कुछ लोगों को सफलता पाने में सालों की मेहनत लगती है जबकि कुछ के लिए ये सिर्फ भाग्य का खेल होता है. जबकि दूसरों को जितनी मेहनत करनी पड़ती है, उतना ही उनके भाग्य का भी इसमें खेल होता है मतलब 50% मेहनत और 50% भाग्य. लेकिन गूची की असाधारण सफलता की कहानी पूरी तरह से कठिन निश्चय और दृढ़ता की कहानी (rag-to-riches story) है जिसने आज ब्रांड को यहां लाकर खड़ा किया और दुनियाभर में फेमस किया.
जब हम गूची ब्रांड के बारे में बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में तुरंत मशहूर हस्तियों, बड़े बिजनेसमैन लोगों या ग्लैमर से जुड़े लोगों आदि की तस्वीर आने लगती है. इस ब्रांड लेवल का मतलब है लक्जरी और सोफेस्टिकेशन है. लेकिन क्या आपको पता है जिस गूची (Gucci) के कपड़े आज हजारों-लाखों के मिलते हैं, उसे एक लिफ़्टमैन ने 1921 में शुरू किया था, जिनका नाम Guccio Gucci था. चलिए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से.
कैसे हुई शुरुआत
सन् 1881 में इटली स्थित फ्लोरेंस के फ्रिंजे के एक साधारण परिवार में गोसियो गूची (Guccio Gucci) का जन्म हुआ था. उन्होंने 23 साल की उम्र में ही बिजनेस करने का फैसला कर लिया था. उसने 1904 में हार्निश में लेदर का काम शुरू किया लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया और उन पर कर्ज बढ़ता गया. अब उनके पास नौकरी करने के अलावा दूसरा ऑप्शन नहीं था. इसके बाद वो लंदन आ गए और यहां के एक प्रसिद्ध होटल सेवॉय में लिफ्टमैन का काम करने लगे.
गोसियो जिस होटल में काम करता थे वहां मर्लिन मुनरो और विंस्टल चर्चिल जैसी मशहूर हस्तियों का आना जाना था. वो यहां आने-जाने वाले हर मशहूर हस्तियों के कपड़ों को बहुत ध्यान से देखने लगे. वहीं से उन्होंने इस बिजनेस में उतरने की सोची. अपनी इसी सोच के साथ साल 1921 में वो फ्लोरेंस शहर लौट आए. साल 1922 में उन्होंने दूसरा कारोबार शुरू किया. एक छोटी सी दुकान में शुरुआत में वह चमड़े से बने कुछ सामान जैसे घुड़सवारी के सामान, बैग, वेज बैग और सूटकेश जैसे उत्पाद बेचने लगे. उनका बिजनेस अच्छा भला चलने लगा. डिमांड बढ़ने के साथ उन्होंने 1937 में एक कारखाना खोल लिया. कारखाने की मदद से वह हैंडबैग्स, रेटिकुलस और दस्ताने जैसे प्रोडक्ट्स का उत्पादन बड़े पैमाने पर करने लगा था.
कहां से आया LOGO
1930 के दशक में गूसियो ने अपने बेटे एल्डो गूची के साथ लोगो पर काम किया. अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आपको दिखाई देगा कि गूची के लोगों में दो इंटरलॉकिंग अक्षर G को एक-दूसरे के सामने दर्शाया गया, जो घुड़सवारी में उपयोग की जाने वाली रकाब पट्टियों से प्रभावित था. वहीं 1950 के दशक में, एल्डो के बेटे रोडोल्फो गूची के क्रिएटिव डायरेक्शन में ग्रीन-रेड-ग्रीन धारी पैटर्न पेश किया गया, जोकि घोड़े की काठी में कैनवास के पट्टे से इंस्पायर्ड था.
दुनिया की सबसे महंगी जींस
गोसियो गुची 1953 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया और बिजनेस परिवार वालों ने संभाला. साल 1961 में अमेरिका की फ़र्स्ट लेडी जैकलीन कैनेडी (Jacqueline Kennedy Onassis) को Gucci बैग लिए देखा गया तब इस बैग का नाम ‘द जैकी’ रख दिया गया. इस तरह धीरे-धीरे ये ब्रांड सेलिब्रिटीज़ से जुड़ने लगा. लेकिन एक टाइम कंपनी दिवालिया होने की कगार पर आ गई. कंपनी की स्थिति सुधारने के लिए 1981 में इन्होंने फ्लोरल प्रिंट पर अपना पहला रेडी टू वियर कलेक्शन लॉन्च किया. इस प्रिंट को लोगों ने पसंद किया. लेकिन कंपनी दिवालिया होने की कगार पर आ गई. स्थिति को सुधारने के लिए कंपनी ने एक अहम फैसला लिया और डिज़ाइनर Tom Ford को कंपनी में शामिल किया. टॉम ने कंपनी में कुछ ज़रूरी बदलाव किए, जिससे Gucci को फिर से मार्केट में पहचान मिलने लगी. इस कंपनी की 2 लाख 43 हजार Genius Jeans बिकी, जिसके चलते इसका नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ. 90 के दशक में ये दुनिया की सबसे महंगी जींस थी.
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