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Navratna Status: किसी कंपनी को कब दिया जाता है महारत्न और नवरत्न का स्टेटस, इस ओहदा के मिलने से क्या-क्या होता है फायदा, 1997 से दिया जा रहा यह विशेष दर्जा 

केंद्र सरकार ने IRCTC और IRFC को नवरत्न का दर्जा प्रदान किया है. इससे रेलवे के सूचीबद्ध सभी सातों उपक्रम अब नवरत्न का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं. आइए जानते हैं किसी कंपनी को कब दिया जाता है महारत्न और नवरत्न का दर्जा और इससे क्या-क्या फायदा मिलता है? 

IRCTC and IRFC Navratna Status IRCTC and IRFC Navratna Status
हाइलाइट्स
  • IRCTC और IRFC को नवरत्न का दर्जा मिलने के बाद अब कुल हो गईं 26 नवरत्न कंपनियां

  • नवरत्न कंपनी को 1,000 करोड़ रुपए तक का निवेश करने का मिल जाता है अधिकार 

IRCTC and IRFC Navratna Status: भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) और भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) के लिए खुशखबरी है. जी हां, इन दोनों को भारत सरकार ने नवरत्न का दर्जा (Navratna Status) देने की मंजूरी दे दी है. इस तरह से भारत में अब कुल 26 नवरत्न कंपनियां बन गई हैं.

इतना ही नहीं रेलवे के सूचीबद्ध अब सभी सातों उपक्रम को नवरत्न का दर्जा मिल गया है. यह दर्जा मिलने के बाद इंडियन रेलवे से जुड़े IRCTC और IRFC को वित्तीय और परिचालन स्वायत्तता में वृद्धि मिलेगी. अब ये कंपनियां तेजी से निर्णय ले सकेंगी और अधिक प्रभावी तरीके से काम कर सकेंगी. इससे इंडियन रेलवे का विकास और तेज गति से होगा. 

क्या है नवरत्न का दर्जा
इंडिया में सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटप्राइज (CPSE) को तीन प्रमुख वर्गों पहला मिनीरत्न (Miniratna), दूसरा नवरत्न और तीसरा महारत्न (Maharatna) में बांटा गया है. भारत सरकार ने कंपनियों को यह विशेष दर्जा देने का शुभारंभ अक्टूबर 1997 में किया था. किसी कंपनी का नेट वर्थ और लाभ देखते हुए यह दर्जा दिया जाता है. इस दर्जा को देने का उद्देश्य किसी सरकारी कंपनी को अधिक स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता देना है, ताकि वे निवेश और नए प्रोजेक्ट्स पर बिना सरकार से मंजूरी लिए काम कर सकें. आपको मालूम हो कि इस दर्जा को पाने में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां शामिल नहीं होती हैं.

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कैसे मिलता है नवरत्न और महारत्न का दर्जा 
किसी भी कंपनी को नवरत्न का दर्जा पाने के लिए पहले उसे मिनीरत्न होना जरूरी होता है. इसके अलावा नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए कंपनी को लगातार 3 सालों तक लाभ होना चाहिए. इतना ही नहीं किसी एक साल में कम से कम 30 करोड़ रुपए का प्री-टैक्स मुनाफा होना चाहिए. कंपनी की नेट वर्थ पॉजिटिव होनी चाहिए. इसके अलावा कोई सरकारी कंपनी पांच सालों में से तीन सालों में उत्कृष्ट (Excellent) या बहुत अच्छा (Very Good) MoU रेटिंग हासिल करती हैं और 6 सेलेक्टेड परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स (नेट प्रॉफिट टू नेट वर्थ, कर्मचारियों की लागत का कुल उत्पादन लागत से अनुपात, PBDIT टू कैपिटल एम्प्लॉयड, PBIT टू टर्नओवर, अर्निंग्स पर शेयर (EPS), इंटर-सेक्टर परफॉर्मेंस) में 60 या उससे अधिक का स्कोर प्राप्त करती हैं, उन्हें भी नवरत्न का दर्जा मिल सकता है. 

उधर, किसी कंपनी को महारत्न का दर्जा देने के लिए कंपनी की नेट वर्थ, लाभ और वित्तीय लेखा-जोखा देखा जाता है. महारत्न कंपनी का दर्जा नवरत्न कंपनियों को अपडेट कर दिया जाता है. इसके लिए पिछले तीन साल का टर्नओवर 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिए और औसत लाभ 2500 करोड़ रुपए होना चाहिए. इसके साथ ही कंपनी की वैश्विक स्तर पर पहचान होनी चाहिए. ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL), एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC), भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC), गेल इंडिया लिमिटेड (GAIL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL), एनएचपीसी लिमिटेड (NHPC), महानगर टेलीफोन नगर लिमिटेड, राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम जैसी कंपनियां नवरत्न में शामिल हैं.

नवरत्न का दर्जा मिलने के बाद क्या मिलता है लाभ
1. किसी कंपनी को नवरत्न का दर्जा मिलने के बाद उसे आर्थिक फैसले लेने की एक तरह से आजादी मिल जाती है. 
2. नवरत्न कंपनी बनने का सबसे बड़ा फायदा कंपनियों को 1,000 करोड़ रुपए तक का निवेश करने का अधिकार है.
3. नवरत्न कंपनियों को सरकारी मंजूरी की आवश्यकता नहीं होने से फैसले लेने की प्रक्रिया तेज होती है.
4. नवरत्न कंपनियां संभावित अधिग्रहण या विलय  जैसे निर्णय भी ले सकती हैं. 
5. नवरत्न कंपनियां घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से धन जुटाने के लिए स्वतंत्र होती हैं. 
6. नवरत्न कंपनियां बॉन्ड जारी कर सकती हैं, विदेशी निवेश आकर्षित कर सकती हैं और बड़े वित्तीय संस्थानों से ऋण  ले सकती हैं.
7. नवरत्न कंपनियां उच्च कुशल पेशेवरों को नियुक्त कर सकती हैं. 
8. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए नवरत्न कंपनियां सक्षम होती हैं. 
9. नवरत्न कंपनियों को नए बाजारों में विस्तार की स्वतंत्रता मिलती है, जिससे वे वैश्विक स्तर पर पहचान बना सकती हैं. 

IRCTC और IRFC का कितना है सलाना टर्नओवर
रेल मंत्रालय के अधीन कार्यरत IRCTC इंडियन रेलवे के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग, खानपान और पर्यटन सेवाएं प्रदान करता है. इसका वित्त वर्ष 2023-24 में सलाना टर्नओवर 4,270.17 करोड़ रुपए रहा है. इसमें टैक्स देने के बाद कंपनी का शुद्ध लाभ यानी प्रॉफिट 1,111.26 करोड़ रुपए रहा. उधर, IRFC इंडियन रेलवे की अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (EBR) की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बाजार से उधारी जुटाता है. इसका सलाना टर्नओवर इस दौरान 26,644 करोड़ रुपए रहा. कुल प्रॉफिट 6,412 करोड़ रुपए का रहा. रेलवे मंत्रालय के मुताबिक इंडियन रेलवे के 12 सार्वजनिक उपक्रमों में से सात सूचीबद्ध हैं. अब ये सातों उपक्रम नवरत्न का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं. 

रेलवे के नवरत्न उपक्रम
1. IRCTC (भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम)
2. IRFC (भारतीय रेलवे वित्त निगम)
3. RVNL (रेल विकास निगम लिमिटेड) 
4. IRCON (इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड)
5. RITES (राइट्स लिमिटेड)
6. RailTel (रेलटेल कॉरपोरेशन)
7. CONCOR (कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया)