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Lachman Das Mittal Success Story: पढ़ाई में गोल्ड मेडल, LIC में जॉब, रिटायरमेंट के बाद शुरू किया बिजनेस... आज लक्ष्मण दास मित्तल हैं 20 हजार करोड़ के मालिक

लक्ष्मण दास मित्तल ने एलआईसी एजेंट के तौर पर काम शुरू किया और डिप्टी जोनल मैनेजर के पद से रिटायर हुए. उसके बाद उन्होंने Sonalika Tractor की नींव रखी. इसके बाद मित्तल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज सोनालिका ग्रुप की नेटवर्थ 20 हजार करोड़ से ज्यादा की है. मित्तल देश के सबसे उम्रदराज अरबपति हैं.

लक्षमण दास मित्तल भारत के सबसे उम्रदराज अरबपति हैं (Photo/forbesindia) लक्षमण दास मित्तल भारत के सबसे उम्रदराज अरबपति हैं (Photo/forbesindia)

पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाला एक लड़का जब पोस्ट ग्रेजुएशन करने पहुंचा तो इंग्लिश सब्जेक्ट में गोल्ड मेडल हासिल किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद एलआईसी एजेंट बना और फिर कंपनी में डिप्टी जोनल मैनेजर के पद तक पहुंचा. 60 साल की उम्र में रिटायरमेंट भी ले लिया. लेकिन बिजनेस करने की सोच हमेशा से उनके दिमाग में बनी रही. आखिरकार वो समय आ ही गया, जब उन्होंने अपने सपने को पूरा किया. उन्होंने ना सिर्फ बिजनेस शुरू किया, बल्कि ऐसा साम्राज्य खड़ा किया, जो देश में तीसरा सबसे बड़ा ट्रैक्टर निर्माता ग्रुप बन गया. देश के उस सबसे उम्रदराज अरबपति का नाम लक्ष्मण दास मित्तल है. चलिए आपको लक्ष्मण दास मित्तल के बचपन से लेकर अरबों का कारोबार खड़ा करने की कहानी बताते हैं.

पढ़ाई में हासिल किया गोल्ड मेडल-
लक्ष्मण दास मित्तल साल 1931 में पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले हैं. उनके पिता हुकुम चंद अग्रवाल मंडी में ग्रेन डीलर थे. लक्ष्मण दास पढ़ाई में शुरू से अच्छे थे. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से इंग्लिश और उर्दू में एमए किया. आज भी उनका पढ़ाई-लिखाई से नाता जुड़ा है. वो हमेशा कुछ ना कुछ पढ़ते रहते हैं. पढ़ाई पूरी करने के बाद फैमिली चाहती थी कि वो नौकरी करें. लेकिन उनका मन कुछ और करना चाहता था. साल 1955 में मित्तल ने एलआईसी एजेंट के तौर पर काम करना शुरू किया. इस दौरान उन्होंने अपनी सैलरी से पैसे बचाए और इसे बिजनेस में इस्तेमाल करने का प्लान बनाने लगे.

बिजनेस डूब गया, नहीं मानी हार-
मित्तल ने इन पैसों का इस्तेमाल पहले कृषि मशीनों से जुड़े साइड बिजनेस स्थापित करने में लगाया. उन्होंने नौकरी करते हुए साल 1962 में थ्रेसर बनाने का काम शुरू किया. लेकिन इसमें उनको सफलता नहीं मिली. बिजनेस में घाटा लगा, जिससे फैमिली दिवालिया हो गई. साल 1970 में उनकी नेटवर्थ एक लाख रुपए हो गई. इस घाटे की वजह से उन्होंने अपने पिता को रोते हुए देखा. इसके बाद उन्होंने हिम्मत जुटाई और फिर से थ्रेसर बनाने का काम शुरू किया. मित्तल साल 1990 में एलआईसी से बतौर डिप्टी जोनल मैनेजर रिटायर हुए. इसके बाद उन्होंने ट्रैक्टर बनाने का काम शुरू किया.

सोनालिका ग्रुप का गठन-
मित्तल ने साल 1970 में ही सोनालिका ग्रुप की स्थापना की थी. लेकिन ट्रैक्टर बनाने का काम साल 1994 में शुरू किया. जब एक बार ट्रैक्टर बनाने का काम शुरू किया तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. लक्ष्मण दास मित्तल को लगातार सफलता मिलती गई. आज सोनालिका ग्रुप की नेटवर्थ 20 हजार करोड़ रुपए है. सोनालिका ट्रैक्टर्स बाजार में हिस्सेदारी के हिसाब से भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रैक्टर निर्माता ग्रुप है. इसके अलावा मित्तल का पारिवारिक बिजनेस सोनालिका इंप्लीमेंट्स भी है. सोनालिका इंप्लीमेंट्स बुआई की मशीन और गेहूं के थ्रेसर बनाती है.

देश में सोनालिका ट्रैक्टर का कारोबार-
मित्तल के ट्रैक्टर्स का कारोबार 74 देशों में फैला है. कंपनी इन देशों में ट्रैक्टर्स निर्यात करती है. भारत में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के गांवों में सोनालिका ट्रैक्टर्स की खूब डिमांड है. ट्रैक्टर्स का पंजाब के होशियारपुर में एक विशाल विनिर्माण संयंत्र है. सोनालिका ग्रुप के 5 देशों में प्लांट हैं. इसमें करीब 7 हजार कर्मचारी काम करते हैं. कंपनी सालभर में 3 लाख से ज्यादा ट्रैक्टर बनाती है. लक्ष्मण दास मित्तल ने अपना कारोबार अपने बेटों को सौंप दिया है, लेकिन रोजाना ऑफिस जाना नहीं भूलते हैं.

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