आज की जनरेशन में शायद ही कोई होगा जिनकी अलमारी में डेनिम जींस या शर्ट न हो. आजकल कपड़ों क्या होम-ऑफिस डेकॉर तक में डेनिम का इस्तेमाल किया जा रहा है. भारत में डेनिम की मैन्यूफैक्चरिंग सबसे पहले साल 1986 में अरविंद मिल्स ने शुरू की थी. और उनके डेनिम जीन्स को Flying Machine ब्रांड के तहत मार्केट किया जाता है. फ्लाइंग मशीन आज भारत की प्रीमियम जीन्स ब्रांड है, जिसके नाम स अक्सर लोगों को लगता है कि यह विदेशी ब्रांड है. लेकिन यह ब्रांड उस भारतीय कंपनी की है जिसकी कहानी महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन से जुड़ी हुई है.
1970 के दशक के अंत में भारत में जींस पॉपुलर हो गई थीं. विदेशी ब्रांड, लेवी स्ट्रॉस ने 1873 में डेनिम का निर्माण शुरू किया. भारत में युवा पीढ़ी विशेष रूप से 1970 और 1980 के दशक के दौरान लेवी की जींस की शौकीन थी, लेकिन 1990 के दशक में इसका क्रेज कम होने लगा. अरविंद मिल्स 1986 में भारत में डेनिम पेश करने वाली पहली कंपनी थी. कंपनी ने दुनिया भर के कई जींस मैन्यूफैक्चरर्स को इंडिगो-डाई डेनिम का निर्यात किया और डेनिम मैन्यूफैक्चरिंग में ग्लोबल लीडर बन गई. आज, दुनिया भर में अरविंद मिल्स दुनिया के सबसे बड़े डेनिम मैन्यूफैक्चरर्स में से एक है.
कैसे शुरू हुई अरविंद मिल्स की कहानी
गुजरात के अहमदाबाद में लालभाई दलपतभाई एक उद्योगपति थे और शहर के पहली पीढ़ी के कपड़ा मिल मालिकों में से एक थे. उन्होंने साल 1897 में अपनी पहली मिल, सरसपुर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की स्थापना की. यह वह समय था जब भारत में शायद ही कोई मैन्यूफैक्चरिंग एक्टिविटी हो रही थी. लालभाई परिवार गांधी जी की विचारधारा से काफी ज्यादा प्रभावित था और देश की आजादी के आंदोलन में अपनी भूमिका निभाना चाहता है. इसका मौका उन्हें साल 1931 में मिला जब महात्मा गांधी ने देशभर में स्वदेशी आंदोलन शुरू किया.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी के स्वदेशी के आह्वान पर, लालभाई परिवार ने अरविंद मिल्स की स्थापना की और खादी का उत्पादन करने लगे. इससे भारत दुनिया की बेहतरीन कपड़ा मिलों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल हो गया. और जब अरविंद के बूटा वॉयल्स को स्विट्जरलैंड और यूनाइटेड किंगडम (यूके) में निर्यात किया जाना शुरू किया तब अहसास हुआ कि स्वदेशी आंदोलन में कितनी क्षमता थी. कपड़ा उद्योग में दो दशकों की सफलता के बाद, साल 1952 में कस्तूरभाई लालभाई ने आयातित रंगों और रसायनों पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए, अतुल प्रोडक्ट्स लिमिटेड के साथ भारत का पहला डाई और केमिकल प्लांट स्थापित किया.
साल 1980 से शुरू हुई डेनिम की कहानी
साल 1973 में लालभाई परिवार ने कंपनी की तकनीकी क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए नरोत्तम लालभाई रिसर्च सेंटर की स्थापना की गई थी. दुनिया में डेनिम जीन्स की एंट्री के बाद, अरविंद मिल्स ने साल 1980 में फ्लाइंग मशीन, भारत का पहला डेनिम परिधान ब्रांड, लॉन्च किया था. साल 1986 में अरविंद मिल्स ने भारत का पहला डेनिम मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट नरोदा रोड, अहमदाबाद में शुरू किया था. अरविंद मिल्स जल्द ही डेनिम उत्पादन में ग्लोबल लेवल पर पहुंच गई. साल 1987 के आखिर तक, अरविंद ने कॉटन शर्टिंग का निर्माण भी शुरू कर दिया था.
इसके कुछ सालों बाद, कई विदेशी ब्रांड्स जैसे ली जीन्स और ऐरो शर्ट्स आदि ने अरविंद मिल्स से हाई-क्वालिटी एप्रैल्स के लिए टाई-अप किया. इसके लगभग दो दशकों बाद, अरविंद मिल्स केल्विन क्लेन, टॉमी हिलफिगर, गैप, एड हार्डी, हैन्स, नॉटिका और एले जैसे कुछ सबसे बड़े वैश्विक फैशन ब्रांडों को भारत में लाने में कामयाब रही. साल 2011 में कंपनी ने Better Cotton Initiative भी शुरू किया ताकि कॉटन फार्मिंग में रसायनों का इस्तेमाल कम से कम हो.
देश को दिया खादी डेनिम
साल 2015 में अरविंद ने खादी डेनिम बनाना शुरू किया. खादी डेनिम कहीं न कहीं स्वदेशी की विरासत है जिसने अरविंद कंपनी की स्थापना को प्रेरित किया था. खादी डेनिम का हर एक यार्ड सदियों पुरानी हथकरघा परंपराओं वाले कारीगरों द्वारा काता, रंगा और बुना जाता है. यह शायद अब तक का सबसे टिकाऊ डेनिम कपड़ा है: कोई रसायन नहीं, कोई बिजली नहीं, कोई उच्च तकनीक नहीं, लगातार घटने वाले संसाधनों का कोई उपयोग नहीं. हर साल अरविंद डेनिम 100 मिलियन मीटर से अधिक कपड़े और 6 मिलियन जोड़ी जींस का उत्पादन करता है.
डेनिम के अलावा भी कंपनी और कई सेगमेंट में काम कर रही है. आजादी से पहले शुरू हुई इस कंपनी का टर्नओवर 13 हजार करोड़ से ज्यादा है. आज दुनिया की कई बड़ी ब्रांड्स अरविंद कंपनी के साथ टाई-अप में काम कर रही हैं तो कई ब्रांड्स उनकी क्लाइंट हैं. और कंपनी लगातार नए विजन के साथ आगे बढ़ रही है.