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Trademark Infringement: महिंद्रा ने अपनी नई इलेक्ट्रिक कार का नाम BE 6E रखा, इंडिगो ने कोर्ट में घसीटा, जानें इंडिया में ट्रेडमार्क को लेकर नियम क्या हैं?

इंडिगो ने ईवी पर '6ई' ब्रांडिंग के इस्तेमाल को लेकर ट्रेडमार्क उल्लंघन के लिए महिंद्रा पर मुकदमा दायर किया है.

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हाइलाइट्स
  • ट्रेडमार्क विवाद को लेकर महिंद्रा और इंडिगो आमने-सामने

  • इंडिगो के डिजाइनर कोड में '6E' का इस्तेमाल होता है

इंडिगो ने महिंद्रा पर '6E' ब्रांडिंग के इस्तेमाल को लेकर ट्रेडमार्क उल्लंघन का मुकदमा दायर किया है. इस केस की सुनवाई 9 दिसंबर को हो सकती है. इंडिगो का कहना है कि '6E'  ब्रांड उनके फ्लाइट कोड और पहचान का हिस्सा है. इस विवाद ने भारत में ट्रेडमार्क और इससे जुड़े नियमों की अहमियत को फिर से चर्चा में ला दिया है. आइए समझते हैं कि ट्रेडमार्क क्या होता है, इसके क्या फायदे हैं, और भारत में इसके नियम क्या हैं.

ट्रेडमार्क क्या होता है?
ट्रेडमार्क एक्ट 1999 के मुताबिक ट्रेडमार्क किसी कंपनी के किसी प्रोडक्ट का एक ग्राफिकल रिप्रजेंटेशन है, जो उसे किसी दूसरी कंपनी के प्रोडक्ट से अलग पहचान दिलाती है. ये वर्ड-मार्क, लोगो या दोनों का कॉम्बिनेशन भी हो सकता है. ट्रेडमार्क एक इंटलेक्चुल प्रॉपर्टी है. अगर आपने अपने द्वारा बनाए किसी ट्रेडमार्क को रजिस्टर करवा लिया है तो इसका इस्तेमाल बिना आपकी मर्जी के कोई नहीं कर सकता है. ट्रेडमार्क से ब्रांड को मार्केट में एक ट्रस्ट मिलता है. सभी बिजनेस और स्टार्टअप अपना ट्रेडमार्क रजिस्टर करवाते हैं.

क्या है ट्रेडमार्क के फायदे?
ट्रेडमार्क से आपका ब्रांड बाजार में अलग दिखता है. ग्राहक आपके नाम, लोगो, या स्लोगन को तुरंत पहचान सकते हैं और प्रोडक्ट खरीद सकते हैं.

अगर कोई आपके नाम या लोगो का गलत इस्तेमाल करे, तो आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.

जब लोग किसी एक ब्रांड को पहचानते हैं, तो वे उसकी क्वालिटी पर भरोसा करते हैं. इससे मार्केट में ट्रस्ट बिल्ड होता है.

ट्रेडमार्क आपके बिजनेस को एक संपत्ति की तरह बनाता है, जिसे बेचा या लीज पर दिया जा सकता है.

एक मजबूत ट्रेडमार्क आपके बिजनेस को बाजार में कॉम्पिटिटर्स से आगे रखता है.

अगर आपका ट्रेडमार्क इंटरनेशनल लेवल पर रजिस्टर्ड है, तो यह विदेशों में भी आपकी पहचान बनाए रखता है.

भारत में ट्रेडमार्क कानून क्या है?
भारत में ट्रेडमार्क से जुड़े नियम और कानून ट्रेडमार्क एक्ट , 1999 (Trademark Act, 1999) के तहत आते हैं. यह कानून कंपनियों और व्यक्तियों को उनके ट्रेडमार्क को रजिस्टर्ड कराने और उसकी सुरक्षा करने का अधिकार देता है. भारतीय कानून में ट्रेडमार्क से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वाले पर जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा, तीन साल तक की जेल का भी प्रावधान है.


ट्रेडमार्क पंजीकरण कैसे करें?

ऐसा नाम, लोगो या चिन्ह चुनें जो यूनिक हो और किसी अन्य कंपनी के ट्रेडमार्क से न मिलता हो.

अपने ट्रेडमार्क का रजिस्ट्रेशन कराने से पहले ये जरूर देख लें कि वो पहले से किसी और के नाम पर न हो.

ट्रेडमार्क आवेदन प्रक्रिया
ऑनलाइन आवेदन- भारत में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा है.

फीस का भुगतान- आवेदन करने के लिए फीस जमा करनी होती है.

जांच और रजिस्ट्रेशन- आवेदन की जांच की जाती है, और यदि कोई आपत्ति नहीं होती, तो आपका ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड हो जाता है.

भारत में एक ट्रेडमार्क 10 साल तक के लिए वैलिड होता है. इसे हर 10 साल बाद नवीनीकरण (Renewal) कराना पड़ता है.

ट्रेडमार्क उल्लंघन (Trademark Infringement) कब होता है?
ट्रेडमार्क उल्लंघन तब होता है जब कोई व्यक्ति या कंपनी किसी और के रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क का बिना उसकी मर्जी के इस्तेमाल करती है. सबसे पहले ट्रेडमार्क उल्लंघन करने वाले को नोटिस देकर ट्रेडमार्क के इस्तेमाल को बंद करने को कहा जाता है. अगर उल्लंघन जारी रहता है, तो कोर्ट में मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट उल्लंघन करने वाले को मुआवजा देने या ट्रेडमार्क का इस्तेमाल बंद करने का आदेश दे सकता है.

महिंद्रा और इंडिगो विवाद कौन सही है?

महिंद्रा ने अपनी नई इलेक्ट्रिक कार का नाम ‘BE 6E’ रखा, जबकि ‘6E’ ब्रांडिंग इंडिगो की पहचान है.
  
इंडिगो का पक्ष
इंडिगो का कहना है कि ‘6E’  उनके ट्रेडमार्क का हिस्सा है और महिंद्रा इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती. इंडिगो  के पास विज्ञापन, परिवहन और यात्री सेवाओं सहित कई कैटेगरी में "6E" ब्रांडनेम ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड है.
  
महिंद्रा का पक्ष
महिंद्रा का कहना है कि ‘BE 6E’  सिर्फ उनके कार मॉडल का नाम है और इसका इंडिगो से कोई लेना-देना नहीं है. उनकी ब्रांडिंग में भ्रम की कोई संभावना नहीं है क्योंकि यह एयरलाइन सेवा के बजाय इलेक्ट्रिक वाहन के लिए इस्तेमाल की जाती है.