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India-Saudi Arabia Deal: दशकों से तेल खरीदने वाला भारत अब सऊदी को एक्सपोर्ट करेगा एनर्जी...समुद्र के नीचे बिछाया जाएगा पावर ट्रांसमिशन लाइन

जी 20 बैठक में शिरकत करने भारत आए सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिल सलमान बिन अब्दुलअजीज अल साउद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई. भारत और सऊदी अरब के बीच समुद्र के नीचे बिजली ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के लिए करार हुआ है. बिजली ट्रांसमिशन लाइन के जरिए भारत और सउदी अरब के पावर ग्रिड को आपस में जोड़ा जाएगा.

भारत-सऊदी अरब समझौता भारत-सऊदी अरब समझौता

G20 शिखर सम्मेलन के सम्पन्न होने के बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत के राजकीय दौरे पर हैं. इस दौरान पीएम मोदी और और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच वन टू वन मीटिंग भी हुई. इस बीच कई अहम समझौते भी हुए. सऊदी अरब और भारत दोनों ने इस बात पर सहमति जताई है कि 100 अरब डॉलर के निवेश को तेजी से आगे बढ़ाया जाए. इसके तहत भारत और सऊदी अरब ने बिजली ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन क्षमताओं के बीच समुद्र के भीतर इंटरलिंक बनाने की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की. सऊदी की योजना भारत से क्‍लीन एनर्जी की सप्‍लाई इस केबल के माध्‍यम से लेने की है. इस मीटिंग में एनर्जी सेक्टर, व्यापार- निवेश, रक्षा, हेल्थ और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई. भारत और सऊदी अरब के बीच 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब 50 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. 

इसके अलावा दोनों देशों के बीच एक और अहम डील हुई. भारत काफी समय से सऊदी अरब से तेल आयात करता रहा है लेकिन अब ग्रीन एनर्जी, बिजली ग्रिड को लेकर सऊदी अरब के साथ करार  हुआ है. आने वाले समय में भारत ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है.

ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका
ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और उनके सऊदी समकक्ष अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान अल-सऊद द्वारा साइन किया गया समझौता ज्ञापन, भारत की स्थिति को सऊदी तेल और रसोई गैस (एलपीजी) के शुद्ध खरीदार से ग्रीन एनर्जी और हाइड्रोजन के साथ ऊर्जा निर्यातक में बदलने की क्षमता रखता है. भारत और सऊदी अरब ने सोमवार को अपने बिजली ग्रिड, ग्रीन हाइड्रोजन क्षमताओं के बीच समुद्र के भीतर इंटरलिंक बनाने की दिशा में काम करने पर सहमति जताते हुए अपने पारंपरिक तेल क्रेता-विक्रेता संबंध को साझेदारी में बदलने की योजना बनाई है. सऊदी अरब तेल के लिए भारत का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है और एलपीजी के लिए सबसे बड़ा स्रोत है.सरकार ने एक बयान में कहा, "एमओयू जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में ऊर्जा परिवर्तन और वैश्विक ऊर्जा प्रणाली के परिवर्तन के लिए भारत के प्रयासों का समर्थन करेगा."

समुद्र के अंदर कितने केबल परिचालन हैं
इंटरकनेक्ट दूरगामी परिणाम वाला सबसे महत्वाकांक्षी और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण प्रस्ताव है क्योंकि यह दोनों अर्थव्यवस्थाओं को एक सूत्र में बांध देगा. दुनिया भर में समुद्र के अंदर 485 केबल परिचालन में हैं, जिनमें सबसे लंबा ब्रिटेन और डेनमार्क के बीच 764 किलोमीटर लंबा वाइकिंग लिंक है. फिलहाल जब भी यह साकार होगा, यह मुख्य रूप से हरित ऊर्जा के लिए वैश्विक ग्रिड के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' दृष्टिकोण में पहला ऑफशोर लिंक होगा.

भारत के पास कितना तेल भंडार
समझौता ज्ञापन पेट्रोलियम भंडार के क्षेत्रों में सहयोग पर भी केंद्रित है. यह एक ऐसा कदम है जो भारत की रणनीतिक तेल और गैस भंडारण क्षमताओं के विस्तार में सऊदी निवेश को बढ़ा सकता है. भारत के पास वर्तमान में 5 मिलियन टन से कुछ अधिक का रणनीतिक तेल भंडार है जो तीन स्थानों पर फैला हुआ है और कमर्शियल यूज के लिए एक जगह एलपीजी स्टोरेज.विनीत मित्तल के नेतृत्व वाली अवाडा एनर्जी और रुइयास प्रवर्तित एस्सार समूह द्वारा सऊदी अरब में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण के लिए क्रमशः AEW (अल जोमैह एनर्जी एंड वॉटर) और डेजर्ट टेक्नोलॉजीज के साथ साझेदारी की घोषणा के साथ क्रॉस-निवेश के शुरुआती संकेत सामने आए, जहां एस्सार निर्माण कर रहा है. यह 4.5 बिलियन डॉलर का ग्रीन स्टील प्लांट होगा.

क्या है भारत का लक्ष्य
बता दें कि भारत अभी बांग्लादेश और नेपाल को बिजली निर्यात करता है और भूटान से बिजली आयात करता है. वहीं म्यांमार और उससे आगे तक ग्रिड कनेक्टिविटी का विस्तार करने पर विचार किया जा रहा है. क्षमता विस्तार से भारत सऊदी अरब और पड़ोसी संयुक्त अरब अमीरात को ग्रीन हाइड्रोजन भी निर्यात कर सकता है, जो इन दोनों देशों के माध्यम से यूरोप में प्रस्तावित आर्थिक कॉरिडोर को आपूर्ति करेगा. भारत ने 2030 तक पांच मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन क्षमता का लक्ष्य बना रखा है और इसका लक्ष्य भविष्य के ईंधन के लिए एक निर्यात केंद्र बनना है.