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Mahesh Gupta Success Story: सरकारी नौकरी छोड़ शुरू किया वाटर प्यूरीफायर का कारोबार, खड़ी की करोड़ों की KENT RO कंपनी

KENT RO Success story: डॉ. महेश गुप्ता (Mahesh Gupta) ने साल 1975 में आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. जब उनके दोनों बच्चे पीलिया से पीड़ित हुए तो उनके मन में वाटर प्यूरीफायर के बिजनेस का आइडिया आया. डॉ. गुप्ता ने सरकारी जॉब छोड़कर साल 1999 में केंट आरओ (KENT RO) की शुरुआत की.

Kent RO Founder Mahesh Gupta (Photo/kent.co.in) Kent RO Founder Mahesh Gupta (Photo/kent.co.in)

अक्सर ऐसा होता है कि आप मुश्किलों में फंसे होते हैं और आपके सामने कोई रास्ता नहीं दिखता है. लेकिन अचानक कुछ ऐसा सामने आता है, जो आपकी जिंदगी बदल देता है. आपके जीवन में नई खुशियां लेकर आता है. आपकी जिंदगी पटरी पर दौड़ने लगती है. ऐसा ही कुछ डॉ. महेश गुप्ता के साथ हुआ. जब उनका परिवार एक मुश्किल में था. दोनों बच्चे पीलिया से पीड़ित थे. इस दौरान उनके दिमाग में बिजनेस का आइडिया आया. उन्होंने लोगों को साफ पानी मुहैया कराने का ठान ली. इसके लिए उनको अपनी सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी. आज डॉ. महेश गुप्ता (Mahesh Gupta) एक बड़े बिजनेसमैन हैं और उनकी कंपनी केंट आरओ (KENT RO) करोड़ों का कारोबार करती है. डॉ. महेश गुप्ता Kent RO के फाउंडर, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.

IIT कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई-
महेंषश गुप्ता का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था. उनकी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में हुई थी. उनके पिता वित्त मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर थे. स्कूली पढ़ाई के बाद साल 1975 में उन्होंने आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने देहरादून के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम से मास्टर्स किया.

पढ़ाई के बाद महेश गुप्ता इंडियन ऑयल में नौकरी करने लगे. उनको अच्छी-खासी सैलरी मिलती थी. लेकिन महेश गुप्ता का मन जॉब में नहीं लगता था, वो अपना बिजनेस करना चाहते थे. उन्होंने तेल संरक्षण पर काम करने की योजना बनाई. उन्होंने घर के पीछे एक छोटी सी कंपनी एसएस इंजीनियरिंग की शुरुआत की. जिसका मकसद तेल बचाने वाले उत्पादों को विकसित करना था.

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बच्चों की बीमारी से आया आइडिया-
एक बार ऐसा हुआ कि डॉ. महेश गुप्ता के दोनों बच्चे छुट्टी पर गए थे. उस दौरान दोनों को पीलिया हो गया. ये सबकुछ पीने का पानी गंदा होने की वजह से हुआ था. इसके बाद डॉ. गुप्ता ने सर्वे किया तो पता चला कि ज्यादातर लोग यूवी प्यूरीफायर का इस्तेमाल करते हैं, जो पानी की अशुद्धियों को दूर करने के लिए ठीक नहीं है. इसके बाद कई और प्रयोग किए. इसके बाद डॉ. गुप्ता ने अमेरिका से एक झिल्ली और पंप मंगवाया. इसके बाद घर पर ही एक आरओ प्यूरीफायर तैयार किया. इस तरह से वाटर प्यूरीफायर का आविष्कार हुआ.

KENT RO की शुरुआत-
डॉ. महेश गुप्ता ने साल 1999 में केंट आरओ की शुरुआत की. हालांकि शुरुआत में काफी संघर्ष करना पड़ा. इसे ब्रांड के तौर पर स्थापित करने के लिए कड़ी प्रतियोगिता करनी पड़ी. धीरे-धीरे कंपनी आगे बढ़ रही थी. साल 2006 में डॉ. गुप्ता को मार्केटिंग और विज्ञापन का महत्व समझा. इसके बाद कंपनी में विज्ञापन के लिए हेमा मालिनी को लेने का फैसला किया. धीरे-धीरे वाटर प्यूरीफायर का कारोबार बढ़ता चला गया और KENT RO 1200 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी बन गई.

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