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देश के पहले बजट से लेकर इंदिरा गांधी और चिदंबरम के ड्रीम बजट तक, जानें अब तक किन-किन नेताओं ने संभाली वित्त मंत्रालय की जिम्मेवारी और क्या कुछ रहा खास

इस रिपोर्ट में पढ़िये देश में अब तक किन-किन नेताओं ने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है और ऐसे कौन से खास बजट रहे जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा. देश की पहली महिला वित्त मंत्री इंदिरा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह के देश की तकदीर बदलने वाली बजट और पी. चिदंबरम के ड्रीम बजट तक.

कई वित्त मंत्रियों की तरफ से पेश किए गए बजट हमेशा याद किए जाएंगे कई वित्त मंत्रियों की तरफ से पेश किए गए बजट हमेशा याद किए जाएंगे
हाइलाइट्स
  • इंदिरा गांधी-देश की पहली महिला वित्त मंत्री

  • मनमोहन सिंह के बजट से बदली हिंदुस्तान की तकदीर

  • वाजपेयी सरकार में बदला बजट पेश करने का वक्त

एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी. हर वर्ग को बजट से काफी उम्मीदें हैं. सभी इस बजट से आस लगाए बैठे हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि अब तक देश में कितने वित्त मंत्री हुए और उन्होंने किस तरह का बजट पेश किया. इस रिपोर्ट में हम बताएंगे कि देश में अब तक किन-किन नेताओं ने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है और ऐसे कौन से खास बजट रहे जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा. 5 नेता ऐसे रहे हैं जिन्होंने एक से अधिक बार वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है. मोरारजी देसाई, प्रणब मुखर्जी, जसवंत सिंह और मनमोहन सिंह ने दो अलग-अलग टर्म में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है. सबसे पहले आइये जानते हैं कि भारत के अब तक के वित्त मंत्री कौन रहे और उन्होंने कब से कब तक यह जिम्मेदारी संभाली.

देश में अब तक के वित्त मंत्री-

वित्त मंत्री कार्यकाल प्रधानमंत्री
आरके शनमुघम चेट्टी 15 अगस्त 1947-1949 जवाहरलाल नेहरु
जॉन मथाई 1949-1950 जवाहरलाल नेहरु
सीडी देशमुख 1950-1957 जवाहरलाल नेहरु
टीटी कृष्णामचारी 1957-1958 जवाहरलाल नेहरु
जवाहर लाल नेहरु 13 फरवरी  1958-13 मार्च 1958 जवाहरलाल नेहरु
मोरारजी देसाई 13 मार्च 1958-29 अगस्त 1963 जवाहरलाल नेहरु
टीटी कृष्णामचारी 29 अगस्त 1963-1965 जवाहरलाल नेहरु/लाल बहादुर शास्त्री
सचिंद्र चौधरी 1965-13 मार्च 1967 लाल बहादुर शास्त्री/इंदिरा गांधी
मोरारजी देसाई 13 मार्च 1967-16 जुलाई 1969 इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी 1970-1971 इंदिरा गांधी
यशवंतराव चौहान 1971-1975 इंदिरा गांधी
चिदंबरम सुब्रमनियम 1975-1977 इंदिरा गांधी
हरिभाई एम. पटेल 24 मार्च 1977-24 जनवरी 1979 मोरारजी देसाई
चौधरी चरण सिंह 24 जनवरी 1979-28 जुलाई 1979 मोरारजी देसाई
हेमवती नंदन बहुगुणा 28 जुलाई 1979-14 जनवरी 1980 चौधरी चरण सिंह
आर वेंकटरमण 14 जनवरी 1980-15 जनवरी 1982 इंदिरा गांधी
प्रणब मुखर्जी 15 जनवरी 1982-31 दिसम्बर 1984 इंदिरा गांधी
वीपी सिंह 31 दिसम्बर 1984-24 जनवरी 1987 राजीव गांधी
राजीव गाँधी 24 जनवरी 1987-25 जुलाई 1987 राजीव गांधी
एनडी तिवारी 25 जुलाई 1987-25 जून 1988 राजीव गांधी
शंकर राव चौहान 25 जून 1988-2 दिसम्बर 1989 राजीव गांधी
मधु दंडवते 2 दिसम्बर 1989-10 नवम्बर  1990 वीपी सिंह
यशवंत सिन्हा 10 नवम्बर  1990-21 जून 1991 चंद्रशेखर
मनमोहन सिंह 21 जून 1991-16 मई 1996 पीवी नरसिम्हा राव
जसवंत सिंह 16 मई 1996-1 जून 1996 अटल बिहारी वाजपेयी
पी चिदंबरम 1 जून 1996-21 अप्रैल  1997 एचडी देवगौड़ा
इंद्र कुमार गुजराल 21 अप्रैल 1997-1 मई 1997 इंद्र कुमार गुजराल
पी चिदंबरम 1 मई 1997-19 मार्च 1998 एचडी देवेगौड़ा
यशवंत सिन्हा 19 मार्च 1998-1 जुलाई 2002 अटल बिहारी वाजपेयी
जसवंत सिंह 1 जुलाई 2002-22 मई 2004 अटल बिहारी वाजपेयी
पी चिदंबरम 22 मई 2004-30 नवम्बर  2008 मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह 30 नवम्बर  2008-24 जनवरी 2009 मनमोहन सिंह
प्रणब मुखर्जी 24 जनवरी 2009-26 जून 2012 मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह 26 जून 2012-31 जुलाई  2012 मनमोहन सिंह
पी चिदंबरम 31 जुलाई  2012-26 मई 2014 मनमोहन सिंह
अरूण जेटली 26 मई 2014-30 मई 2019 नरेंद्र मोदी
पीयूष गोयल 2018-19(अतिरिक्त प्रभार, अरुण जेटली के बीमार होने पर) नरेंद्र मोदी
निर्मला सीतारमण 30 मई 2019-अब तक नरेंद्र मोदी

