

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वार से पूरी दुनिया में वैश्विक मंदी का खतरा है. पूरी दुनिया के शेयर मार्केट हिले हुए हैं. निवेशकों को काफी नुकसान हुआ है. सोमवार को भारतीय शेयर मार्केट में काफी गिरावट हुई है.
ट्रंप के टैरिफ का असर पूरी दुनिया में देखने को मिलने लगा है. दुनिया भर के बाजारों में काफी गिरावट हुई है. इसके बाद अब इंडियन शेयर मार्केट भी क्रैश हो गया है. 7 अप्रैल सोमवार को सेंसेक्स और निफ्टी भारी गिरावट के साथ खुले.
पूरे दिन भारतीय शेयर बाजार में गिरावट रही. सोमवार को शेयर सेंसेक्स और निफ्टी 9 महीने के सबसे निचले स्तर पर रहे. सेंसेक्स आज 2,226.79 प्वाइंट गिरकर 73,137.90 अंक पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी 742.85 प्वाइंट गिरकर 22,160.60 अंक पर बंद हुए. ये पहली बार नहीं है जब इंडियन शेयर मार्केट में भारी गिरावट हुई है. इससे पहले भी कई ऐसे मौके आए हैं जब भारतीय शेयर बाजार धड़ाम से गिरा है.
हर्षद मेहता स्कैम
भारतीय शेयर मार्केट में जब भी घोटाले का जिक्र होता है तो सबसे पहले हर्षद मेहता स्कैम का जिक्र जरूर होता है. हर्षद मेहता घोटाला अप्रैल 1992 में हुआ था. हर्षद मेहता ने शेयर बाजार को खिलौना बना दिया था और धोखाधड़ी से स्टॉक की कीमतों को बढ़ा देता था. इस घोटाले का खुलासा होने पर सेंसेक्स में 56% की गिरावट हुई. सेंसेक्स 4,467 से गिरकर 1,980 प्वाइंट पर आ गया था. शेयर मार्केट की से स्थिति 2 साल तक बनी रही थी. इस घोटाले के बाद ही सेबी का जन्म हुआ था.
एशियन फाइनेंशियल क्राइसिस
हर्षद मेहता घोटाले के 5 साल बाद ही भारतीय शेयर मार्केट को एक बार फिर से बढ़ी गिरावट झेलनी पड़ी. 1997 में ईस्ट और साऊथईस्ट एशिया की करेंसी काफी गिर गई. इसका असर इंडियन शेयर मार्केट पर भी हुआ. उस साल दिसंबर तक सेंसेक्स 28% से ज्यादा गिर गया. सेंसेंक्स 4600 प्वाइंट से गिरकर 3,300 तक पहुंच गया. भारतीय शेयर बाजार को मजबूत होने में काफी समय लगा.
डॉट कॉम बबल क्रैश
90 के दशक में टेक्नॉलोजी से संबंधित शेयरों में काफी उछाल हुआ. 1998 से लेकर 2000 तक ये सिलसिला जारी रहा. 2000 की शुरुआत में इन कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट हुई. इससे शेयर बाजार भी हिल गया. सेंसेक्स में 43 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. सेंसेक्स 5,937 से गिरकर 3,404 अंक पर आ गया.
वैश्विक मंदी 2008
ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस 2008 में हुई थी. अमेरिका में लेहमैन ब्रदर्स का पतन हुआ. इससे पूरी दुनिया के शेयर बाजार हिल गए. भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट हुई. सेंसेक्स 60% से ज्यादा गिर गया. इस वैश्विक मंदी में सेंसेक्स 21,206 अंकों से गिरकर 8,160 प्वाइंट पर पहुंच गया. सेंसेक्स को वापसी करने में 2 साल का समय लग गया.
कोविड क्रैश
कोविड महामारी पूरी दुनिया में अचानक से आई. 2020 में कोरोना ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया. भारत समेत पूरी दुनिया में लॉकडाउन लग गया. इससे शेयर मार्केट में भारी गिरावट हुई. जनवरी 2020 में सेंसेक्स 39 फीसदी गिर गया. सेंसेक्स 42,273 अंक गिरकर 25,638 प्वाइंट पर पहुंच गया.
लोकसभा चुनाव 2024
बीते लोकसभा चुनाव में भी भारतीय शेयर मार्केट में भारी गिरावट दर्ज हुई थी. एग्जिट पोल में एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें आने का अनुमान था लेकिन नतीजा कुछ और ही निकला. इस वजह से सेंसेक्स में 4,389 अंक और निफ्टी में 1,419.4 प्वाइंट की गिरावट दर्ज की गई थी. इस क्रैश डाउन में निवेशकों को 31 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.