LIC IPO Updates: भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC का आईपीओ (LIC IPO) आज स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने जा रहा है. इससे LIC के पॉलिसी होल्डर्स, एजेंट्स और कर्मचारियों की धड़कनें बढ़ रही हैं. बता दें कि इसकी बिडिंग डेट 4 मई (lic ipo release date) से 9 मई (lic ipo closing date) के बीच रखी गई है. 5 करोड़ की सरकारी रकम से शुरू हुई ये कंपनी आज 6 लाख करोड़ रुपए की हो गई है. तो चलिए आज हम LIC की शुरुआत से उसके आज तक के सफर पर एक नज़र डालेंगे. साथ ही ये भी बताएंगे कि LIC ने कैसे घर-घर में अपनी जगह बनाई है.
जब कंपनी नहीं करती थी भारतीयों का बीमा
1818 में पहली बार भारत की धरती पर कोई बीमा कंपनी की शुरुआत हुई थी, जिसका नाम ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी था. ये कंपनी केवल अंग्रेजों की ही बीमा करती थी. फिर धीरे-धीरे बाबू मुत्तीलाल सील जैसे कुछ लोगों के प्रयासों के कारण ये कंपनी भारतीयों का भी बीमा करने लगी, लेकिन भारतीयों के लिए रेट अलग थे. उसके बाद साल 1870 में पहली भारतीय लाइफ इंश्योरेंस कंपनी तो सबको बराबरी का हक मिला. फिर देखते-देखते भारत में बीमा कंपनियों की बाढ़ आ गई.
245 कंपनियों को मिलाकर बनाई गई LIC
भारत में 1956 तक 154 भारत की इंश्योरेंस कंपनियां, 16 विदेशी कंपनियां और 75 प्रोविडेंट कंपनियां काम करती थीं. फिर 1 सितंबर 1956 में सरकार ने इस सभी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया, और तब जाकर बना भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC. सरकार ने इसे पांच करोड़ रुपए में जारी किया. LIC के पास 1956 में 5 जोनल ऑफिस, 33 डिविजनल ऑफिस, 212 ब्रांच ऑफिस और एक कॉर्पोरेट ऑफिस था. कंपनी लोगों को बीच काफी लोकप्रिय हो रही थी, जिसके चलते LIC ने एक ही साल में 200 करोड़ का बिजनेस किया. इस भरोसे की सबसे बड़ी वजह सरकार की गारंटी थी.
बीमा कंपनियों में LIC का एकछत्र राज
1990 तक ज्यादातर कंपनियों पर सरकार का एकाधिकार था. 1991 के बाद से सरकार ने धीरे-धीरे सरकारी कंपनियों को प्राइवेट कंपनियों को बेचना शुरू किया, लेकिन LIC इससे अछूता रह गया. आज भी कई सारी प्राइवेट बीमा कंपनियां बाजार में हैं लेकिन भारत के दो तिहाई बीमा बाजार पर LIC का कब्जा है. ये कंपनी करीब 36 लाख करोड़ की संपत्ति का मैनेजमेंट करती है. LIC ने लोगों के बीच अब ये भरोसा बना दिया है कि यहां लगाया पैसा कभी डूबेगा नहीं.
कैसे विज्ञापन के जरिए घर-घर पहुंचा LIC
70 के दशक में LIC का एकछत्र राज था. उस दौर में विज्ञापन में दो हाथों के बीच के बच्चे की तस्वीर आती थी. जिसमें लिखा होता था, "उसे अपने प्रोटेक्शन की गर्माहट को महसूस होने दीजिए." फिर 80 के दशक में चीजें बदली तो तब तक ऑडियो-विजुअल मीडियम आ चुके थे. वहां से LIC ने लोगों के दिमाग में जगह बना ली. उस वक्त कंपनी ने अपने ऐड के जरिए संदेश दिया कि लाइफ इंश्योरेंस मतलब LIC, ये बात लोगों के दिमाग में घर कर गई. उन दिनों दूरदर्शन पर ऐड भी आता था, जिसकी टैगलाइन थी, "रोटी, कपड़ा, मकान और जीवन बीमा." फिर आया 90 का दशक जब कंपनी ने अपनी ब्रांड-इमेज पर पूरा ध्यान दिया. उस वक्त कंपनी ने 'न चिंता, न फिकर' और 'जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी' जैसी टैगलाइन वाले विज्ञापन दिए. फिर 20 के दशक में कंपनी 'जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी' वाली टैगलाइन पर ही ब्रांडिंग की, हालांकि 70 के दशक वाला हाथ अब एक गर्मजोशी भरे गले लगने में बदल चुका था.
जब सरकार के लिए संकटमोचक बनी LIC
सरकार LIC को अपनी तिजोरी की तरह इस्तेमाल करती है. जब भी सरकार किसी तरह की मुश्किल में फंसती है तो LIC सरकार को मुश्किल से निकालने में मदद करती है. जैसे 2015 में ONGC के IPO के वक्त LIC ने करीब 10 हजार करोड़ रुपए लगाए थे. इसी साल कोल इंडिया के IPO से सरकार ने 22 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था, जिसमें 7 हजार करोड़ की हिस्सेदारी खरीद कर LIC ने सरकार का बोझ हल्का किया था. उसके बाद साल 2019 में कर्ज से जूझ रहे IDBI बैंक को मुश्किल के बचाने के लिए भी LIC ने अपनी झोली खोली थी. इसके अलावा 2024 में राजमार्गों के विकास के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने सरकार को 1.25 लाख करोड़ रुपये का कर्ज देने का प्रस्ताव रखा है.
अब तक 23 लाख करोड़ रुपए ले चुकी हैं सरकारें
2019 में RBI ने एक डेटा जारी किया था, जिसके मुताबिक LIC ने शुरुआत से लेकर अब तक सरकारी क्षेत्र में 22.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है. जिसमें से 10.7 लाख करोड़ रुपए 2014-15 से 2018-19 के बीच ही लगाए गए हैं. अब तक ये कंपनी 100 फीसदी सरकारी कंपनी थी, लेकिन आज 4 मई को सरकार LIC के 3.4 फीसदी शेयर बेचने वाली है. जिसके बाद LIC 21 हजार करोड़ की हो जाएगी. इतनी ही नहीं आने वाले वक्त में सरकार LIC के 10 % शेयर बाजार में बेचने का प्लान कर रही है.