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Koo shuts down: बंद होगा देसी ट्विटर कहलाने वाला कू, फाउंडर ने की पुष्टि, जानिए क्या रही वजह

Koo shuts down: कू के संस्थापक मयंक बिदावतका (Mayank Bidawatka) ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में इसकी पुष्टी की. उन्होंने कहा कि वह "कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, व्यवसायीयों और मीडिया घरानों के साथ बातचीत कर रहे थे, लेकिन इनका कुछ हल नहीं निकल रहा था."

ट्विटर उर्फ एक्स (X/Formerly Twitter) को टक्कर देने के लिए बनाया गया भारतीय ऐप 'कू' अब बंद होने वाला है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन मीडिया कंपनी डेलीहंट (Daily Hunt) इस ऐप को खरीदने वाली थी. लेकिन यह डील नहीं हो सकी और अब ऐप बंद होने की कगार पर है.

कंपनी के फाउंडर ने की पुष्टि 
कू के संस्थापक मयंक बिदावतका (Mayank Bidawatka) ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में इसकी पुष्टी की. उन्होंने कहा कि वह "कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, व्यवसायीयों और मीडिया घरानों के साथ बातचीत कर रहे थे, लेकिन इनका कुछ हल नहीं निकल रहा था." उन्होंने कहा कि कई कंपनियों ने "समझौते से ठीक पहले अपनी प्राथमिकताएं बदल लीं." लंबे समय तक फंडिंग न मिलने और 'मार्केट के मूड' के कारण उन्हें अपनी चाल धीमी करनी पड़ी और अंततः कंपनी बंद करने का फैसला किया. 

बिदावतका के पोस्ट से पहले द मॉर्निंग कंटेक्स्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कू और डेलीहंट के बीच होने वाली डील असफल रही है. यह ऐप लॉन्च के बाद ब्राजील में बेहद लोकप्रिय हुआ था, जिसके कई अलग-अलग कारण बताए गए थे. हालांकि भारत में यह ऐप वैसी लोकप्रियता हासिल नहीं कर सका जैसी इसके संस्थापकों को उम्मीद थी.  

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ट्विटर को टक्कर देने के लिए हुआ था शुरू
कू का इंटरफेस ट्विटर उर्फ एक्स से बहुत मिलता-जुलता है. कू पर यूजर अपने पोस्ट्स में 'हैशटैग' और 'मेंशन' जैसे फीचर प्रयोग कर सकते थे. खास बात यह थी कि यह ऐप हिन्दी, तेलुगु, तमिल, बंगाली, गुजराती, मराठी, असमिया और पंजाबी जैसी कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध था. कू के लॉन्च से पहले ट्विटर और भारत सरकार के बीच कुछ मुद्दों को लेकर असहमति थी.

ऐप लॉन्च होने के कुछ घंटों बाद ही पीयूष गोयल, रवि शंकर प्रसाद, अनिल कुंबले, जवगल श्रीनाथ जैसी कई जानी-मानी हस्तियों ने अपना 'कू' अकाउंट बनाया था. साल 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन विभाग ने अपनी "एक जिला, एक प्रोडक्ट" पहल को बढ़ावा देने के लिए कू के साथ एक समझौता किया था. 

भारत सरकार का था समर्थन
यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कई परियोजनाओं पर भारत सरकार के साथ भी काम कर रहा था. भारत सरकार की "मेक इन इंडिया" पहल के तहत 'आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज' जीतने के बाद कू को टाइगर ग्लोबल और एक्सेल जैसे जाने-माने निवेशकों से छह करोड़ डॉलर की फंडिंग भी मिली थी. पिछले साल अप्रैल में यूजर्स की संख्या में लगातार गिरावट देखने के बाद कंपनी ने अपने 30 प्रतिशत कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया था. 

जाते हुए क्या बोले फाउंडर?
बिदावतका ने अच्छे-बुरे समय में साथ रहने के लिए अपनी टीम का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर भारत के लिए एक 'बड़ा विजन' रखता है तो वे उसके साथ अपने संसाधन साझा करना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि वह इस ऐप की कोडिंग को सार्वजनिक करने पर भी विचार करेंगे ताकि दुनियाभर के लोग इंटरनेट पर अपनी स्थानीय भाषाओं में एक-दूसरे से बात कर सकें.