
कर्नाटक के बागलकोट जिले में श्रीशैल नाम के किसान ने कश्मीरी सेबों का बगीचा लगा दिया है. किसान के इस कमाल से हर कोई हैरान है. किसान ने गर्मी में सेब उगाने को लेकर काफी रिसर्च की. उसके बाद उनको इसमें सफलता मिली. उन्होंने 38 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान में सेब उगाने का काम किया है. वो अब तक 12 टन सेब बेच चुके हैं. इलाके में श्रीशैल की डिमांड बढ़ गई है. लोग उनसे सेब उगाने की विधि सीखने जा रहे हैं.
श्रीशैल की नया करने की चाहत-
बागलकोट में 80 फीसदी जमीन पर गन्ने की खेती होती है. ये इलाके मक्का, गेहूं, अनार और चना जैसे मुख्य फसलों के अलावा दूसरी फसलों के लिए अनुपयुक्त माना जाता है. लेकिन श्रीशैल ने इस मिट्टी में सेब उगाकर सभी धारणाओं को तोड़ दिया. उन्होंने बताया कि मैं मुख्य रूप से अंगूर की खेती कर रहा था और मुझे इससे अच्छी आमदनी भी हो रही थी. लेकिन मैं कुछ नया करना चाहता था. उन्होंने बताया कि इस दौरान मुझे उत्तरी कर्नाटक में सेब की खेती के बारे में पता चला. इसके बाद मैंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया.
लोग उड़ा रहे थे मजाक-
श्रीशैल का कहना है कि मैंने एक बड़ा जोखिम उठाया था. लोग मुझपर हंस रहे थे, मुझे बेवकूफ कह रहे थे. लेकिन मैंने खुद से कहा कि भले ही पूरी फसल ना मिले, कम से कम खाने के लिए सेब तो मिलेंगे.
श्रीशैल तेली बागलकोट जिले के मुधोल तालुका के कुलाली गांव के रहने वाले हैं. श्रीशैल जममू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे इलाकों में उगाए जाने वाले फल को कर्नाटक के इस गांव में गर्मी में उगा रहे हैं. उन्होंने 38 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान में सेब उगाया है. परंपरागत तौर पर ये इलाके सेब की खेती के लिए अनुपयुक्त माना जाता है. लेकिन श्रीशैल तेली ने सबकुछ बदल दिया. श्रीशैल ने 7 एकड़ में सेब की फसल उगाई है.
खेती में किए 7 लाख रुपए खर्च-
श्रीशैल ने अन्ना किस्म के 2600 पौधे लगाए. ये पौधे 42 डिग्री सेल्सियस तापमान को झेलने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने ये पौधे महाराष्ट्र के शिरडी के एक निजी नर्सरी से खरीदा. श्रीशैल तेली ने 7 लाख रुपए खर्च किए और पूरी तरह से जैविक खेती की. कम समय में ही सेब की फसल तैयार हो गई. आपको बता दें कि सेब के पेड़ों में फल लगने में आमतौर पर 3 साल का वक्त लगता है. लेकिन श्रीशैल के खेत में सिर्फ 2 साल 2 महीने में फल दिखाई देने लगे. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीशैल ने बताया कि उनके खेत के सेब बिलकुल वैसे ही हैं, जैसे पारंपरिक सेब उगाने वाले बेल्ट के फल होते हैं. स्वाद, रंग और गुणवत्ता में पूरी तरह से समान होते हैं.
अच्छी-खासी हुई सेब की बिक्री-
श्रीशैल तेली अब तक 12 टन से ज्यादा सेब बेच चुके हैं. इन सेबों की कीमत 50 से 150 रुपए किलोग्राम तक रही. इस उत्पादन से श्रीशैल ने पूरी लागत वसूल ली है. इस दौरान उन्होंने स्वीट कॉर्न और तरबूज की खेती भी की. इसके लिए उन्होंने काफी प्रयास किया. किसान ने कहा कि मैं खेती-किसानी की पृष्ठभूमि से आता हूं और पीयूसी के बाद मैंने खेतों में काम करना शुरू कर दिया था. हो सकता है कि मेरे पास बागवानी में औपचारिक ट्रेनिंग ना हो, लेकिन हमेशा मेरी कृषि में रूचि रही है.
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