इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है. हर साल अंतिम तिथि के बाद भी तारीख को आगे बढ़ा दिया जाता है. हालांकि, इस बार ऐसा होने की उम्मीद नहीं दिख रही है. कुछ लोगों की सैलरी के अलावा हाउस प्रॉपर्टी से भी इनकम होती है. ऐसी इनकम की डिटेल फॉर्म 16 में शामिल नहीं हो सकती है, लेकिन आईटीआर दाखिल करते समय इसकी जानकारी देनी पड़ती है. कुछ लोगों के पास कई प्रॉपर्टीज होती हैं, भले ही उनसे रेंट न आता हो. ऐसे मामलों में भी रेंट Disclose करनी पड़ती है. हाउस प्रॉपर्टी से इनकम, रेंटल इनकम और हाउसिंग लोन से इनकम डिक्लेयर करने के अलग-अलग पहलू हो सकते हैं. ऐसे मेैं जरूरी है आपका सही आईटीआर फॉर्म चुनना. यहां जानिए हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम से जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी.
हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम कौन सी?
इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी में किराये से कमाई गई इनकम शामिल होती है. इनकम टैक्स लॉ के अनुसार "हाउस प्रॉपर्टी से इनकम" किराये से आय प्राप्त करने वाले किसी भी व्यक्ति पर लागू होती है. अगर आपने किसी को प्रॉपर्टी किराये पर दी है तो उसे किराये से होने वाली कमाई माना जाएगा. "हाउस प्रॉपर्टी" में न केवल स्टैंडअलोन घर या अपार्टमेंट शामिल हैं, बल्कि इससे जुड़ी कोई भी इमारत या जमीन भी शामिल है, जैसे ऑफिस, शॉप. बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स.
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए करदाता को इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी का ब्रेक अप देना जरूरी है. किराये से होने वाली इनकम पर टैक्स का कैलकुलेशन ग्रॉस एनुअल वैल्यू (GAV) पर म्यूनिसिपल टैक्स, स्टैंडर्ड डिडक्शन और होम लोन के ब्याज, अगर कोई हो, को घटाने के बाद किया जाता है. इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम का कैलकुलेशन आपको मिलने वाली रेंट पर 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद होता है.
किराये पर दी जाने वाली संपत्तियों से अनुमानित किराया
भले ही आपने अपनी कोई भी संपत्ति किराए पर नहीं दी है, लेकिन कई घरों के मालिक हैं, तो भी आपको किराये से होने वाली आय पर टैक्स देना पड़ सकता है. किसी संपत्ति को "self-occupied" मानने का लाभ केवल आपकी पसंद की दो संपत्तियों पर ही लागू होता है. बाकी की संपत्तियों को "किराए पर दी गई" माना जाता है.
हाउस प्रॉपर्टी से मिलने वाले किराये पर कैसे बचाएं टैक्स
अगर आप भी किराये से इनकम कमाते हैं तो हम आपको यहां बता रहे हैं कि नियमों के दायरे में रहकर आप कैसे टैक्स बचा सकते हैं.
आप होम लोन पर छूट ले सकते हैं.
किराये में मेंटनेंस चार्ज को शामिल न करके भी आप टैक्स में छूट ले सकते हैं.
ज्वाइंट प्रॉपर्टी में किराये से होने वाली आय दो हिस्सों में बंट जाती है, इससे भी आपकी टैक्स लायबिलिटी घटती है.
आप मकान के किराये पर स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा उठाकर अपनी टैक्सेबल इनकम घटा सकते हैं.