आजादी के बाद से हर वित्तीय वर्ष के लिए अलग-अलग सरकारों में वित्त मंत्री ने बजट पेश किया. बजट कैसा रहा ये उस वक्त जनता के साथ-साथ अर्थशास्त्रियों ने भी इसका मूल्यांकन किया. कुछ बजट जनता की अकांक्षाओं को अनुरूप थे तो कुछ ने निराश भी किया. लेकिन, कुछ बजट ऐसे रहे जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा. किसी को ड्रीम बजट कहा गया तो कोई देश की तकदीर बदलने वाला बजट था. आइये एक नजर डालते हैं ऐसे बजट पर.

ऐसा था देश का पहला आम बजट
आजाद हिंदुस्तान के पहले वित्त मंत्री थे सर आरके शनमुघम चेट्टी. आजादी के 102 दिनों बाद देश का पहला बजट पेश किया गया था. 26 नवंबर 1947 को आरके शनमुघम चेट्टी 197.39 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. उस वक्त देश में खाद्य उत्पादन काफी कम था. इसलिए बजट में खाद्यान्न को प्राथमिकता दी गई. इसमें सबसे खास बात यह थी कि देश का रक्षा बजट करीब 50% था. रक्षा के लिए 92.74 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. पहला आम बजट साढ़े सात महीने के लिए था.

इंदिरा गांधी-देश की पहली महिला वित्त मंत्री
देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के साथ-साथ देश की पहली वित्त मंत्री भी इंदिरा गांधी रही हैं. मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद उन्होंने यह मंत्रालय अपने पास रखा. 28 फरवरी 1970 को इंदिरा गांधी ने 1970-71 का बजट पेश किया था. इंदिरा गांधी ने बड़ा फैसला लेते हुए सिगरेट पर टैक्स 3% से बढ़ाकर 22% कर दिया था. इससे सरकार को काफी लाभ हुआ. साथ ही इंदिरा गांधी ने गिफ्ट टैक्स के लिए संपत्ति की वैल्यू 10 हजार से घटाकर 5 हजार रुपए कर दी थी. तब आयकर में छूट की सीमा बढ़ाकर 5 हजार की गई थी.

वो बजट जिससे बदली हिंदुस्तान की तकदीर
बजट के इतिहास की बात हो रही है तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 1991 में पेश किए गए बजट की बात न की जाए तो फिर ये अधूरा होगा. ये वो बजट था जिसने हिंदुस्तान की तकदीर बदल दी. मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की और यहीं से भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हुआ. ये ऐतिहासिक बदलाव था और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने देश की अर्थव्यवस्था संभालने के लिए मनमोहन सिंह को पूरी तरह से छूट दे दी थी.

वाजपेयी सरकार में बदला बजट पेश करने का वक्त, बदली पुरानी परंपरा
अंग्रेजों के समय से ही देश का बजट पेश किया जाता रहा है. बजट पेश करने का समय लंदन की घड़ी के हिसाब से तय किया गया था. इसके पीछे वजह ये थी कि भारत के बजट के ब्रिटेन की संसद में सुना जाता था. लंदन का समय भारत से करीब 6 घंटे पीछे है. जब यहां शाम 5 बजता है तब वहां सुबह के 11 बजते हैं. आजादी के बाद भी यह जारी रहा. वाजपेयी सरकार ने इस परंपरा को बदला. पहली बार 27 फरवरी 1999 को भारत का बजट सुबह में ही पेश किया गया. तब से बजट सुबह ही पेश किया जाता है.

देश का 'ड्रीम बजट'
आजाद भारत में अब तक जो बजट पेश किए गए उसमें देवेगौड़ा सरकार वित्तीय वर्ष 1997-98 के लिए पी. चिदंबरम द्वारा पेश किए गए बजट को 'ड्रीम बजट' कहा जाता है. ये बजट सही मायनों में खास था. ऐसा पहली बार था टैक्स प्रावधान को तीन अलग स्लैब में बांट दिया गया था. कर सुधारों को लेकर काफी प्रयोग किए गए थे. काले धन पर रोक लगाने के लिए एक स्कीम लॉन्च किया गया था जिसका व्यापक असर हुआ और सरकार के राजस्व में काफी बढ़ोतरी हुई थी.