
तकनीक के इस युग में बस थोड़ा सा दिमाग लगाने की ज़रूरत है, फिर आप अपनी पहचान के साथ-साथ ज़िंदगी को नए मुकाम भी दे सकते हैं. इसकी एक मिसाल नागपुर में रहने वाले पति-पत्नी अक्षय और दिव्या ने पेश की है. अक्षय बीबीए ग्रेजुएट हैं और उनकी पत्नी दिव्या पेशे से बैंकर लेकिन दोनों ने घर बैठे ऐसा बिज़नेस शुरू किया जिससे ये लाखों कमा रहे हैं.
दरअसल अक्षय और दिव्या नागपुर के गर्म वातावरण में भी ठंडे कश्मीर में उगने वाले केसर की खेती कर रहे हैं. वह भी महज़ 400 वर्ग फुट के कमरे में. इससे ये सालाना ढाई करोड़ रुपये तक कमा रहे हैं. आइए जानते हैं इस जोड़ी के बिज़नेस मॉडल और इनकी कमाई के बारे में.
कैसे कर रहे करोड़ों में कमाई?
दिव्या अपने बिजनेस के बारे में जीएनटीटीवी से कहती हैं, "हम लोग पांच साल से यह कर रहे हैं. हमने एक छोटे स्केल से शुरू किया था. हमने पहले 100 बीज कश्मीर से ला कर उससे प्रोडक्शन शुरू किया. जब प्रयोग सफल हुआ तब हम लोग हर साल उसका पैमाना बढ़ाते रहे और अब 400 स्क्वेयर फीट में यह काम कर रहे हैं."
वह कहती हैं, "फिलहाल हमारा 480 स्क्वायर फिट में खुद का प्रोडक्शन हॉउस है. इसमें से 80 स्क्वायर फिट हमारा लैब है. जो लोग हमसे सीखने आते हैं उन्हें हम यहां ट्रेनिंग देते हैं. इसके बाद जो हमसे सीखकर जाते हैं उन्हें हम सेटअप लगा कर देते हैं. पूरे महाराष्ट्र में ऐसे हमारे 29 फ्रेंचाइज़ी हैं. इन फ्रेंचाइजी और हमारा खुद का प्रोडक्शन हॉउस से इस साल हमने 2024 में करीब 45 किलो केसर का प्रोडक्शन किया. इसका कुल रेवेन्यू अगर देखा जाए तो यह करीब 2.83 करोड़ तक पहुंचता है."
कश्मीर में ली दो साल की ट्रेनिंग
अक्षय और दिव्या ने यह काम ऐसे ही शुरू नहीं कर दिया. उन्होंने पहले कश्मीर जाकर दो साल केसर की खेती के लिए ट्रेनिंग की. इसके बाद ही वे नई तकनीक के साथ नागपुर में अपना बिजनेस शुरू कर पाए. एक कमरे में केसर की खेती करना नया प्रयोग था. लेकिन उन्होंने एरोपोनिक तकनीक की मदद से इसे अंजाम दिया. इस तकनीक के तहत इन्होंने अपने घर में कश्मीर जैसा माहौल बनाया.
अक्षय बताते हैं, "हम लोग नागपुर के गर्म टेम्परेचर में एक कंट्रोल्ड एनवायरनमेंट बना रहे हैं. यह एक कश्मीर जैसा एनवायरनमेंट क्रिएट करके कश्मीर से केसर के बीज लाकर हम लोग यहां पर प्रोडक्शन कर रहे हैं. यह टेक्नोलॉजी हम यूज़ कर रहे हैं. इसका नाम एरोपोनिक तकनीक है. पूरे साल में से चार महीने हम खेती करते हैं, जिसमें मिट्टी और पानी का इस्तेमाल नहीं होता. हम लोग सही तापमान और कुहासे (Mist) के भरोसे खेती करते हैं. बचे आठ महीने के लिए हम लोग उसको स्लीप मोड या मल्टीप्लिकेशन मोड में रखते हैं."
अक्षय बताते हैं कि बचे हुए आठ महीने के दौरान वह बीज को मिट्टी में रखते हैं ताकि वह जमीन से जो जमीन से वे जरूरी चीजें हासिल कर सके जो उसे पोषण के लिए चाहिए. इस तरह नागपुर का यह युवा अपने 480 वर्ग फुट के कमरे में दुनिया का सबसे महंगा मसाला केसर उगा रहा है.
ज़ाहिर है इन्होंने केसर की खेती इसलिए शुरू की क्योंकि ये महंगा है, इसकी मांग ज्यादा है और उत्पादन कम होता है. यानी अब अगर इस तकनीक को अपनाकर केसर की खेती शुरू की जाए तो कीसर का उत्पादन भी बढ़ेगा और खेती से घर बैठे लाखों का फायदा भी होगा.