एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी. हर वर्ग को बजट से काफी उम्मीदें हैं. सभी इस बजट से आस लगाए बैठे हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि अब तक देश में कितने वित्त मंत्री हुए और उन्होंने किस तरह का बजट पेश किया. इस रिपोर्ट में हम बताएंगे कि देश में अब तक किन-किन नेताओं ने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है और ऐसे कौन से खास बजट रहे जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा. 5 नेता ऐसे रहे हैं जिन्होंने एक से अधिक बार वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है. मोरारजी देसाई, प्रणब मुखर्जी, जसवंत सिंह और मनमोहन सिंह ने दो अलग-अलग टर्म में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है. सबसे पहले आइये जानते हैं कि भारत के अब तक के वित्त मंत्री कौन रहे और उन्होंने कब से कब तक यह जिम्मेदारी संभाली.
देश में अब तक के वित्त मंत्री-
वित्त मंत्री | कार्यकाल | प्रधानमंत्री |
आरके शनमुघम चेट्टी | 15 अगस्त 1947-1949 | जवाहरलाल नेहरु |
जॉन मथाई | 1949-1950 | जवाहरलाल नेहरु |
सीडी देशमुख | 1950-1957 | जवाहरलाल नेहरु |
टीटी कृष्णामचारी | 1957-1958 | जवाहरलाल नेहरु |
जवाहर लाल नेहरु | 13 फरवरी 1958-13 मार्च 1958 | जवाहरलाल नेहरु |
मोरारजी देसाई | 13 मार्च 1958-29 अगस्त 1963 | जवाहरलाल नेहरु |
टीटी कृष्णामचारी | 29 अगस्त 1963-1965 | जवाहरलाल नेहरु/लाल बहादुर शास्त्री |
सचिंद्र चौधरी | 1965-13 मार्च 1967 | लाल बहादुर शास्त्री/इंदिरा गांधी |
मोरारजी देसाई | 13 मार्च 1967-16 जुलाई 1969 | इंदिरा गांधी |
इंदिरा गांधी | 1970-1971 | इंदिरा गांधी |
यशवंतराव चौहान | 1971-1975 | इंदिरा गांधी |
चिदंबरम सुब्रमनियम | 1975-1977 | इंदिरा गांधी |
हरिभाई एम. पटेल | 24 मार्च 1977-24 जनवरी 1979 | मोरारजी देसाई |
चौधरी चरण सिंह | 24 जनवरी 1979-28 जुलाई 1979 | मोरारजी देसाई |
हेमवती नंदन बहुगुणा | 28 जुलाई 1979-14 जनवरी 1980 | चौधरी चरण सिंह |
आर वेंकटरमण | 14 जनवरी 1980-15 जनवरी 1982 | इंदिरा गांधी |
प्रणब मुखर्जी | 15 जनवरी 1982-31 दिसम्बर 1984 | इंदिरा गांधी |
वीपी सिंह | 31 दिसम्बर 1984-24 जनवरी 1987 | राजीव गांधी |
राजीव गाँधी | 24 जनवरी 1987-25 जुलाई 1987 | राजीव गांधी |
एनडी तिवारी | 25 जुलाई 1987-25 जून 1988 | राजीव गांधी |
शंकर राव चौहान | 25 जून 1988-2 दिसम्बर 1989 | राजीव गांधी |
मधु दंडवते | 2 दिसम्बर 1989-10 नवम्बर 1990 | वीपी सिंह |
यशवंत सिन्हा | 10 नवम्बर 1990-21 जून 1991 | चंद्रशेखर |
मनमोहन सिंह | 21 जून 1991-16 मई 1996 | पीवी नरसिम्हा राव |
जसवंत सिंह | 16 मई 1996-1 जून 1996 | अटल बिहारी वाजपेयी |
पी चिदंबरम | 1 जून 1996-21 अप्रैल 1997 | एचडी देवगौड़ा |
इंद्र कुमार गुजराल | 21 अप्रैल 1997-1 मई 1997 | इंद्र कुमार गुजराल |
पी चिदंबरम | 1 मई 1997-19 मार्च 1998 | एचडी देवेगौड़ा |
यशवंत सिन्हा | 19 मार्च 1998-1 जुलाई 2002 | अटल बिहारी वाजपेयी |
जसवंत सिंह | 1 जुलाई 2002-22 मई 2004 | अटल बिहारी वाजपेयी |
पी चिदंबरम | 22 मई 2004-30 नवम्बर 2008 | मनमोहन सिंह |
मनमोहन सिंह | 30 नवम्बर 2008-24 जनवरी 2009 | मनमोहन सिंह |
प्रणब मुखर्जी | 24 जनवरी 2009-26 जून 2012 | मनमोहन सिंह |
मनमोहन सिंह | 26 जून 2012-31 जुलाई 2012 | मनमोहन सिंह |
पी चिदंबरम | 31 जुलाई 2012-26 मई 2014 | मनमोहन सिंह |
अरूण जेटली | 26 मई 2014-30 मई 2019 | नरेंद्र मोदी |
पीयूष गोयल | 2018-19(अतिरिक्त प्रभार, अरुण जेटली के बीमार होने पर) | नरेंद्र मोदी |
निर्मला सीतारमण | 30 मई 2019-अब तक | नरेंद्र मोदी |
आजादी के बाद से हर वित्तीय वर्ष के लिए अलग-अलग सरकारों में वित्त मंत्री ने बजट पेश किया. बजट कैसा रहा ये उस वक्त जनता के साथ-साथ अर्थशास्त्रियों ने भी इसका मूल्यांकन किया. कुछ बजट जनता की अकांक्षाओं को अनुरूप थे तो कुछ ने निराश भी किया. लेकिन, कुछ बजट ऐसे रहे जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा. किसी को ड्रीम बजट कहा गया तो कोई देश की तकदीर बदलने वाला बजट था. आइये एक नजर डालते हैं ऐसे बजट पर.
