1 जुलाई से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)के कार्ड टोकनाइजेशन नियम लागू होने के बाद मर्चेंट और पेमेंट गेटवे को अपने सर्वर पर स्टोर किए गए कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलीट करना होगा. यूजर्स को इसके बाद से मर्चेंट वेबसाइटों पर पेमेंट करने के लिए कार्ड की पूरी डिलेट मेंशन करनी होगी. हालांकि पेमेंट होते ही दुकानदार इसे पूरी तरह से डिलीट कर देंगे और आपको एक टोकननाइज़ेशन लागू करेंगे.
डेबिट, क्रेडिट कार्ड का टोकनाइजेशन क्या है?
टोकन सेवाओं के तहत कार्ड के माध्यम से लेनदेन की सुविधा के लिए एक यूनीक अल्टरनेटिव कोड तैयार किया जाएगा. ट्रांजकेशन 16-डिजिट कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपायरी डेट, सीवीवी और वन-टाइम पासवर्ड या ओटीपी बेस्ड होता है लेकिन, टोकनाइजेशन ओरिजिनल कार्ड नंबर को एक अल्टरनेटिव कोड के साथ बदलता जिसे 'टोकन' कहा जाता है.
इसका मतलब है कि ग्राहक के कार्ड की जानकारी अब किसी भी व्यापारी, भुगतान गेटवे या तीसरे पक्ष के पास नहीं जा सकेगी. कार्ड टोकनाइजेशन के साथ, उपभोक्ताओं को अब अपने कार्ड की डिटेल को संभालने की जरूरत नहीं है. हर पेमेंट में कार्ड होल्डर को सहमति देनी होगी जो टोकन के लिए एकत्र की जाएगी.
क्यों शुरू किया जा रहा है टोकनाइजेशन ?
भारत जैसी किसी भी बड़े पेमेंट सिस्टम को सेफ, क्विक और इकोनॉमिक डिजिटल पेमेंट बनाने के लिए टोकनाइजेशन लाया जा रहा है. टोकनाइजेशन उच्च सुरक्षा मानकों के माध्यम से फाइल लेनदेन पर ऐसे कार्ड के लिए मानक बनाता है, जो मौजूदा रिवर्सिबल क्रिप्टोग्राफिक मानकों की तुलना में इम्यूटेबल है.
टोकेनाइज्ड लेनदेन को सुरक्षित क्यों माना जाता है
एक टोकेनाइज्ड कार्ड लेनदेन को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि लेनदेन प्रोसेस के दौरान ऑरिजनल कार्ड डिटेल दुकानदार के साथ शेयर नहीं की जाएगी. टोकन बनाने के लिए ग्राहक की सहमति और ओटीपी मिलने के बाद ही पेमेंट हो सकेगी.
कार्ड टोकन की समय सीमा
कार्ड डिटेल को टोकन करने के लिए आरबीआई की पहली समय सीमा 30 जून, 2021 थी. लेकिन व्यापारियों और भुगतान एग्रीगेटर्स, साथ ही कार्ड कंपनियों और बैंकों के अनुरोध पर, इसे 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया था और समय सीमा को फिर से छह महीने तक बढ़ा दिया गया. अब क्रेडिट, डेबिट कार्ड टोकन की समय सीमा 30 जून, 2022 तक हो गई है.
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