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Green Bond लाने वाला पहला नगर निकाय बना इंदौर, जानिए क्या है इस बॉन्ड के फायदे

इंदौर को हम सभी क्लीन सिटी के तौर पर तो जानते ही हैं. लेकिन अब इंदौर के नाम एक और रिकॉर्ड बनने वाला है. ग्रीन सिटी बनने की पहल में इंदौर नगर निगम ने ग्रीन बॉन्ड जारी किया है. जो इस शहर को पानी के संकट और पर्यावरण दोनों से मुक्ति दिलवाने वाला है. यानी 27 रुपए प्रति लीटर का पानी पी रहे इंदौरियों के लिए सरकार ग्रीन बॉन्ड जारी करने वाली है. इस बॉन्ड से जो पैसा आएगा उससे 60 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट लगाया जाएगा. जिससे नगर निगम को सालाना 3 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत होने की उम्मीद है.

ग्रीन बॉन्ड लाने वाला पहला नगर निकाय बना इंदौर ग्रीन बॉन्ड लाने वाला पहला नगर निकाय बना इंदौर
हाइलाइट्स
  • निवेश करने के लिए बेहतर विकल्प

  • पर्यावरण फ्रेंडली योजना के लिए बना है ग्रीन बॉन्ड

मध्य प्रदेश का दिल इंदौर है, ये शहर लगातार 6 साल से सफाई के मामले में नंबर वन रहा है. इंदौर देश की नंबर वन क्लीन सिटी के नाम से मशहूर है. अब एक और खिताब इंदौर के नाम होने वाला है. जल्द ही इंदौर ग्रीन सिटी बनने जा रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इंदौर ने कार्बन उत्सर्जन को जीरो करने के लिए कमर कस ली है. ग्रीन सिटी के लिए पहला कदम ग्रीन बॉन्ड के जरिए आगे बढ़ा दिया है. 

कार्बन उत्सर्जन कम करना होगा
इंदौर को ग्रीन सिटी बनाने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना यानी बिजली बनाने के लिए सोलर पैनल का विकल्प अपनाना जरूरी है. इसके लिए इंदौर नगर निगम ग्रीन बॉन्ड लेकर आ रहा है. देश में ग्रीन बॉन्ड लाने वाला ये पहला नगर निगम है. इस बांड के जरिए जलूद जल संयंत्र पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की परियोजना है. अधिकारियों के मुताबिक ग्रीन बॉन्ड से सोलर प्लांट के लिए 244 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे.

ग्रीन बांड की खासियत
ग्रीन बांड की खासियत है कि इसमें खासोआम यानी हर कोई भागीदार बन सकता है. बॉन्ड का इश्यू प्राइस और फेस वैल्यू 1 हजार रुपए है. बॉन्ड में कम से कम 10 हजार रुपये का निवेश करना होगा. निगम को उम्मीद है कि ग्रीन बांड से नगर निगम को 250 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. आम जनता के लिए ग्रीन बॉन्ड को 10 फरवरी को जारी किया जाएगा और 14 फरवरी को बंद होगा.

निवेश करने के लिए बेहतर विकल्प
ग्रीन बॉन्ड खरीदने वालों को 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज मिलेगा. ब्याज का 6-6 महीने में भुगतान होगा. वहीं सुरक्षा के लिहाज से कंपनी का दावा है कि नगर निगम सेबी यानी Securities and Exchange Board of India के नियमों के मुताबिक भुगतान करेगा. इसके अलावा बॉन्ड होल्डर को निर्धारित समय में राशि भी मिलेगी और आखिर में पूरी पूंजी वापस हो जाएगी. सबसे बड़ी बात है कि ब्रांड होल्डर को ग्रीन बॉन्ड पर 8.25% की दर से ब्याज मिलेगा. ब्रांड होल्डर जितना पैसा निवेश करेगा. उस पर 6 महीने बाद ही ब्याज भी मिलने लगेगा.

बॉन्ड से क्या होगा लाभ
ग्रीन बॉन्ड का मकसद सोलर एनर्जी को बढ़ावा देना है. इंदौर में सोलर प्लांट लगने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. जो न केवल इंदौर सिटी के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. ग्रीन बॉन्ड की ये पहल कारगर रही तो इससे प्रदेश के लोगों को डबल फायदा होने वाला है. पहला तो सरकारी बॉन्ड से मुनाफा मिल सकता है और दूसरा बढ़ते प्रदूषण से राहत मिलेगी.

पर्यावरण फ्रेंडली योजना के लिए बना है ग्रीन बॉन्ड
सरकार ने ग्रीन बॉन्ड पर्यावरण फ्रेंडली योजना के लिए बनाए हैं. यानी सरकार पर्यावरण फ्रेंडली योजना के लिए ग्रीन बॉन्ड के जरिए पैसा इकट्ठा करती है या फिर कह सकते हैं कि ग्रीन बॉन्ड लोन लेने का एक साधन है. जिसका इस्तेमाल सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए करती है. मतलब ग्रीन परियोजनाओं के लिए एक तय राशि जुटाई जाती है. 

इंदौर में क्यों जारी किया गया है बॉन्ड
दरअसल इंदौर में पीने के पानी की कमी है. जिसके लिए शहर में पानी नर्मदा नदी से पहुंचाया जाता है. जिसके लिए सरकार को करोड़ों रुपये खर्च करने होते हैं. इंदौर नगर निगम शहर में पीने के पानी की आपूर्ति के लिए जलूद में नर्मदा से पानी पंपिंग करता है. अभी पानी पंपिंग में हर महीने सरकार को बिजली का भारी भरकम बिल चुकाना पड़ता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक नर्मदा का पानी इंदौर तक पहुंचाने के लिए नगर निगम को अभी हर महीने 25 करोड़ और साल में करीब 300 करोड़ रुपये का बिजली बिल चुकाना पड़ता है. इस खर्च में कटौती और बिजली बचाने के लिए सरकार ने 60 मेगावॉट का सोलर प्लांट लगाने की परियोजना बनाई है. इस परियोजना के लिए जलूद जल संयंत्र पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया जाएगा. जिसके लिए सरकार को एक बड़े अमाउंट की जरूरत है. जिसके लिए सरकार ने ग्रीन बॉन्ड को चुना है. सोलर प्लांट से जो बिजली उत्पन्न होगी उससे जल संयंत्र पर लगे पंप चलेंगे और पहाड़ों को लांघ कर नर्मदा का पानी इंदौर पहुंचाया जाएगा. इस बॉन्ड से ये फायदा होगा की सोलर प्लांट लगने के बाद बिजली के बिल में हर महीने 5 से 6 करोड़ रुपए की कमी आएगी.

ग्रीन बॉन्ड से आए पैसों से नगर निगम जलूद में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएगा और उससे पैदा होने वाली बिजली से जलूद के वाटर पंप चलेंगे. इस परियोजना की लागत करीब 300 करोड़ है. जिसमें से 244 करोड़ रुपए सरकार ग्रीन बॉन्ड के जरिए जुटाने की कोशिश कर रही है.