अगर कुछ करने की चाहत हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. गुजरात की 7 महिलाओं ने 80 रुपए से पापड़ बनाने के बिजनेस की शुरुआत की थी, जो आज करोड़ों का कारोबार बन गया है. 65 साल पहले जसवंती बेन ने अपनाी 6 सहेलियों के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की थी. इसे शुरू करने का मकसद बिजनेस करना नहीं था, बल्कि वो अपनी फैमिली के खर्च में हाथ बंटाना था. लेकिन आज यह एक ब्रांड बन गया है. चलिए आपको लिज्जत पापड़ (Lijjat Papad) के सफर के बारे में बताते हैं.
उधार के पैसे से शुरू किया कारोबार-
ये बात साल 1959 की है, जब जसवंती बेन ने अपनी 6 सहेलियों के साथ मिलकर लिज्जप पापड़ की शुरुआत की थी. महाराष्ट्र के गिरगांव में एक बार जसवंती बेन अपनी सहेलियां के साथ एक जगह बैठकर गपशप कर रही थी. इस दौरान पापड़ का काम शुरू करने का आइडिया आया. लेकिन उनके पास इसके लिए पैसे नहीं थे. इन लोगों ने समाजसेवी छगनलाल करमशी पारेख के पास गईं और अपना बिजनेस आइडिया बताया. पारेख ने 80 रुपए की आर्थिक मदद दी. इन पैसों से ही पापड़ बनाने का काम शुरू हुआ. इस ग्रुप में जसवंती बेन के अलावा पार्वती बेन, उजम बेन, बानुबेन तन्ना, लागुबेन, जायबेन शामिल थीं. इसके अलावा एक महिला को पापड़ को बेचने की जिम्मेदारी दी गई थी. शुरुआत में इन महिलाओं ने 4 पैकेट पापड़ बनाए थे. जिसे एक कारोबारी के पास जाकर बेचा था.
साल 1962 में रखा गया संस्था का नाम-
साल 1959 में शुरू किए गए इस कारोबार को साल 1962 में 'श्री महिला उद्योग लिज्जत पापड़' नाम दिया गया. इसके बाद साल 1966 में लिज्जत को सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर किया गया. इसके बार पापड़ का कारोबार तेजी से बढ़ने लगा. इस संस्था ने आगे चलकर पापड़ के अलावा खाखरा, मसाला, आटा, चपाती, डिटरजेंट और बेकरी प्रोडक्ट भी बनाना शुरू कर दिया. लिज्जत ने कुटिर चमड़ा, माचिस और अगरबत्ती का भी काम शुरू किया है.
25 देशों में है लिज्जत का कारोबार-
लिज्जत पापड़ के कोऑपरेटिव मूवमेंट में आज 45 हजार से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं. इन महिलाओं को लिज्जत सिस्टर्स कहा जाता है. आज देश के लिज्जत के 82 ब्रांच और 17 डिवीजन हैं. कंपनी का मुख्य ऑफिस मुंबई में है. विदेशों में भी इस पापड़ की डिमांड है. 25 देशों में लिज्जत पापड़ का निर्यात होता है. इसमें ब्रिटेन, फ्रांस, हॉलैंड, चीन, बहरीन, हॉन्गकॉन्ग और मलेशिया जैसे देश शामिल हैं. लिज्जत पापड़ की स्थापना करने वाली जसवंती बेन को पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है.
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