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Budget 2025: पेश होने से पहले इन 4 जगहों पर जाता है बजट ड्राफ्ट, लीक न हो इसके लिए किए जाते हैं अलग-अलग उपाय

भारत का बजट सिस्टम न केवल देश की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक मिसाल है. एडवांस सेफ्टी सिस्टम और सख्त नियमों के कारण, भारत अपने बजट को लीक होने से बचाने में सफल रहा है.

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हाइलाइट्स
  • इतिहास में हुई हैं कई घटनाएं 

  • सेफ्टी के साथ बनता है देश का बजट

भारत सरकार हर साल 1 फरवरी को बजट पेश करती है, और इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि बजट से जुड़ी कोई भी जानकारी लीक नहीं होती. दुनिया के कई देशों में बजट से पहले जानकारियां लीक होने की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन भारत में ऐसा बहुत ही कम देखने को मिला है. यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक पूरी अच्छी खासी प्लानिंग होती है.

बजट पेश होने से 15 दिन पहले वित्त मंत्रालय में लॉकडाउन
जैसे ही बजट पेश होने की तारीख नजदीक आती है, वित्त मंत्रालय में सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी जाती है. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारी मंत्रालय के गलियारों में तैनात हो जाते हैं.

  • वित्त मंत्री, वित्त सचिव और दूसरे सीनियर अधिकारियों के ऑफिस की सुरक्षा को बढ़ा दिया जाता है.
  • CISF के जवान किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को प्रवेश नहीं करने देते.
  • IB के अधिकारी सादे कपड़ों में घूमकर सभी कर्मचारियों और विजिटर्स पर नजर रखते हैं.
  • बजट से दो सप्ताह पहले, वित्त मंत्रालय में बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है.

बजट से एक हफ्ता पहले क्या होता है?
बजट से एक सप्ताह पहले, वित्त मंत्रालय को लगभग ‘नो-गो जोन’ बना दिया जाता है. केवल संयुक्त सचिव (Joint Secretary) लेवल या उससे ऊपर के अधिकारियों को ही प्रवेश की अनुमति मिलती है. बजट के आखिर में ड्राफ्ट को बेहद गोपनीय रखा जाता है और इसे बजट पेश होने से केवल 24 घंटे पहले अंतिम रूप दिया जाता है.

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डिजिटल तरीके से तैयार होती है बजट की कॉपी 
अब बजट को डिजिटल रूप में तैयार किया जाता है, जिससे छपी हुई कॉपियों की संख्या में भारी कमी आई है. बजट की कॉपियां केवल कुछ ही लोगों को दी जाती हैं:

  1. राष्ट्रपति
  2. उपराष्ट्रपति
  3. केंद्रीय मंत्रिमंडल
  4. संसद में प्रस्तुत करने के लिए

इसके अलावा, कर्मचारियों के कॉल रिकॉर्ड, विजिटर्स की लॉग बुक, मंत्रालय में आने-जाने वाले लोगों की गतिविधियों की कड़ी निगरानी रखी जाती है ताकि किसी भी तरह की जानकारी लीक न हो सके.

इतिहास में हुई हैं कई घटनाएं 
हालांकि, भारत के बजट इतिहास में कुछ लीक की घटनाएं हो चुकी हैं.

  • 1947 में, जब स्वतंत्र भारत का पहला बजट तैयार किया जा रहा था, तो तत्कालीन वित्त मंत्री सर आर.के. शनमुखम चेट्टी को आलोचना झेलनी पड़ी थी. ब्रिटेन के तत्कालीन चांसलर ऑफ एक्सचेकर ह्यूग डाल्टन ने एक पत्रकार से बजट की गोपनीय जानकारी साझा कर दी थी.
  • 1950 में, राष्ट्रपति भवन में बजट छपाई के दौरान एक लीक की घटना हुई थी, जिसके कारण बजट की छपाई को मिंटो रोड स्थित एक नई जगह ट्रांसफर करना पड़ा.
  • 1980 में, बजट की सुरक्षा को और मजबूत करते हुए इसे उत्तर ब्लॉक के तहखाने में छापने का फैसला किया गया.

इन घटनाओं के बाद सरकार ने बजट की सुरक्षा के लिए कई बड़े और सख्त कदम उठाए.

बजट छपाई की गोपनीयता

बजट पेश होने से केवल 24 घंटे पहले इसकी छपाई की जाती है, और यह प्रक्रिया भी बेहद गोपनीय होती है. बजट छपाई में लगे कर्मचारियों को पूरी तरह से आईसोलेट कर दिया जाता है. इसके अलावा, किसी भी तरह की बाहरी संचार सुविधा जैसे मोबाइल फोन, इंटरनेट, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग पूरी तरह से बैन होता है. साथ ही छपाई की जगह पर भारी सुरक्षा व्यवस्था लागू होती है और कर्मचारियों को एक निर्धारित समय के लिए मंत्रालय में ही रहना पड़ता है.

आपको बता दें, भारत का बजट सिस्टम न केवल देश की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक मिसाल है. एडवांस सेफ्टी सिस्टम और सख्त नियमों के कारण, भारत अपने बजट को लीक होने से बचाने में सफल रहा है.

(इनपुट-ऐश्वर्या पालीवाल)