वित्त वर्ष 2023-24 और असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) यानी आईटीआर भरने की डेडलाइन 31 जुलाई 2024 है. इस तारीख के बाद ITR भरने पर जुर्माना देना पड़ेगा.
कई बार आईटीआर जल्दबाजी में दाखिल करने के कारण कुछ गलतियां हो जाती हैं. इसके कारण आईटीआर रिजेक्ट तक हो जाता है. इतना ही नहीं टैक्सपेयर्स को जुर्मान भी भरना पड़ता है. आज हम आपको बता रहे हैं कि आईटीआर दाखिल करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
1. पर्सनल इन्फॉर्मेशन सही नहीं देना
आईटीआर फॉर्म फाइल करते समय पर्सनल इन्फॉर्मेशन सही देने चाहिए. जैसे नाम, पैन, पता और बैंक अकाउंट डिटेल्स फॉर्म में सही ढंग से भरे गए हैं. कई बार आधार कार्ड और पैन कार्ड की जानकारी मेल नहीं खाती है. यदि आपके डॉक्यूमेंट्स में नाम या पते जैसी जानकारी अलग-अलग है तो पहले इन्हें सही जानकारी के साथ अपडेट करवाएं क्योंकि गलत जानकारी देने का कारण आपका आईटीआर रिजेक्ट हो सकता है.
2. फॉर्म में गलत जानकारी
किसी भी टैक्सपेयर्स को आईटीआर दाखिल करते समय में इनकम टैक्स फॉर्म में किसी तरह की कोई गलत जानकारी नहीं भरनी चाहिए. ऐसा करने पर आपका आईटीआर रिजेक्ट हो सकता है. इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय ये ध्यान रखें कि आपके 26 एएस फॉर्म में आपकी इनकम पर जो TDS के आंकड़े दिए गए हैं, वही आपने ITR फॉर्म में भरे गए हों. इसके लिए जरूरी है कि आईटीआर फॉर्म भरते वक्त आप 26एएम फॉर्म और फॉर्म-16 के आंकड़ों का मिलान जरूर कर लें ताकि बाद में कोई परेशानी न हो.
3. इनकम की सही जानकारी न देना
कई लोग टैक्स बचाने के चक्कर में अपनी इनकम की सही जानकारी नहीं देते हैं. ऐसा करना गलत है. किसी भी टैक्सपेयर्स को आईटीआर फॉर्म दाखिलत करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सैलरी, किराया, निवेश और ब्याज आदि से होने वाली आय की सही जानकारी दें. यदि आप अपनी आय का सही जानकारी नहीं देते हैं तो आप पर टैक्स चोरी के तहत पेनाल्टी लग सकती है और आपका आईटीआर भी रिजेक्ट कर दिया जाएगा.
4. गलत आईटीआर फॉर्म चुनना
आईटीआर दाखिल करने के लिए सात तरह के फॉर्म होते हैं. किसी भी टैक्सपेयर को अपनी इनकम के आधार पर सही आईटीआर फॉर्म चुनना चाहिए. यह आईटीआर दाखिल करने का पहला और सबसे जरूरी कदम है. गलत आईटीआर फॉर्म में आईटीआर दाखिल करने से इसे इनवैलिड रिटर्न माना जाएगा.
5. आईटीआर का ई-वेरिफिकेशन न करना
आईटीआर दाखिल करने के 30 दिनों के भीतर ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी है. यदि टैक्स रिटर्न दाखिल करने के बाद वेरिफाई नहीं किया जाता है, तो इसे इनवैलिड रिटर्न माना जाता है. आयकर विभाग इनवैलिड रिटर्न को प्रोसेस नहीं करता है.
6. लास्ट डेट को नजरअंदाज करना
कुछ टैक्सपेयर्स अक्सर इनकम टैक्स भरने के लिए अंतिम तिथि को नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसे में करदाताओं को जुर्माना भरना पड़ सकता है. ऐसा न करना पड़े इसिलए आईटीआर फाइल करने की लास्ट डेट से पहले ही फॉर्म को भर देना चाहिए. यदि आप लास्ट डेट के बाद आईटीआर दाखिल करते हैं तो आपको जुर्माने के साथ रिजेक्शन का भी सामना करना पड़ सकता है.
7. गलत HRA दावा करना
किसी भी करदाता को एचआरए क्लेम के लिए फर्जी प्रूफ देने से बचना चाहिए. गलत HRA दावा करने पर आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है. यदि कोई टैक्सपेयर्स गलत HRA क्लेम करता है या इनकम गलत बताया है तो बताई गई गलत इनकम पर देय टैक्स पर 50 फीसदी जुर्माना लगेगा. इनकम को छुपाने पर टैक्स देय राशि का 300 फीसदी तक जुर्माना देना होगा. सिर्फ एचआरए ही नहीं, कई तरह के डिडक्शन के लिए लोग अक्सर फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर टैक्स में छूट हासिल करना चाहते हैं. ऐसी गलती आप नहीं करें. ऐसा करने पर आप पर कानूनी कार्रवाई तक हो सकती है.