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आपदा को बदला अवसर में: कोरोना महामारी के कारण छिना रोजगार तो शुरू किया अपना बिज़नेस, कभी अपने खाने के थे लाले और अब उसी खाने से कमा रहीं हजारों रुपए

चंदा कुमारी झा देवघर के एक निजी स्कूलों में अंग्रेजी की शिक्षिका थीं. लेकिन कोविड के कारण स्कूल बंद हो गया. और स्कूल बंद होने के कारण उनका वेतन रुक गया. इससे चंदा पहले ही परेशान थीं क्योंकि घर के खर्च में दिक्क्तें आ रही थीं. इसी बीच कोरोना ने उनके ससुर को भी परिवार से छीन लिया. 

Representative Image (Credit: IndiaMART) Representative Image (Credit: IndiaMART)
हाइलाइट्स
  • लॉकडाउन में रुका स्कूल से वेतन

  • सास ने दिया बिज़नेस आईडिया

कोरोना महामारी ने बहुत से लोगों की ज़िन्दगी को बदल दिया है. और यह बदलाव किसी के लिए बुरा रहा तो किसी के लिए अच्छा. आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी सुना रहे हैं जिनकी ज़िन्दगी इस दौरान बिल्कुल ही बदल गई. 

झारखंड के देवघर में रहने वाली चंदा कुमारी झा कोरोना महामारी के पहले तक सिर्फ एक शिक्षिका थी. लेकिन आज वह बिज़नेसवुमन बन चुकी हैं. गुड न्यूज़ टुडे के साथ जानिए चंदा कुमारी झा की प्रेरक कहानी. 

लॉकडाउन में नहीं मिला वेतन: 

चंदा कुमारी झा देवघर के एक निजी स्कूलों में अंग्रेजी की शिक्षिका थीं. लेकिन कोविड के कारण स्कूल बंद हो गया. और स्कूल बंद होने के कारण उनका वेतन रुक गया. इससे चंदा पहले ही परेशान थीं क्योंकि घर के खर्च में दिक्क्तें आ रही थीं. इसी बीच कोरोना ने उनके ससुर को भी परिवार से छीन लिया. 

ससुर का साया सिर से उठने के बाद घर की जिम्मेदारी और बढ़ गई. चंदा ने गुड न्यूज़ टुडे को बताया कि परिवार में सभी लोगों का काम कोरोना के कारण प्रभावित हुआ. इसलिए उन्हें लगने लगा कि उन्हें कमाई का दूसरा साधन ढूँढना होगा. 

सास ने दिया टिफ़िन सेंटर का आईडिया:

चंदा काम करना चाहती थीं लेकिन क्या काम करें, यह समझ नहीं आ रहा था. ऐसे में उनकी सास ने बिज़नेस आईडिया दिया कि वह टिफ़िन सेंटर का काम कर सकती हैं. बहुत से लोगों को दिन में एक समय या तीनों समय टिफ़िन की जरूरत होती है. क्योंकि वे अपने घरों से दूर रहते हैं. 

चंदा ने इस आईडिया पर काम किया और धीरे-धीरे लोगों से संपर्क बनाया. उन्होंने घर की रसोई से ही अपना व्यवसाय शुरू किया और आज उनका ‘गोरी टिफ़िन सेंटर’ 70 से 80 घरों में टिफिन दे रहा है.  

हो रही है अच्छी कमाई: 

चंदा बताती है कि एक समय ऐसा आया था जब उन्हें अपने खाने की चिंता सताने लगी थी. लेकिन आज अपनी लग्न और मेहनत से वह दूसरों को खाना खिला रही हैं. अब वह पैसे भी कमा रहे हैं घर-परिवार भी चल रहा है. और दूसरों को खाना खिलाकर सुकून भी मिल रहा है. 
अगर कोई उनसे खाना लेना चाहता है तो दो समय (लंच और डिनर) के लिए 4000 रुपये/माह में ले सकता है. और अगर कोई सुबह नाश्ता भी लेना चाहता है तो उसे 1500 रुपया महीना अतिरिक्त देना पड़ता है. स्टूडेंट्स एक हजार रुपए का डिस्काउंट देती हैं. 

चंदा कुमारी आज महीने में 30 हजार रुपए से ज्यादा की कमाई कर रही हैं. और अपने जैसी सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं. क्योंकि अगर महिलाएं कुछ करने की ठान लें तो अवश्य कर लेती हैं. इसलिए हमेशा संयम से काम लें. 

(देवघर से शैलेन्द्र मिश्रा की रिपोर्ट)