ऐसा था देश का पहला आम बजट
आजाद हिंदुस्तान के पहले वित्त मंत्री थे सर आरके शनमुघम चेट्टी. आजादी के 102 दिनों बाद देश का पहला बजट पेश किया गया था. 26 नवंबर 1947 को आरके शनमुघम चेट्टी 197.39 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. उस वक्त देश में खाद्य उत्पादन काफी कम था. इसलिए बजट में खाद्यान्न को प्राथमिकता दी गई. इसमें सबसे खास बात यह थी कि देश का रक्षा बजट करीब 50% था. रक्षा के लिए 92.74 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. पहला आम बजट साढ़े सात महीने के लिए था.
इंदिरा गांधी-देश की पहली महिला वित्त मंत्री
देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के साथ-साथ देश की पहली वित्त मंत्री भी इंदिरा गांधी रही हैं. मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद उन्होंने यह मंत्रालय अपने पास रखा. 28 फरवरी 1970 को इंदिरा गांधी ने 1970-71 का बजट पेश किया था. इंदिरा गांधी ने बड़ा फैसला लेते हुए सिगरेट पर टैक्स 3% से बढ़ाकर 22% कर दिया था. इससे सरकार को काफी लाभ हुआ. साथ ही इंदिरा गांधी ने गिफ्ट टैक्स के लिए संपत्ति की वैल्यू 10 हजार से घटाकर 5 हजार रुपए कर दी थी. तब आयकर में छूट की सीमा बढ़ाकर 5 हजार की गई थी.
वो बजट जिससे बदली हिंदुस्तान की तकदीर
बजट के इतिहास की बात हो रही है तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 1991 में पेश किए गए बजट की बात न की जाए तो फिर ये अधूरा होगा. ये वो बजट था जिसने हिंदुस्तान की तकदीर बदल दी. मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की और यहीं से भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हुआ. ये ऐतिहासिक बदलाव था और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने देश की अर्थव्यवस्था संभालने के लिए मनमोहन सिंह को पूरी तरह से छूट दे दी थी.
वाजपेयी सरकार में बदला बजट पेश करने का वक्त, बदली पुरानी परंपरा
अंग्रेजों के समय से ही देश का बजट पेश किया जाता रहा है. बजट पेश करने का समय लंदन की घड़ी के हिसाब से तय किया गया था. इसके पीछे वजह ये थी कि भारत के बजट के ब्रिटेन की संसद में सुना जाता था. लंदन का समय भारत से करीब 6 घंटे पीछे है. जब यहां शाम 5 बजता है तब वहां सुबह के 11 बजते हैं. आजादी के बाद भी यह जारी रहा. वाजपेयी सरकार ने इस परंपरा को बदला. पहली बार 27 फरवरी 1999 को भारत का बजट सुबह में ही पेश किया गया. तब से बजट सुबह ही पेश किया जाता है.
देश का 'ड्रीम बजट'
आजाद भारत में अब तक जो बजट पेश किए गए उसमें देवेगौड़ा सरकार वित्तीय वर्ष 1997-98 के लिए पी. चिदंबरम द्वारा पेश किए गए बजट को 'ड्रीम बजट' कहा जाता है. ये बजट सही मायनों में खास था. ऐसा पहली बार था टैक्स प्रावधान को तीन अलग स्लैब में बांट दिया गया था. कर सुधारों को लेकर काफी प्रयोग किए गए थे. काले धन पर रोक लगाने के लिए एक स्कीम लॉन्च किया गया था जिसका व्यापक असर हुआ और सरकार के राजस्व में काफी बढ़ोतरी हुई थी.