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Income Tax Return: क्या आप करते हैं Moonlighting? ITR फाइल करते समय ध्यान रखें इन बातों का

Income Tax Return: अगर आप अपनी नियमित जॉब के अलावा भी, किसी और सोर्स से आय कमा रहे हैं जैसे फ्रीलांसिंग करके या पार्ट-टाइम जॉब करके तो इनसे मिलने वाली आय का भी आपको खुलासा करना होगा.

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हाइलाइट्स
  • मूनलाइटिंग आय का करना होगा खुलासा

  • दो तरह से होती है मूनलाइटिंग

मूनलाइटिंग के बारे में पिछले काफी समय से चर्चा हो रही है. मूनलाइटिंग का मतलब है कि कोई अतिरिक्त आय कमाने के लिए अपनी नौकरी के साथ-साथ कोई दूसरा काम भी कर रहा हो. इसमें आम तौर पर दो कैटेगरी हैं: एक, शाम या वीकेंड पर पार्ट-टाइम जॉब करने वाले और दूसरे, नियमित नौकरी के साथ फ्रीलांसिंग करने वाले. 

हालांकि, दोनों ही मामलों में, व्यक्ति को टैक्स अथॉरिटी के सामने अपनी नियमित और अतिरिक्त आय को रिपोर्ट करना और इसका खुलासा करना महत्वपूर्ण है. 

कैसे करें मूनलाइटिंग आय का खुलासा
मूनलाइटिंग इनकम की रिपोर्टिंग और टैक्सेशन इनकम के कमाने के तरीके पर निर्भर होता है. मान लीजिए कि आपको यह आय वेतन के रूप में मिलती है तो ऐसे में, कैलक्यूलेशन आसान है. इसके लिए कुल सैलरी इनकम की कैलक्यूलेशन करने के लिए प्राइमरी जॉब और मूनलाइटिंग जॉब से अपनी आय जोड़ें. अपनी पात्रता और आय स्रोतों के आधार पर फॉर्म आईटीआर-1 (सहज) या फॉर्म आईटीआर-2 का उपयोग करें. सैलरी इनकम वाले ज्यादातर लोग फॉर्म आईटीआर-1 का उपयोग कर सकते हैं.

1. अगर इनकम बिजनेस से प्रोफिट के रूप में मिल रही है तो
अगर अतिरिक्त आय किसी व्यवसाय से लाभ रूप में मिल रही  है, तो आपका बिजनेस रिटर्न दाखिल करना जरूरी होता है, और आय के सभी स्रोतों की रिपोर्ट करनी होती है, जिसमें उनके नियोक्ता/कंपनी और उनके इंडिपेंडेंट कॉन्ट्रैक्ट या फ्रीलांसिंग वर्क दोनों की कमाई शामिल है. इस मामले में आयकर फॉर्म आईटीआर-3/आईटीआर-4 (जैसा लागू हो) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

2. अगर इनकम कमर्शियल फीस के रूप में मिलती है तो
प्रोफेशनल फीस पर "अन्य स्रोतों से आय" मद के तहत टैक्स लगाया जाता है. अगर आपकी प्रोफेशनल फीस आय ₹50 लाख से अधिक है तो आपको ITR-2 फॉर्म दाखिल करना होगा. प्रोफेशनल फीस इनकम के लिए टैक्स दाखिल करते समय, आपको आय और व्यय का विस्तृत रिकॉर्ड बनाए रखना होगा. आप अपने पेशे से संबंधित कुछ खर्चों के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं, जैसे यात्रा लागत, उपकरण लागत और पेशेवर शुल्क. अंत में, प्रोफेशनल फीस इनकम के लिए टैक्स रेट आपकी कुल आय और अन्य कारकों पर निर्भर करेगी. 

3. मुआवज़े के सभी रूपों का खुलासा करें
मूनलाइटिंग में मिलने वाला मुआवज़ा हमेशा पैसा नहीं हो सकता. जब मुआवजा पैसे के बजाय गुड्स और सर्विसेज के रूप में दिया जाता है, तो इसके उचित बाजार मूल्य पर विचार करना और सटीक रूप से रिकॉर्ड करना जरूरी है. टैक्स रिटर्न में आय की रिपोर्ट करते समय फेयर मार्केट वैल्यू पर विचार किया जाना चाहिए और इसका हिसाब लगाया जाना चाहिए. ट्रांसपेरेंसी और कर नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए रिटर्न में मुआवजे के इस रूप का खुलासा करना भी जरूरी है.

मूनलाइटिंग में अपनी टैक्स लाइबिलिटी को ऐसे करें कम 
भारत में आपकी कर देनदारी (टैक्स लाइबिलिटी) को कम करने के कई तरीके हैं, भले ही आपके पास मूनलाइटिंग से आय का स्रोत हो. 

अनुमानित टैक्सेशन (Presumptive Taxation) का विकल्प चुनें:
अगर किसी वित्तीय वर्ष में व्यवसाय या पेशे से आपका कुल कारोबार या सकल प्राप्तियां ₹50 लाख से ज्यादा नहीं है, तो अनुमानित कराधान लागू होता है, जिससे आप इस सरल टैक्स कैलक्यूलेशन मेथड़ को चुन सकते हैं. इसका मतलब यह है कि आप यह मानकर अपनी कर योग्य आय को कैलक्यूलेट कर सकते हैं कि आपकी सकल प्राप्तियों का 50% आपकी नेट इनकम है. फिर आपकी इस इनकम पर लागू दरों पर कर लगाया जाएगा. 

खर्चों के लिए टैक्स में कटौती:
अगर आप मूनलाइटिंग में एक फ्रीलांसर हैं और आपके काम से संबंधित खर्च हैं, जैसे कि आउटसोर्सिंग के लिए अन्य पेशेवरों को काम पर रखना, तो आप टैक्स पर्पज के लिए इन खर्चों का दावा करने के पात्र हैं. ऐसा करके, आप अपनी कर योग्य आय कम कर सकते हैं और इससे अपनी कर देनदारी कम कर सकते हैं. 

एडवांस टैक्स का भुगतान करने पर विचार करें:
कई नियोक्ताओं से मिलने वाली आय को मिलाने से कुल आय हाई टैक्स ब्रैकेट में आ सकती है, जिससे कर देनदारी बढ़ जाएगी. अगर टैक्स का भुगतान पहले से नहीं किया जाता है, तो धारा 234बी और 234सी के तहत ब्याज लगाया जा सकता है. किसी भी ब्याज और जुर्माने से बचने के लिए एडवांस टैक्स का भुगतान करना ही सही है. 

टैक्स कानूनों का अनुपालन:
मूनलाइटिंग में, टैक्स कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए और इससे आप टैक्स रेड से बच सकते हैं. इसके लिए नियमित शुल्क के बदले दी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का सही बाजार मूल्य निर्धारित करना जरूरी है. साथ ही, आपको ऐसे कैश क्रेडिट से बचना चाहिए जिसके बारे में आपके पास उचित एक्सप्लेनेशन न हो. भविष्य में मुश्किलों से बचने के लिए आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस कंपनी में आप प्राइमरी या नियमित जॉब करते हैं, उसकी मूनलाइटिंग के खिलाफ कोई नीति है या नहीं.