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ITR Filing Mistakes: ITR फाइल करते वक्त न करें ये 7 गलतियां, पड़ सकते हैं लेने के देने

अगर आप इस बार पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने जा रहे हैं तो इन गलतियों को करने से बचें.  

The Income-tax Act 1961 provides taxpayers with several options to reduce their tax payable. The Income-tax Act 1961 provides taxpayers with several options to reduce their tax payable.
हाइलाइट्स
  • सही तरीके से डिटेल्स न भरना

  • बैंक अकाउंड वेलिडेट न करना

टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को आईटीआर (ITR Return) दाखिल करना मुश्किल हो सकता है अगर उसे टैक्स लॉ (Tax Law) की अच्छी जानकारी नहीं है... या फिर वे किसी पेशेवर की मदद के बिना इसे दाखिल कर रहे हैं. करदाता आमतौर पर आईटीआर दाखिल करते समय सावधान रहते हैं, लेकिन लास्ट डेट से पहले रिटर्न दाखिल करने की जल्दबाजी में वे कुछ बड़ी गलतियां कर बैठते हैं. हालांकि आईटीआर दाखिल करने में की गई गलतियां सुधारी जा सकती हैं लेकिन ये गलतियां रोकी भी जा सकती हैं. अगर आप इस बार पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने जा रहे हैं तो इन गलतियों को करने से बचें.  

आईटीआर दाखिल न करना
करदाताओं द्वारा की जाने वाली आम गलतियों में से एक है अपना टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल नहीं करना. बहुत से लोग सोचते हैं कि उनकी इनकम टैक्सेबल नहीं है या उनकी इनकम से टैक्स पहले ही काटा जा चुका है तो उन्हें फाइल करने की जरूरत नहीं है.लेकिन नियम ये है कि अगर किसी व्यक्तिगत टैक्सपेयर की सकल कर योग्य आय मूल छूट सीमा से अधिक है तो उसे आईटीआर दाखिल करना होगा. यह सीमा 60 से अधिक उम्र वालों के लिए 3 लाख रुपये, 80 से अधिक उम्र वालों के लिए 5 लाख रुपये और बाकी सभी के लिए 2.5 लाख रुपये है.

गलत आईटीआर फॉर्म चुनना
सीबीडीटी ने अलग-अलग टैक्सपेयर्स के लिए 7 आईटीआर फॉर्म नोटिफाई किए हैं. टैक्सपेयर की इनकम के आधार पर सही आईटीआर फॉर्म चुनना, आईटीआर दाखिल करने का पहला और सबसे जरूरी कदम है. गलत आईटीआर फॉर्म में आईटीआर दाखिल करने से इसे इनवैलिड रिटर्न माना जाएगा.

बैंक अकाउंड वेलिडेट न करना
आयकर विभाग का कहना है कि टैक्सपेयर को हमेशा ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपने बैंक खातों को प्री-वैलिडेट करना चाहिए. इससे पता चलता है कि बैंक अकाउंट एक्टिव है, जिससे गलतियां और धोखाधड़ी कम हो जाती है.

आईटीआर का ठीक से ई-वेरिफिकेशन न करना
आईटीआर दाखिल करने के 30 दिन के भीतर ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी है. अगर टैक्स रिटर्न दाखिल करने के बाद वैरिफाई नहीं किया जाता है, तो इसे इनवैलिड रिटर्न माना जाता है. आयकर विभाग इनवैलिड रिटर्न को प्रोसेस नहीं करता है.

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डिडक्शन का क्लेम नहीं करना
अक्सर टैक्सपेयर्स उन डिडक्शन का क्लेम भूल जाते हैं जिनके लिए वे पात्र हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपके पास सेविंग बैंक अकाउंट से इंटरेस्ट इनकम है, तो आप धारा 80TTA के तहत डिडक्शन का क्लेम कर सकते हैं. इस प्रावधान के तहत 10,000 रुपये तक की कटौती की अनुमति है. इसी तरह, यदि किसी कर्मचारी को हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) नहीं मिलता है, तो वह धारा 80जीजी के तहत किराए के भुगतान पर कटौती का दावा कर सकता है.

सही तरीके से डिटेल्स न भरना
आईटीआर दाखिल करते समय अपना नाम, पैन डिटेल्स, बैंक खाते आदि के डिटेल्स सही तरीके से भरे. आईटीआर फाइल करते वक्त सही आईटीआर फाइल फॉर्म जमा करना आवश्यक है.