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IndiGo Airlines: देश की उस एयरलाइन कंपनी की कहानी जानिए जिसने हवाई चप्पल पहने लोगों को भी प्लेन में बैठने का सपना साकार किया

एयरलाइन कंपनी इंडिगो ने एयरबस को 500 विमानों का सबसे बड़ा ऑर्डर दिया है. इसी के साथ यह दुनिया और भारत की पहली एयरलाइन कंरपनी बन गई है, जिसने किसी विमान निर्माता कंपनी के साथ इतनी बड़ी डील की है. इससे पहले एयर इंडिया ने एयरबस और बोइंग के साथ 470 विमानों का करार किया था. 

Indigo Indigo
हाइलाइट्स
  • 1300 से ज्यादा विमान संचालित करता है इंडिगो

  • Indigo कैसे सफल हुई? 

एयरलाइन कंपनी इंडिगो ने एयरबस को 500 विमानों का सबसे बड़ा ऑर्डर दिया है. इसी के साथ यह दुनिया और भारत की पहली एयरलाइन कंरपनी बन गई है, जिसने किसी विमान निर्माता कंपनी के साथ इतनी बड़ी डील की है. इससे पहले एयर इंडिया ने एयरबस और बोइंग के साथ 470 विमानों का करार किया था. 

इस खरीद समझौते पर फ्रांस में पेरिस एयर शो 2023 के दौरान इंडिगो और एयरबस ने हस्ताक्षर किए. इसके तहत इंडिगो को ए320 नियो समूह के विमानों की आपूर्ति की जाएगी. इंडिगो के पास अभी 300 से ज्यादा विमान हैं. इंडिगो ने पहले भी 480 विमानों के ऑर्डर दिए थे, लेकिन इसकी आपूर्ति अभी तक नहीं हो पाई है. इसके साथ ही कंपनी के पास 2030 से लेकर 2035 तक करीब 1000 विमान हो जाएंगे. 

घरेलू प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी

इंडिगो के पास मौजूदा समय में भारत के घरेलू बाजार की 58 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी है. टाटा समूह में प्रवेश के बाद विमानन उद्योग में अधिक प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है, माना जा रहा है कि इसमें और तेजी आएगी. 

1300 से ज्यादा विमान संचालित करता है इंडिगो

इंडिगो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी है, इसकी स्थापना राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने 2004 में 350 करोड़ रुपये के निवेश से की थी. किंगफिशर, एयर इंडिया जैसे बड़े दिग्गजों को पछाड़कर इंडिगो ने देश दुनिया में अपनी पहचान बनाई. भारत में सस्ती और छोटे रूट पर चलने वाली विमान सेवाएं देने के लिए इंडिगो Airline की स्थापना की गई थी. आज इंडिगो सफलता के शिखर पर है. देश में हर दो में से एक हवाई यात्री आज उसके प्लेन से उड़ान भर रहा है. इंडिगो के पास 300 से अधिक विमान हैं, इंडिगो हर दिन 1300 से ज्यादा उड़ानें संचालित करता है. इंडिगो ने करीब 25,000 लोगों को रोजगार दिया है और दुनिया भर के 60 शहरों में इसके 126 ऑफिस हैं. लेकिन इंडिगो की सफलता की कहानी किसी सपने से कम नहीं रही है.

2004 में शुरू किया ‘इंटरग्लोब एविएशन’

जब राहुल और राकेश ने 2004 में इंडिगो एयरलाइंस के मालिक इंटरग्लोब एविएशन के लिए पार्टनरशिप की तो वो जानते थे कि इंडियन एविएशन इंडस्ट्री नुकसान से जूझ रही है. मार्केट में विदेशी एयरलाइन कंपनियों का वर्चस्व है लेकिन फिर भी दोनों ने अपने अनुभव की वजह से रिस्क लिया. खेल के लिखित नियमों की अनदेखी करते हुए R और R ने अनोखी स्ट्रेटजी अपनाई और भारतीय विमानन के इतिहास में सबसे आश्चर्यजनक सफलता की कहानी लिखी. इस तरह साल 2004 में ‘इंटरग्लोब एविएशन’ की शुरुआत हुई और इन्हें एयरलाइन शुरू करने का लाइसेन्स मिल गया.

राहुल के पास commercial arithmetic and the Indian regulatory environment की अच्छी समझ थी, वहीं राकेश जानते थे कि नब्बे के दशक के आखिर में यूएस एयरवेज (उस समय की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी अमेरिकी एयरलाइनों में से एक) को संचालित करने वाली एयरलाइन को कैसे चलाना है. उनके पास एयरबस जैसी कंपनी को 100 विमानों की आपूर्ति के लिए राजी करने का कौशल भी था. इंडिगो ने हल्के विमानों का इस्तेमाल किया और ईंधन लागत को ज्यादा से ज्यादा कम करने की तकनीक पर काम किया. ये सब क्वालिटी से कॉम्प्रोमाइज न करते हुए किया गया. इंडिगो में काम करने वाले लोग ज्यादातर युवा हैं.

Indigo कैसे सफल हुई? 

सबसे पहले Indigo ने अपना कस्टमर बेस उन लोगों को बनाया जो हवाई सफर तो करना चाहते थे लेकिन अपनी जेब को ध्यान में रखते हुए. Indigo ने अपने टिकट के दाम कम रखे और अपना कस्टमर बेस बढ़ाया. जिससे Indigo के अधिक से अधिक टिकट बिके और उसे नुकसान न के बराबर हुआ.

Indigo ने शुरुआत में अपनी सेवाओं को भारत के अंदर दिया. कंपनी ने देश के प्रमुख शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने का काम किया और कम कीमत पर लोगों को हवाई यात्रा देने का सपना पूरा किया. इंडिगो के जरिए ही हवाई चप्पल पहने लोगों का भी प्लेन में बैठने का सपना पूरा हुआ क्योंकि हवाई जहाज में घूमना एक मध्यमवर्गीय और गरीब परिवार के लिए केवल सपना ही होता है. जिसे उन्हें सस्ती हवाई यात्रा देकर इंडिगो ने पूरा किया.