अगर आपने हाल ही में, 31 मार्च 2023 से पहले किसी भी समय अपनी नौकरी बदली है, तो आपको अपना ITR दाखिल करते समय ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. इसका कारण यह है कि आपको पिछली कंपनी से वेतन मिला था, और फिर, लगभग तुरंत या अंतराल के साथ, आपने अपनी नई कंपनी से भी सैलरी ली है.
जब कोई व्यक्ति नौकरी बदलता है, तो नया संगठन मानता है कि साल के दौरान यह उनका पहला रोजगार है, और इस तरह वे अपनी इनकम और टैक्स की कैल्क्यूलेशन करते समय पुरानी कंपनी की सैलरी और टैक्स डिडक्शन पर विचार नहीं कर सकते हैं. इसलिए वे आपको मानक कटौती, बेसिक कटौती लिमिट, 80 सी डिडक्शन आदि का लाभ फिर से देते हैं, भले ही पिछले नियोक्ता से भी आपको यह मिला हो. इससे इनकम के साथ-साथ टैक्स की भी गलत कैल्क्यूलेशन होती है.
नई नौकरी जॉइन करने पर क्या करें
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अपने आयकर रिटर्न में एक कर्मचारी को दोनों नियोक्ताओं से मिलने वाली आय का खुलासा करना होगा, अमाउंट को मिलाकर सिर्फ एक केटेगरी के तहत कटौती लेनी होगी. इसी तरह, जब आप एचआरए आदि का दावा करते समय, आपको कुल वेतन को ध्यान में रखना होगा, ताकि आपका टैक्स कैलक्यूलेशन ठीक हो.
जब आप नई नौकरी ज्वाइन करते हैं तो आपको अपने नियोक्ता को अपने पिछले नियोक्ता के बारे में सूचित करना होता है, और पिछले नियोक्ता से साल के दौरान आपको जो वेतन मिला है उसकी जानकारी भई देनी होती है. फिर उचित दर से टैक्स काटा जाएगा.
क्या आपका नियोक्ता टीडीएस काट रहा है
अगर आपकी आय कर योग्य है, तो कर्मचारी को सावधान रहना चाहिए और जांचना चाहिए कि क्या उसके नियोक्ता ने आपकी सैलरी स्लिप से टीडीएस काटा है. अगर नियोक्ता ने टीडीएस नहीं काटा है, जो उसे काटना चाहिए था, तो उन्हें नियोक्ता को टीडीएस काटने की सलाह देनी चाहिए और अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो उन्हें एडवांस टैक्स का भुगतान करना चाहिए. नहीं तो आपको एक बार में भारी मात्रा में टैक्स चुकाना पड़ सकता है, साथ ही धारा 234बी और 234सी के तहत ब्याज भी देना पड़ सकता है.
अगर कोई नियोक्ता टीडीएस काट रहा है लेकिन सरकार को जमा नहीं कर रहा है तो क्या करें?
दुर्लभ मामलों में अगर नियोक्ता टीडीएस काटता है और सरकार को भुगतान नहीं करता है, तो कर्मचारी उस पूरे पैसे को खो रहा है जिसके लिए वह पहले ही टैक्स दे चुका है. लेकिन ऐसे में क्या करें?
कर्मचारी अपनी सैलरी स्लिप से पता लगा सकता है कि टीडीएस काटा गया है, लेकिन यह उसके फॉर्म 26एएस में दिखाई नहीं देगा. इसके बाद कर्मचारी आयकर पोर्टल पर अपने अधिकार क्षेत्र के अधिकारी से शिकायत कर सकता है कि कंपनी ने उसका कर काटा है, लेकिन सरकार को इसका भुगतान नहीं किया है.
इसके बाद उसके क्षेत्राधिकार अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह इसे नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र अधिकारी के समक्ष उठाए और नियोक्ता से पैसा वसूल करे, या नियोक्ता के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करे. इसलिए, यदि आपने पिछले वित्तीय वर्ष में नौकरी बदली है, तो दोनों नियोक्ताओं से अपनी आय का खुलासा करना और उसके अनुसार टैक्स को कैलक्यूलेट करना होगा.