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जानिए कौन हैं IDFC First Bank के सीईओ, जिन्होंने अपने ड्राइवर और हाउस स्टाफ को बांटे लगभग 4 करोड़ रुपए के शेयर, पहले भी कई बार कर चुके हैं यह काम

यह कहानी है देश के नामी-गिरामी बैंक IDFC First में बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर नियुक्त वी. वैद्यनाथन की. कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के बाद भी वैद्यनाथन अपनी जमीन को नहीं भूले हैं. और समय-समय पर ऐसा कुछ करते रहते हैं कि दूसरों को भी उनसे प्रेरणा मिलती है. 

V. Vaidyanathan (Source: Facebook) V. Vaidyanathan (Source: Facebook)
हाइलाइट्स
  • बैंकों में काम करने के बाद बने आंट्रप्रन्योर

  • मैराथॉनर और सिंगर भी हैं वैद्यनाथन

आज जमाना कितना ही बुरा क्यों न हो लेकिन अच्छाई आज भी कायम है. और अच्छी की उम्मीद पर ही यह दुनिया चल रही है. और अगर इस बात पर आपको विश्वास नहीं होता है तो आपको हमारे समाज में मौजूद ऐसे लोगों के बारे में जानना चाहिए जो हम सबके लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं. 

यह कहानी है देश के नामी-गिरामी बैंक IDFC First में बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर नियुक्त वी. वैद्यनाथन की. कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के बाद भी वैद्यनाथन अपनी जमीन को नहीं भूले हैं. और समय-समय पर ऐसा कुछ करते रहते हैं कि दूसरों को भी उनसे प्रेरणा मिलती है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैद्यनाथन ने हाल ही में अपने ड्राइवर से लेकर घर में काम करने वाले स्टाफ को अपने पर्सनल शेयर बिना किसी पैसे के बांटे हैं. उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उनके लिए काम करने वाले पांच स्टाफ सदस्यों को लगभग 9 लाख शेयर्स बांटे हैं. 

अगर इस शेयर्स का हिसाब पैसों में किया जाए तो इनकी कीमत आज लगभग 4 करोड़ रुपए है. और यह कोई पहली बार नहीं है जब उन्होंने ऐसा किया है. इससे पहले भी वह इस तरह से अपने पर्सनल शेयर लोगों में बांट चुके हैं. 

सामान्य परिवार से आते हैं वैद्यनाथन: 

फिलहाल मुंबई में रहने वाले वैद्यनाथन चेन्नई के एक सामान्य परिवार से आते हैं. उनकी शुरूआती पढ़ाई केंद्रीय विद्यालयों से हुई थी. स्कूल की पढ़ाई के बाद उन्होंने रांची के बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी. 

लेकिन घर के हालात ऐसे थे कि उनके पास काउंसलिंग के लिए रांची जाने के लिए ट्रेन का किराया तक नहीं था. ऐसे में उनके एक गणित शिक्षक ने उनकी मदद की. और 500 रुपए दिए ताकि वह ट्रेन से काउंसलिंग के लिए जा सकें. शायद अपने शिक्षक की इस दरियादिली ने ही उन्हें इतना प्रभावित किया कि आज वह लोगों की मदद कर रहे हैं. 

बैंकों में काम करने के बाद बने आंट्रप्रन्योर

साल 1990 में उन्होंने सिटीबैंक में कंज्यूमर बैंकिंग के क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया था. और फिर 2000 में उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक के रिटेल बिज़नेस को ज्वाइन किया. आईसीआईसीआई बैंक में उन्हें आगे बढ़ने के बहुत से मौके मिले और उन्होंने बैंक के अलग-अलग विभागों में काम करते हुए अपनी काबिलियत साबित की.

साल 2012 में उन्होंने अपनी खुद की कंपनी ‘Capital First Limited’ की नींव रखी. हालांकि, उनके लिए यह सफर आसान नहीं था लेकिन वैद्यनाथन ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह हमेशा आगे बढ़ते रहे. और इसी सफर में एक बड़ी कामयाबी उन्हें साल 2018 में मिली जब IDFC बैंक ने उनकी कंपनी के साथ मर्जर किया.

जिसके बाद यह ‘IDFC First Bank’ हो गया और वैद्यनाथन ने बतौर एमडी और सीईओ काम संभाला.

मैराथॉनर और सिंगर भी हैं वैद्यनाथन: 

बात अगर वैद्यनाथन के व्यक्तित्व की करें तो वह एक एक्टिव मैराथॉनर हैं. अब तक वह 8 फुल मैराथन और 22 हाफ मैराथन दौड़ चुके हैं. उन्हें संगीत का भी शौक है. अपने खाली समय में वह गिटार बजाते हैं और गाते हैं. कभी-कभी वैद्यनाथन गोल्फ भी खेलते हैं. 


वह सिर्फ अपनी प्रोफेशनल स्किल ही नहीं बल्कि अपने शौक के जरिये भी लोगों की मदद करते हैं. एक बार उन्होंने  जेनेसिस फाउंडेशन की फंड रेज़िंग में मदद करने के लिए अपनी सिंगिंग स्किल्स का इस्तेमाल किया. उन्होंने इवेंट में  स्टीवी वंडर, एल्विस प्रेस्ली, वेस्टलाइफ और जॉर्ज बेकर के गाने गाये और हार्ट संबंधित बिमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए फंड जुटाया. 


कई बार बने दरियादिली का उदाहरण: 

यह पहली बार नहीं है जब वैद्यनाथन ने अपने लिए काम करने वाले लोगों को अपने पर्सनल शेयर गिफ्ट किये हैं. वह इससे पहले भी बहुत से लोगों को अपने पर्सनल शेयर्स गिफ्ट कर चुके हैं. हालांकि सबसे ज्यादा दिल छूने वाली कहानी उनके शिक्षक की है. 

वैद्यनाथन सालों बाद भी अपने उन शिक्षक को नहीं भूले जिन्होंने उन्हें रांची जाने के लिए 500 रुपए दिए थे। और लगातार उनकी खोज में जुटे रहे. आखिरकार कुछ साल पहले उन्हें IDFC बैंक के एक स्टाफ की मदद से पता चला कि उनके शिक्षक आगरा में हैं. 

उन्होंने अपने शिक्षक से बात की और उनका धन्यवाद किया और इसके बाद अपने लगभग एक लाख शेयर को बतौर गिफ्ट अपने शिक्षक को दिया. इससे पहले भी वह 2018 में अपने परिवार के सदस्यों, सहयोगियों और काम करने वाले लोगों को 4,30,000 शेयर बांट चुके हैं.

बेशक, वैद्यनाथन एक अच्छी बिजनेसमैन ही नहीं बल्कि अच्छे इंसान भी हैं. हम सबको उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए.