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Income Tax Return: टैक्स पेयर्स ध्यान दें! पहली बार भरने जा रहे हैं ITR तो इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगी कोई परेशानी, तुरंत खाते में आ जाएगा पैसा 

ITR Filing: टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइल करने के बाद अंतिम चरण में अपने रिटर्न को वेरिफाई करना होता है. पहली बार आईटीआर दाखिल करने वाले लोग अक्सर इसका वेरिफिकेशन नहीं करते हैं. यह एक बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है. बिना वेरिफिकेशन के आईटीआर को पूरा नहीं माना जाता है.

ITR Filing ITR Filing
हाइलाइट्स
  • अपनी जरूरत के हिसाब से टैक्स रिजीम का करें चुनाव 

  • 7 तरह के होते हैं आईटीआर फॉर्म

इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने की डेडलाइन 31 जुलाई 2024 है. ऐसे में अब इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए आपके पास बहुत कम दिन बचे हैं. नौकरी करने वालों से लेकर बिजनेसमैन तक को आईटीआर फाइल करना जरूरी होता है. यदि आप पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने जा रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?

इन डॉक्यूमेंट्स की पड़ती है जरूरी
ITR दाखिल करने के लिए आधार और पैन कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल, फॉर्म 16, टीडीएस सर्टिफिकेट, टैक्स डिडक्शन के दावे के लिए इनवेस्टमेंट प्रूफ, बैंकों और डाकघरों से मिले ब्याज का प्रूफ, छूट क्लेम करने के लिए डोनेशन किया है तो उसकी रसीद, स्टॉक ट्रेडिंग स्टेटमेंट, इंश्योरेंस पॉलिसी की रसीद, आधार से वैलिडेट बैंक खाता, बैंक से लिया ब्याज सर्टिफिकेट सहित निवेश के अन्य डॉक्यूमेंट चाहिए.

दो तरह के हैं टैक्स रिजीम
आईटीआर दाखिल करने के लिए अभी दो तरह की टैक्स रिजीम है. पहला ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) है और दूसरा न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime). ऐसे में आप ITR दाखिल करते समय नया या पुराना टैक्स रिजीम में से किसी एक का चुनाव जरूर कर लें. आपको मालूम हो कि न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट में रखा गया है. यदि आप ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर फाइल करना चाहते हैं तो फिर आपको इसे खुद से बदलना होगा. दोनों के लिए टैक्स स्लैब रेट्स अलग-अलग होते हैं. 

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ओल्ड टैक्स रिजिम एक ऐसी व्यवस्था होती है, जिसके तहत 5 लाख तक के सालाना इनकम पर टैक्स छूट है. आप इसमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), धारा 80C, 80D, 80CCD(1b), 80CCD(2) और अन्य के तहत ज्यादा से ज्यादा टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. न्यू टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होता है. हालांकि आपको इसके तहत हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), धारा 80C, 80D, 80CCD(1b) 80CCD (2) और अन्य के तहत टैक्स छूट नहीं दिया जाता है.

फॉर्म 16
यदि आप किसी कंपनी या संस्थान में नौकरी कर रहे हैं तो आपको अभी तक फॉर्म 16 मिल गया होगा. आपके नियोक्ता की ओर से प्रदान किया गया यह आवश्यक टीडीएस सर्टिफिकेट है. इसमें आपके वेतन, क्लेम की गई कटौती और प्राप्त छूट का डिटेल दिया गया होता है जो आपके ITR दाखिल करने के लिए आवश्यक है.

फॉर्म 26AS
फॉर्म 26AS को टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट फॉर्म भी कहते हैं. इसमें टैक्सपेयर की टैक्स से जुड़ी कई जानकारियां होती हैं. फॉर्म 26AS से आप अपनी टैक्स लायबिलिटी यानी टैक्स देनदारी को आसानी से कैलकुलेट कर सकते हैं. यह डॉक्यूमेंट उस इनकम का सारांश होता है जिस पर टीडीएस काटा गया है, जो सटीक टैक्स फाइल करने के लिए जरूरी है.

फॉम 26AS में दी गई जानकारी नियोक्ता, कटौतीकर्ता, कलेक्शन और वित्तीय संस्थानों जैसे टैक्स डिडक्शन या कलेक्शन के लिए जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा पेश किए गए टैक्स रिटर्न से निकाली जाती है. इसके अलावा, फॉर्म 26AS रियल एस्टेट लेनदेन और वर्चुअल एसेट लेनदेन से जुड़ी टैक्स कटौती से संबंधित डेटा भी कैप्चर करता है.

स्टैंडर्ड डिडक्शन
यदि आप पहली बार टैक्स भरने जा रहे हैं तो आपको स्टैंडर्ड डिडक्शन व्यवस्था के बारे में जानना चाहिए. स्टैंडर्ड डिडक्शन वह कटौती या छूट है जो आपके निवेश और खर्च पर व्‍यक्तिगत तौर पर होती है. यह वह रकम होती है, जिसे आपके अपनी आमदनी से सीधे-सीधे काटकर (घटाकर) अलग कर दी जाती है. बची हुई आमदनी पर ही टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाती है.

AIS
एनुअल इनकम स्टेटमेंट (AIS) फॉर्म 26AS की जगह ले चुका है. इसमें टैक्सपेयर्स को वित्तीय वर्ष में उनकी पूरी आय की जानकारी एक ही जगह मिल जाती है. आपकी अचल संपत्ति की जानकारी भी इसमें होती है. यदि आपने म्यूचुअल फंड या शेयर मार्केट में कोई निवेश किया है तो उसका पता भी इस फॉर्म से चल जाता है. इनकम टैक्स की वेबसाइट पर आप फॉर्म 26AS और AIS डाउनलोड कर सकते हैं.

इतने तरह के होते हैं आईटीआर फॉर्म 
आईटीआर फॉर्म मुख्य रूप से 7 तरह के होते हैं. इसमें आईटीआईर-1, आईटीआईर-2, आईटीआईर-3, आईटीआईर-4, आईटीआईर-5, आईटीआईर-6 और आईटीआईर-7 शामिल हैं. ITR-1 वेतन, एक घर की संपत्ति और अन्य स्रोतों से आय वाले व्यक्तियों के लिए है. ITR-2 व्यवसाय आय के बिना व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए है. ITR-3 व्यवसाय या पेशे से आय वाले व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए है. ITR-4 बिजनेस या प्रोफेशन से अनुमानित आय के लिए है.

जरूर करें आईटीआर वेरिफिकेशन
टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइल करने के बाद अंतिम चरण में अपने रिटर्न को वेरिफाई करना होता है. आप अपने रिटर्न को ऑनलाइन या ऑफलाइन वेरिफाई कर सकते हैं. पहली बार आईटीआर दाखिल करने वाले लोग अक्सर इसका वेरिफिकेशन नहीं करते हैं. यह एक बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है. बिना वेरिफिकेशन के आईटीआर को पूरा नहीं माना जाता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 1 अगस्त 2022 से टैक्सपेयर्स की ओर से रिटर्न दाखिल करने के बाद ई-वेरिफिकेशन या आईटीआर-वी की हार्ड कॉपी जमा करने की समय सीमा को घटाकर 30 दिन कर दिया है.

ऐसे इनकम टैक्स रिटर्न स्टेप बाय स्टेप करें फाइल
1. सबसे पहले आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल (https://eportal.incometax.gov.in/ ) पर जाएं.
2. इसके बाद ऑफिशियल वेबसाइट पर पैन और यूजर आईडी डालकर अपना पासवर्ड बनाएं और लॉग इन करें.
3. इसके बाद डैशबोर्ड पर, ई-फाईल आयकर रिटर्न > 'आयकर रिटर्न दाखिल करें' पर क्लिक करें.
4. फिर असेसमेंट ईयर का चुनाव करें. जैसे 2023-24 और फिर 'कंटीन्यू' पर क्लिक करें.
5. इसके बाद आईटीआर फाइल करने के लिए ऑनलाइन ऑप्शन को चुनें.
6. फिर अपनी टैक्स आय और टीडीएस कैलकुलेशन के हिसाब से अपना आईटीआर फॉर्म चुनें.
7. अपने लिए लागू ITR चुनने के बाद सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स को पास रखकर स्टार्ट ऑप्शन पर क्लिक करें.
8. इसके बाद कंप्यूटर या लैपटॉप के स्क्रीन पर कुछ सवाल आएंगे, जो भी आप पर लागू हैं, उसके चेक बॉक्स को मार्क करके कंटीन्यू क्लिक कर दें.
9. डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक अपनी आय और कटौती का ब्योरा अलग-अलग सेक्शन में दर्ज करें.
10. यदि टैक्सलायबिलिटी का मामला है तो आपके दिए गए ब्योरे के आधार पर टैक्स-कैलकुलेशन का संक्षिप्त विवरण दिखेगा.
11. कैलकुलेशन के हिसाब से टैक्सलायबिलिटी बनती है तो अभी भुगतान करें और बाद में भुगतान करें का विकल्प चुन सकते हैं.
12. यदि कोई टैक्सलायबिलिटी नहीं बनती, तो फिर टैक्स चुकाने के बाद, 'प्रिव्यू रिटर्न' पर क्लिक करना होगा.
13. इसके बाद 'प्रिव्यू और रिटर्न जमा करें' डिक्लेरेशन चेकबॉक्स पर क्लिक करके 'वैलिडेशन के लिए आगे बढ़े' ऑप्शन चुनें. 
14. प्रिव्यू देखें और 'रिटर्न जमा करें' पेज पर, वेरिफाई के लिए आगे बढ़ें. रिटर्न को वेरिफाई और ई-सत्यापि करना अनिवार्य है.
15. ई-वेरिफाई पेज पर जिस विकल्प का इस्तेमाल कर आप ई-सत्यापन करना चाहते हैं, उसे चुनें और 'कंटीन्यू' पर क्लिक करें.
16. एक बार जब आप रिटर्न को ई-वेरिफाई करा लेते हैं तो फार्म के सफलतापूर्व भरे जाने की सूचना स्क्रीन पर दिखती है.
17. ट्रांजैक्शन आईडी और एकनॉलेजमेंट नंबर स्क्रीन पर मिलता है, जिससे आप भविष्य में अपने आईटीआर फॉर्म का स्टेटस चेक कर सकते हैं.
18. ई-फाइलिंग पोर्टल पर आपका जो मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी रजिस्टर्ड है, फॉर्म सफलता पूर्वक भरने जाने का मैसेज मिल जाएगा.