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Jet Airways Liquidation: कभी आसमान छू रही थी, फिर धड़ाम से आ गिरी Jet Airways! अब बिकने जा रहे हवाई जहाज से लेकर बिल्डिंग और ब्रांड राइट्स तक

Jet Airways liquidation Supreme Court order: एक समय में घरेलू बाजार का लगभग 21% हिस्सा रखने वाली यह एयरलाइन, कई कारणों से धीरे-धीरे अपनी जगह खोने लगी, जिसमें इंडिगो जैसी बजट एयरलाइनों के आ जाने से ये मुश्किल और बढ़ती गई. 2019 तक, जेट एयरवेज अपने कर्मचारियों को सैलरी, लीज पेमेंट और फ्यूल देने वालों को पेमेंट करने में असमर्थ थी. इसकी वजह से उसे उसी साल अप्रैल में सभी फ्लाइट्स को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा. 

Jet Airways liquidation Jet Airways liquidation
हाइलाइट्स
  • लिक्विडेशन पर सुनाया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  • जेट एयरवेज पर छाए संकट के बादल 

जेट एयरवेज (Jet airways), जो एक समय में भारत की प्रीमियम सर्विस एयरलाइन थी, अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिक्विडेशन (Supreme Court ordered liquidation) का आदेश जारी कर दिया है. एक समय था जब 1992 में नरेश गोयल द्वारा स्थापित, जेट एयरवेज भारतीय एयरलाइन का सबसे बड़ा नाम थी, ये देश की टॉप प्राइवेट एयरलाइन बन गई थी. हालांकि, बढ़ते कर्ज और दूसरी एयरलाइन के साथ प्रतिस्पर्धा ने एयरलाइन को धीरे-धीरे आर्थिक तंगी की ओर धकेल दिया.

लिक्विडेशन क्या है?
आसान शब्दों में समझें, तो लिक्विडेशन (Liquidation) तब होता है जब कोई कंपनी बंद हो जाती है और अपना कर्ज चुकाने के लिए अपना सब कुछ बेच देती है. यह आमतौर पर तब होता है जब कोई बिजनेस अपने बकाया का भुगतान नहीं कर पाता है और दूसरे विकल्पों से इसे मैनेज करने की कोशिश करता है लेकिन विफल रहता है.

जेट एयरवेज के लिए, लिक्विडेशन का मतलब है कि उसकी सभी संपत्तियां - जैसे उसके हवाई जहाज, बिल्डिंग और कोई इंटेलेक्चुअल राइट्स जैसे ब्रांड राइट्स बेचे जाएंगे. इन बिक्री से जो पैसा मिलेगा वो लेनदारों के पास जाएगा, जिससे उन्हें कंपनी का कुछ बकाया वापस पाने में मदद मिलेगी. ऐसा होने पर जेट एयरवेज ऑपरेट नहीं कर सकेगी.  

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यहां, यह जानना जरूरी है कि लिक्विडेशन और दिवालियापन (Liquidation and Insolvency) अलग-अलग हैं. दिवालियेपन का मतलब है कि एक कंपनी अपने कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ है, लेकिन कभी-कभी वह उबरने के तरीके खोज सकती है, जैसे नए इन्वेस्टमेंट लेना या रिस्ट्रक्चरिंग. हालांकि, अगर ये सभी प्रयास विफल हो जाते हैं, तो लिक्विडेशन आखिरी चरण होता है.

जेट एयरवेज के मामले में, शुरू में निवेशकों के एक ग्रुप को एयरलाइन को फिर से खड़ा करने की कोशिश के लिए लाया गया था, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए. जिसके चलते अब लिक्विडेशन ही आखिरी ऑप्शन बचा है. 

(Photo:GettyImages)
(Photo:GettyImages)

लिक्विडेशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
2 नवंबर, 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने अपने अनुच्छेद 142 के विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए जेट एयरवेज़ के लिक्विडेशन का आदेश दिया. यह फैसला कंपनी के हालातों को देखने के बाद आया है. कोर्ट का यह निर्णय जेट एयरवेज के कर्जदाताओं की शिकायतों के जवाब में आया है. इनमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) जैसे प्रमुख बैंक शामिल थे. कंपनी इनके ₹350 करोड़ रुपये चुकाने में विफल रही. 

जेट एयरवेज पर कब छाए संकट के बादल 
जेट एयरवेज की समस्याएं 2018 में तब शुरू हुईं जब कंपनी में आर्थिक उथल पुथल हुई. एक समय में घरेलू बाजार का लगभग 21% हिस्सा रखने वाली यह एयरलाइन, कई कारणों से धीरे-धीरे अपनी जगह खोने लगी, जिसमें इंडिगो जैसी बजट एयरलाइनों के आ जाने से ये मुश्किल और बढ़ती गई. 2019 तक, जेट एयरवेज अपने कर्मचारियों को सैलरी, लीज पेमेंट और फ्यूल देने वालों को पेमेंट करने में असमर्थ थी. इसकी वजह से उसे उसी साल अप्रैल में सभी फ्लाइट्स को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा. 

जून 2019 में दिवालियापन की प्रक्रिया इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत शुरू की गई थी, जिससे यह भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े दिवालियापन मामलों में से एक बन गया. भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले कर्जदाताओं के कंसोर्टियम ने कंपनी की ₹15,000 करोड़ की देनदारी को वसूलने के लिए दिवालियापन की कार्यवाही शुरू की थी.

(Photo:GettyImages)
(Photo:GettyImages)

जेट एयरवेज का कर्ज कितना है?
जब जेट एयरवेज ने 2019 में दिवालियापन घोषित किया, तब यह करीब ₹15,000 करोड़ के कर्ज में थी जो कि भारतीय और विदेशी कर्जदाताओं के कंसोर्टियम से लिया गया था. धीरे-धीरे ये कर्ज बढ़ता गया. कंपनी ने लोन लिया. इस कर्ज को वापस करने में असमर्थ जेट एयरवेज ने इसे दिवालिया बना दिया.

ट्रेवल एजेंट के रूप में हुई थी इसकी शुरुआत
नरेश गोयल (Naresh Goyal) ने इस एयरलाइन को 1992 में स्थापित किया था. इसकी शुरुआत एक ट्रैवल एजेंट के रूप में की गई थी. देखते-देखते जेट एयरवेज भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक बन गई. नरेश गोयल का सपना भारतीय हवाई यात्रा को बदलने का था. गोयल के नेतृत्व में जेट एयरवेज ने 2004 में इंटरनेशनल फ्लाइट्स भी शुरू कीं.

नरेश गोयल (फोटो-गेटी इमेज)
नरेश गोयल (फोटो-गेटी इमेज)

हालांकि, एयरलाइन को तेजी से बढ़ाने के चक्कर में नरेश गोयल ने कई ऐसे फैसले लिए जिससे कंपनी दिवालिया होती चली गई. कभी आसमान की ऊंचाई छू रही एयरलाइन आर्थिक कारणों की वजह से 2019 में जमीन पर आ गिरी. जिसके चलते फ्लाइट्स बंद करनी पड़ी. 

गौरतलब है कि जैसे-जैसे लिक्विडेशन की प्रक्रिया शुरू होती है, इससे कर्जदाताओं, कर्मचारियों, और दूसरे हितधारकों को कुछ हद तक राहत मिल सकती है, जिन्होंने एयरलाइन की सफलता में अपनी हिस्सेदारी रखी थी.