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Success Story: गोद लिए बेटे ने दंपति को बना दिया करोड़पति...ऑर्गेनिक खेती कर की करोड़ों की कमाई, जानिए फेमस Saladbaba के बारे में

जनार्दन ने बताया कि वह आसपास के रेस्‍तरां में सलाद की आपूर्ति के लिए सब्‍जी और फलों की सप्‍लाई किया करते थे. यही वजह थी कि लोग उन्हें 'सलादबाबा' के नाम से जानने लगे. इसी दौरान उनकी मुलाकात डेविड और मिशेला से हुई.

Saladbaba Saladbaba

इंसान की किस्मत उसे कब फर्श से अर्श पर पहुंचा इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. अक्सर ये बातें हमें कहानियों सी लगती हैं जब तक हम खुद उन्हें अपनी आंखों से नहीं देख लेते. लेकिन ऐसा वाकई में हुआ है. भारत में जन्मा एक साधारण घर का बच्चा एक दिन अपने माता-पिता को करोड़पति बना देता है. इस कहानी की खास बात ये है कि ये माता-पिता इस लड़के के असली माता-पिता नहीं हैं. इन्होंने इस बच्चे को गोद लिया था. 

ये कहानी है 34 वर्षीय जनार्दन खोराटे की. जिन्होंने अपने माता-पिता की ऑर्गेनिक खेती को करोड़ों रुपये के वेंचर में तब्‍दील कर दिया. जनार्दन को एक अंग्रेज दंपति ने गोद लिया था और वो आज एम्‍ब्रोसिया ऑर्गेनिक फार्म के मैनेजर हैं. गोवा में उन्हें 'सलादबाबा' के नाम से जाना जाता है. इसे देश की पहली ऑर्गेनिक कंपनियों में से एक माना जाता है, जिसका टर्नओवर करीब 22 करोड़ रुपये का है. गोद लिए जाने के बाद जर्नादन, जॉन के नाम से जाने जाते हैं. 2003 में उन्‍हें लंदन के डेविड ग्रोवर और मिशेला केलेमेन ने गोद लिया था.

कैसे पड़ा सलादबाबा नाम?
डेविड ग्रोअर और उनकी पत्नी मिशेला केलमेन जब भी लंदन से भारत आते थे तो वो अक्सर गोवा जाते थे. वे गोवा से इतने प्रभावित थे कि वहां पर ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू करना चाहते थे. साल 1993 में, उन्होंने गोवा के एक क्षेत्र, सिओलिम में 5 एकड़ का खेत खरीद लिया, जहां वे अक्सर जाते थे. यहां पर उन्होंने टमाटर, शिमला मिर्च और अन्य विदेशी सब्जियां और फल उगाना शुरू किया. वो आसपास के रेस्‍तरां में सलाद की आपूर्ति के लिए सब्‍जी और फलों की सप्‍लाई किया करते थे. यही वजह थी कि लोग उन्हें 'सलादबाबा' के नाम से जानने लगे.

साल 1999 तक, Ambrosia ने मूंगफली का मक्खन, चावल और चिया जैसे अनाज के उत्पादन में विविधता लाना शुरू कर दिया था. उस समय, जनार्दन उद्यम में शामिल नहीं थे. लेकिन अगले कुछ सालों तक विदेशी कपल जब भी भारत आता जनार्दन उनके साथ होते. इस तरह कपल को वो पसंद आने लगे और उन्होंने जनार्दन को लंदन आने का न्योता दिया. 2008 में विदेश दंपति ने Ambrosia का सारा कारोबार ऑफिशियली जनार्दन को दे दिया. उस समय भारत में ऑर्गेनिक फार्मस नहीं हुआ करते थे और Ambrosia उस दिशा में एक पहल थी.

400 किसान जुड़े हैं
ऑनलाइन सेल्स का चलन बढ़ने के बाद 2016 के बाद ही एम्ब्रोसिया ने रफ्तार पकड़ी. जनार्दन ने बताया कि उनके पास कुछ लोग दिल्‍ली से आए थे. वे कंपनी के प्रोडक्‍ट से इतने प्रभावित हुए कि उन्‍होंने इसे दिल्ली में सेल करने के बारे में पूछा और इस तरह उनके प्रोडक्ट्स एमेजन पर आने लगे. यह कदम ग्राहकों को बढ़ाने के लिए उठाया गया था. ऐसा करते ही एम्‍ब्रोसिया ने कारोबारी दुनिया में छलांग लगा दी. जर्नादन के अनुसार उनकी कंपनी के पास आज 135 एकड़ कृषि योग्‍य जमीन है. इसके साथ ही कंपनी से आज 400 किसान जुड़े हैं. जो 59 अलग-अलग तरह के प्रोडक्‍टों को बना रहे हैं. इसके साथ ही वो इसे जापान और ताइवान को भी निर्यात करते हैं.