब वह खेती करके अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं और अपने परिवार को शुद्ध और स्वस्थ जिंदगी दे रहे हैं.

अमित किशन के खेत में किसान केवल देशी बीज बोते हैं, बैल मिट्टी जोतने के लिए स्वतंत्र हैं, गायें प्रदूषण मुक्त खुले घास के मैदानों में चरती हैं, और ग्रामीण महिलाएं गर्म मिट्टी के बर्तनों में घी बनाने में व्यस्त रहती हैं. 

बैंकर से किसान तक - अमित किशन का सफर 
अमित ने आठ साल तक बेंगलुरु में टॉप कॉर्पोरेट्स को संभालने के लिए आईसीआईसीआई, बजाज, एक्सिस, एचडीएफसी और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) जैसे कई बैंकों के साथ काम किया. हालांकि, वह हमेशा से अपने दादा की तरह किसान बनना चाहते थे. अमित ने द बेटर इंडिया को बताया कि उनका दादाजी इलाके के एक प्रसिद्ध किसान थे. बचपन में खेत में जाते थे और मिट्टी से खेलते थे. 

हालांकि, समय के साथ अमित पढ़ाई के बाद बैंकिंग से जुड़ गए. लेकिन एक घटना ने अमित को सबकुछ छोड़कर अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. दरअसल, अमित को पता चला कि उनके एक क्लाइंट की मौत कैंसर के कारण हो गई है तो उन्होंने कॉर्पोरेट जगत छोड़ने और अपने दादा के नक्शेकदम पर चलने का निर्णय लिया. 

साल 2019 में शुरू किया अपना फार्म 
अमित ने द बेटर इंडिया को बताया कि उन्हें समझ आया कि हमें अपने रहने के तरीके को सही करने की जरूरत है, और हम क्या खा रहे हैं क्योंकि हमारा भोजन मानक के अनुरूप नहीं है. वह उसे ठीक करना चाहते थे. हर चीज़ उन्हें कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित कर रही थी.

उन्होंने अपने भाई की मदद से 2019 में बेंगलुरू में Hebbevu Farms की सह-स्थापना की. अमित को नहीं पता था कि क्या उगाना है और कब. जब पड़ोस के खेतों में किसान मिर्च उगाते थे, तो वे मूंगफली उगाते थे. उन्हें ख़रीफ़ और रबी सीज़न की भी समझ नहीं थी. लेकिन तीन साल के शोध और विकास के बाद, उन्होंने 2019 में अपने भाई आश्रित के साथ अपने फार्म को शुरू किया. उन्होंने सब कुछ शून्य से शुरू किया. खेती की बारीकियों को समझने के लिए वे कई जैविक किसानों से मिले.

कई चुनौतियों का किया सामना 
जब आपके आसपास उर्वरक और रसायन आधारित खेती का तेजी से बढ़ता बाजार हो तो प्राकृतिक खेती को कायम रखना कठिन है. जब खेती प्रकृति से बहुत दूर हो जाते हैं यह सिर्फ कॉस्ट-फैक्टर नहीं, मिट्टी की गुणवत्ता, मिट्टी में सूक्ष्म जीवों का प्रकार, सब कुछ प्रभावित करता है. बहुत से लोगों ने उन्हें केमिकल के बिना खेती करने के लिए मुर्ख भी कहा. 

आसपास के खेतों में सभी किसान केमिकल डालते थे जिससे सभी कीड़े उनके खेतों में आ जाते थे क्योंकि उनके यहां केमिकल-फ्री खेती हो रही थी. सर्वाइव करने के लिए, उन्होंने किसानों को खेती के प्राकृतिक और जैविक तरीकों के बारे में भी शिक्षित करने की कोशिश की. 

अलग तरह से की खेती
जड़ की बेहतर ग्रोथ के लिए, अमित ने 4 फीट नीचे की मिट्टी की जुताई शुरू कर दी. उन्होंने मिट्टी में पोटेशियम के स्तर को बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों की बजाय गाय के गोबर, गोमूत्र और केले का उपयोग किया. जिसके कारण उन्हें अपनी मिट्टी में केंचुए वापस दिखाई देने लगे, जो खेती में केमिकल इस्तेमाल होने के कारण खत्म होने लगते हैं. जब उन्होंने देशी जानवरों को अपने खेतों में लाया तो उन्हें खेती में बढ़ावा दिखा. 

अमित के फार्म में आज गिर, साहीवाल और जाफराबादी सहित लगभग 700 देशी गायें और भैंसें हैं. अमित ने द बेटर इंडिया को बताया, "गाय, भैंस और बैल हमें प्राकृतिक खेती करने, डेयरी उत्पाद बेचने, बायोगैस बनाने और कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं."

सोलर ने कम किया बिजली बिल
सौर ऊर्जा पर खेत की निर्भरता ने उनके मासिक बिजली खर्च को 3 लाख रुपये से घटाकर 40,000 रुपये कर दिया है. 1.5 करोड़ रुपये के लोन और 15 एकड़ जमीन से शुरुआत करने वाले, अमित आज 650 एकड़ जमीनमें फैले अपने खेत से 21 करोड़ रुपये का सालाना रेवेन्यू कमा रहे हैं.