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Janitri Story: प्रेग्नेंट महिलाओं को मॉनिटर करने के लिए AI डिवाइस बनाता है यह स्टार्टअप, Shark Tank India से मिली 1 करोड़ की फंडिंग

Shark Tank India Season 2 के हाल के एपिसोड में, Janitri नामक एक स्टार्टअप को शार्क नमिता थापर ने 2.5% इक्विटी के 1 करोड़ रुपए की फंडिंग दी है.

Janitri got funding in Shark Tank India (Instagram) Janitri got funding in Shark Tank India (Instagram)
हाइलाइट्स
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से किया परेशानी का हल 

  • जमीनी स्तर पर बदलाव की कोशिश

मेडिकल क्षेत्र में लगातार हो रही तरक्की के बावजूद, उच्च शिशु और मातृ मृत्यु दर (High infant and maternal mortality rates) भारत में चिंता का विषय है. साल 2019 तक, भारत में शिशु मृत्यु दर (IMR) प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 30 थी. इस क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना देश कर रहा है. 

इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार ने 2005 में जननी सुरक्षा योजना जैसी कई योजनाओं और रूपरेखाओं की शुरुआत की; और 2013 में एक फ्रेमवर्क - प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच+ए) की. हालांकि, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच की कमी और अन्य मुद्दे भारत में महिला और बाल विकास को प्रभावित करते हैं. 

ऐसे में, एक स्टार्टअप इस क्षेत्र में मुश्किलों का समाधान करने के लिए नई तकनीकें लेकर आया है. इस स्टार्टअप का दावा है कि उनके प्रॉडक्ट्स न सिर्फ शहरों बल्कि दूर-दराज के गांवों में भी गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों की मदद करेंगे. इस स्टार्टअप का नाम है जनित्री, जिसे शार्क टैंक इंडिया सीजन 2 से फंडिंग मिली है. 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से किया परेशानी का हल 
अरुण अग्रवाल द्वारा स्थापित, जनित्री एक बेंगलुरु-आधारित स्टार्टअप है जो मार्च 2021 में शुरू हुआ. यह तीन प्रॉडक्ट्स उपलब्ध कराता है - केयर पैच, दक्ष और नवम वियरेबल. नवम वियरेबल को कलाई पर पहना जा सकता है और यह गर्भ में बच्चे को मॉनिटर कर सकता है. हालांकि, यह अभी एक एक प्रोटोटाइप है. 

सिलिकॉन और प्लास्टिक से बने केयर पैच को गर्भवती महिला के पेट पर लगाया जा सकता है और यह बच्चे की हार्ट रेट, मां की हार्ट रेट, लेबर कॉन्ट्रेक्शन और बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रखता है. इसकी कीमत 29,000 रुपए में उपलब्ध है. केयर पैच, दक्ष से जुड़ता है, जो एक मोबाइल एप्लिकेशन है और यह किसी भी एंड्रॉइड सपोर्टेड मोबाइल या टैबलेट पर चल सकता है. 

इसके माध्यम से डॉक्टरों को लगातार गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी की रिपोर्ट डिलीवरी से पहले और बाद में मिलती रहती है. इसका सब्सक्रिप्शन 10000 रुपए में ले सकते हैं. अरुण अग्रवाल का दावा है कि केयर पैच और दक्ष से अंतिम तिमाही (ट्राइमेस्टर) और लेबर के दौरान समय पर मॉनिटरिंग से 80% महिलाओं और/या नवजात शिशुओं को बचाने में मदद मिल सकती है.

जमीनी स्तर पर बदलाव की कोशिश
मूल रूप से राजस्थान के अलवर के रहने वाले अग्रवाल ने वीआईटी से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में मास्टर करने से पहले वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) से इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातक (बैचलर इन टेक्नोलॉजी) किया. बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में डिग्री लेने के पीछे उनका उद्देश्य भारत में स्वास्थ्य सेवा सिस्टम में बदलाव लाने का था. 
 
उनका सपना था कि तकनीक के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में जमीनी स्तर की समस्याओं को हल किया जाए. उन्होंने अपनी दादी की कहानी सुनी है कि कैसे उनके एक बच्चे की मौत जन्म के एक साल के भीतर हो गई. धीरे-धीरे अरुण ने इस बारे में ज्यादा जाना तो पता चला कि यह विश्व स्तर पर एक बड़ी समस्या है, और तकनीक अभी तक इस क्षेत्र में नहीं पहुंची है. 

उन्होंने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी हासिल करने के लिए हेल्थ सर्विस सेक्टर में एक पेटेंट एनालिस्ट के रूप में दो साल तक काम किया, और जनित्री शुरू करने से पहले हेल्थकेयर हैकथॉन में भाग लिया, अस्पतालों का दौरा किया और लाइव डिलीवरी देखी ताकि उन्हें इस इंडस्ट्री की ज्यादा से ज्यादा जानकारी हो. पांच साल तक, उन्होंने जनित्री के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट, क्लिनिकल ट्रायल्स आदि पर काम किया. 

बिल गेट्स फाउंडेशन ने किया सपोर्ट
अरुण को अपनी कंपनी के लिए जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी), बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, कनाडा सरकार और कर्नाटक सरकार से ग्रांट्स मिलीं. फरवरी 2020 में उन्होंने एक एंजेल निवेशक से ₹15 करोड़ के मूल्यांकन पर सीड राउंड में ₹2.35 करोड़ भी जुटाए. उसी निवेशक से अप्रैल 2021 में अतिरिक्त ₹1.15 करोड़ अरुण ने जुटाए. 

जनित्री स्टार्टअप ने 12 पेटेंट के लिए आवेदन किया है, जिनमें से चार पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं. अपने संचालन के पहले साल में, कंपनी ने ₹1.03 करोड़ का रेवेन्यू कमाया. शार्क टैंक में नमिता थापर ने 2.5% इक्विटी के लिए 1 करोड़ की फंडिंग दी. हालांकि, इस ऑफर के साथ शर्त है कि अगर कंपनी अगले वित्तीय वर्ष में ₹20 करोड़ का रेवेन्यू हासिल नहीं करती है, तो थापर को और 2.5% इक्विटी मिलेगी.